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मुंबई इंटरबैंक ऑफर दर (MIBOR)

  • MIBOR का पूरा नाम Mumbai Interbank Offer Rate है।
  • यह एक interest rate benchmark (ब्याज दर का मानक) है जो यह दर्शाता है कि भारतीय बैंक एक-दूसरे से unsecured funds (बिना किसी गारंटी के धन) कितनी ब्याज दर पर उधार लेते हैं।
  • यह दर महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह भारत की financial system (वित्तीय प्रणाली) में loans, deposits, bonds, और derivatives जैसी वित्तीय उत्पादों की ब्याज दरों को प्रभावित करती है।
  • सरल शब्दों में कहें तो MIBOR एक ऐसा yardstick (मानक) है, जिससे यह मापा जाता है कि बैंकिंग क्षेत्र में रातोंरात पैसे उधार लेने की लागत कितनी है।

MIBOR की गणना कैसे होती है?

  • Published By (प्रकाशित करने वाली संस्था):Financial Benchmarks India Pvt. Ltd. (FBIL) — यह भारत में विभिन्न वित्तीय मानकों को तय करने और प्रकाशित करने वाली संस्था है।
  • Computation Process (गणना प्रक्रिया):
    • MIBOR की गणना प्रतिदिन बैंकिंग प्रणाली के Negotiated Dealing System (NDS-Call) में पहले एक घंटे के दौरान हुई actual transactions (वास्तविक लेन-देन) के आधार पर की जाती है।
    • यह दर उन बैंकों द्वारा दी गई ब्याज दरों के weighted average (भारांकित औसत) से निकाली जाती है, जो आपसी लेन-देन में शामिल होते हैं।
  • Frequency (प्रकाशन की आवृत्ति):यह दर प्रतिदिन प्रकाशित की जाती है ताकि बाजार की ताज़ा स्थिति का सही-सही प्रतिबिंब मिल सके।
  • इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि MIBOR एक reliable (विश्वसनीय) और accurate benchmark (सटीक मानक) बना रहे, जो काल्पनिक अनुमानों के बजाय वास्तविक बाजार गतिविधियों पर आधारित हो।

India's Transition from LIBOR to MIBOR and Beyond

LIBOR क्या है?

  • LIBOR का पूरा नाम London Interbank Offered Rate है।
  • यह एक global benchmark interest rate थी, जिस पर प्रमुख अंतरराष्ट्रीय बैंक एक-दूसरे को short-term loans देते थे।
  • यह दर पूरी दुनिया में कई financial contracts और derivatives के लिए एक मानक के रूप में उपयोग होती थी।

परिवर्तन की आवश्यकता क्यों पड़ी?

Reserve Bank of India (RBI) ने बैंकों और अन्य RBI-regulated entities को LIBOR से बाहर निकलने (transition) की सलाह दी, इसके दो मुख्य कारण थे:

  • Manipulation Scandals
    LIBOR दर में हेरफेर (rate-fixing) के कई अंतरराष्ट्रीय घोटाले सामने आए, जिससे इसकी credibility (विश्वसनीयता) कमजोर हो गई।
  • Diminishing Market Activity
    LIBOR के आधार पर होने वाले लेन-देन की मात्रा बहुत कम हो गई थी, जिससे यह दर actual market conditions का सटीक प्रतिनिधित्व नहीं कर पा रही थी।

भारत की नई रणनीति (India’s New Approach)

  • RBI ने पहले MIBOR (Mumbai Interbank Offer Rate) को एक विश्वसनीय domestic benchmark के रूप में प्रस्तुत किया।
  • लेकिन वैश्विक बदलावों को ध्यान में रखते हुए भारत ने अब एक नए मानक की ओर रुख किया है:

SORR – Secured Overnight Rupee Rate

  • SORR एक secured overnight transactions पर आधारित दर है, जो उधारी की लागत को मापने का एक अधिक पारदर्शी और मजबूत तरीका प्रदान करती है।
  • यह बदलाव भारत को उन वैश्विक प्रवृत्तियों के अनुरूप बनाता है, जहाँ benchmarks वास्तविक लेन-देन (actual transactions) पर आधारित होते हैं, न कि अनुमानों (estimates) पर।

विश्व स्तर पर LIBOR के विकल्प (Global Alternatives to LIBOR)

देश / क्षेत्र

नया Benchmark Rate

USA

SOFR – Secured Overnight Financing Rate

India

MIBOR (पहले), अब SORR

India

MIFOR – Mumbai Interbank Forward Overnight Rate (SORR का पूर्ववर्ती)

China

SHIBOR – Shanghai Interbank Offered Rate

Japan

TIBOR – Tokyo Interbank Offered Rate

FBIL – Financial Benchmarks India Pvt. Ltd. के बारे में

  • स्थापना: वर्ष 2014 में, Companies Act, 2013 के तहत।
  • Ownership (स्वामित्व): तीन प्रमुख संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से:
  • FIMMDAFixed Income Money Market and Derivatives Association of India
  • FEDAI Foreign Exchange Dealers Association of India
  • IBAIndian Banks’ Association
  • Objective (उद्देश्य):
    • भारत में money market,
    • government securities,
    • और foreign exchange markets से संबंधित benchmarks का विकास, संचालन और रख-रखाव करना।
  • Regulation (नियमन):
    • यह संस्था RBI की निगरानी और नियमन के अंतर्गत काम करती है, जिससे इसकी independence और integrity सुनिश्चित होती है।

MIBOR क्यों महत्वपूर्ण है? (Why MIBOR Matters)

Monetary Policy Transmission (मौद्रिक नीति का संप्रेषण):

  • MIBOR यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि Reserve Bank of India (RBI) द्वारा repo rate जैसे मौद्रिक नीतिगत निर्णयों का प्रभाव पूरे economy (अर्थव्यवस्था) में पहुंचे।
  • जब RBI ब्याज दरों में बदलाव करता है, तो उसका प्रभाव MIBOR के ज़रिए बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र तक पहुँचता है।

Pricing of Financial Products (वित्तीय उत