(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से सम्बंधित विषय)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा म्यूचुअल फंडों पर मल्टी कैप स्कीमों के शेयर बाज़ार में निवेश पर एक सीमा तय कर दी गई है।
सेबी द्वारा म्यूचुअल फंड को दिशा-निर्देश
- सेबी ने निर्देश दिया है कि मल्टी कैप स्कीमों में लार्ज, मिड और स्मॉल कैप कम्पनियों के इक्विटी और इक्विटी से सम्बंधित उपकरणों में न्यूनतम निवेश कुल सम्पत्ति का 25% होना चाहिये।
- इस प्रकार, अगर किसी फंड हाउस की मल्टी कैप स्कीम में 10,000 करोड़ रुपए का ए.यू.एम. (AUM- Assets Under Management) है, तो उसे तीनों श्रेणियों के शेयरों में कम-से -कम 2,500 करोड़ रुपए का निवेश करना होगा।
- इससे पहले मल्टी कैप फंड के लिये ऐसा न्यूनतम निवेश दिशा-निर्देश (स्टॉक की श्रेणी में) नहीं था।
- आँकड़ों से पता चलता है कि कुछ योजनाओं में स्मॉल कैप कम्पनियों को आवंटन शून्य के आस-पास था और 35 में से 9 मल्टी कैप स्कीमों द्वारा स्मॉल कैप कम्पनियों में 5% से कम निवेश किया गया है।
म्यूचुअल फंड (Mutual Fund)
i. म्यूचुअल फंड एक ऐसा ट्रस्ट है, जिसमें कई निवेशकों का पैसा एक जगह एकत्रित किया जाता है। इसके बाद इस फंड से बाज़ार में निवेश किया जाता है। म्यूचुअल फंड को परिसम्पत्ति प्रबंधन कम्पनियों (AMC) द्वारा प्रबंधित किया जाता है। आमतौर पर प्रत्येक AMC में अनेक म्यूचुअल फंड स्कीम होती हैं।
ii. यू.टी.आई. ए.एम.सी. (UTI AMC) भारत की सबसे पुरानी म्यूचुअल फंड कम्पनी है। म्यूचुअल फंड में एक फंड प्रबंधक होता है जो फंड के निवेशों को निर्धारित करता है और लाभ तथा हानि का हिसाब रखता है।
मल्टी कैप फंड (Multicap Fund)
ये विविध प्रकार के म्यूचुअल फंड हैं, जो विभिन्न बाज़ार पूंजीकरण वाली कम्पनियों के इक्विटी और इक्विटी सम्बंधित शेयरों के पोर्टफोलियो में अपने धन का निवेश करते हैं।
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बाज़ार पूंजीकरण (Market Capitalization)
- किसी भी कम्पनी की कुल वैल्यू ‘कैपिटलाइज़ेशन’ कहलाती है। कम्पनी के शेयरों की संख्या को उनके बाज़ार मूल्य से गुणन करने पर कैपिटलाइज़ेशन प्राप्त होता है।
- किसी कम्पनी में निवेश से पहले उस कम्पनी का कैपिटलाइज़ेशन देखा जाता है। लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप का निर्णय भी कैपिटलाइज़ेशन से होता है।
- दरअसल शेयर बाज़ार में कम्पनियों को उनके बाज़ार मूल्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। कम्पनी के बाज़ार पूंजीकरण का तात्पर्य शेयर बाज़ार द्वारा निर्धारित उस कम्पनी की वैल्यू से है।
लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कम्पनियाँ
- सामान्यतया मार्केट कैप के लिये कोई निश्चित मापदंड नहीं होता है, परंतु लगभग 1,0000 करोड़ रुपए के बाज़ार पूंजीकरण वाली कम्पनियों को लार्ज कैप माना जाता है, जबकि इससे कम बाज़ार पूंजीकरण वाली कम्पनियाँ मिड और स्मॉल कैप होती हैं।
- सेबी की परिभाषा के अनुसार, पूर्ण बाज़ार पूंजीकरण के मामले में प्रथम 100 कम्पनियाँ लार्ज कैप हैं।
- 101 से 250 तक रैंक वाली कम्पनियाँ मिड कैप हैं। इसके बाद और आगे की कम्पनियाँ स्मॉल कैप कम्पनियों में आती हैं।
- इक्विटी योजनाओं के लिये निवेश के सम्बंध में एकरूपता सुनिश्चित करने के लिये यह वर्गीकरण किया गया है।
- म्यूचुअल फंड शीर्ष 100 लार्ज कैप पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और उनमें से कई निवेशकों को अच्छा रिटर्न दे रहें हैं।
म्यूचुअल फंड की चिंताएँ
- म्यूचुअल फंड्स को लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करके अच्छा रिटर्न प्राप्त हो रहा था। इस कारण से लार्ज कैप शेयरों की तुलना में मिड और स्मॉल कैप शेयरों का प्रदर्शन खराब रहा है, अत: अब मिड और स्मॉल कैप शेयरों में निवेश को लेकर चिंता बढ़ गई है।
- विदेशी निवेशकों को ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है और एफ.पी.आई. किसी भी स्टॉक में निवेश करने के लिये स्वतंत्र है। फंड मैनेजर यह भी चाहते हैं कि एफ.पी.आई. पर सेबी इसी तरह का नियंत्रण करे।
- एफ.पी.आई. ने जहाँ भारतीय इक्विटी में 9.33 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया है, वहीं घरेलू म्यूचुअल फंड में इक्विटी निवेश 7.69 लाख करोड़ रुपए है।
- यह भी माना जा रहा है कि निवेशकों को इस निर्देश से लाभ प्राप्त नहीं होगा, क्योंकि उनके रिटर्न में भी कमी आ सकती है या योजनाओं को अधिक जोखिम का सामना करना पड़ सकता है।
- मिड और स्मॉल कैप फंड मैनेजरों को सुविधा का उचित स्तर नहीं प्रदान करते हैं। इस कदम से केवल छोटे शेयरों और उनको फायदा होगा, जिन्होंने ऐसे शेयरों में निवेश कर रखा है।
- इसके अतिरिक्त, पर्याप्त स्टॉक की भी कमी है, जिसमें निवेशकों का पैसा निवेश किया जा सके। साथ ही अर्थव्यवस्था में गिरावट के समय ऐसा कदम उपयुक्त नहीं लगता है।
प्रभाव
- इस निर्णय से म्यूचुअल फंड्स की योजना पर प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि उन्हें अपने पोर्टफोलियो में पड़े लगभग 40,000 करोड़ रुपए के स्टॉक पर मंथन करना होगा।
- इस निर्देश से फंड हाउस अगले कुछ महीनों में पोर्टफोलियो में फेरबदल के लिये मजबूर होंगे, जिससे मल्टी कैप फंडों के लार्ज कैप कम्पनियों में अधिक निवेश आवंटन का मिड और स्मॉल कैप कम्पनियों में स्थानांतरण होगा।
- बड़े स्तर पर इस प्रकार के पुनर्संतुलन का परिणाम यह होगा कि लार्ज कैप कम्पनियों को मिलने वाले फंड का प्रवाह मिड कैप और स्मॉल कैप कम्पनियों की ओर होने लगेगा।
- इससे कुछ लार्ज कैप कम्पनियों के शेयर की कीमतों में गिरावट और मिड और स्मॉल कैप कम्पनियों के शेयर की कीमतों में वृद्धि होने की उम्मीद है। साथ ही कुछ अच्छी स्मॉल कैप कम्पनियों के शेयर की कीमतों में बड़ा उछाल आना सकारात्मक प्रभाव होगा।
- इस कदम से लार्ज कैप फंडों और मल्टी कैप फंडों के बीच स्पष्ट अंतर भी होगा, क्योंकि वर्तमान में मल्टी कैप फंड्स का अधिकांश भाग लार्ज कैप कम्पनियों में निवेश होता है।
- आँकड़ों से पता चलता है कि 35 में से 27 मल्टी कैप स्कीमों में निवेश का 60% से अधिक हिस्सा लार्ज कैप स्टॉक स्कीम का है।
आगे की राह
चूँकि म्यूचुअल फंड को जनवरी 2021 तक यह सम्पूर्ण कवायद पूरी करनी है, इससे मिड कैप और स्मॉल कैप कम्पनियों के शेयर की कीमतों में उछाल देखने को मिलेगा। अब निवेश किये जाने वाले ऐसे शेयरों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल है, जो अच्छा रीटर्न दे सकें। अत: निवेशक स्टॉक चुनने के लिये निष्क्रिय मोड का प्रयोग कर सकते हैं। वे म्यूचुअल फंड्स की अच्छे प्रदर्शन करने वाली मिड और स्मॉल कैप स्कीम में निवेश कर सकते हैं।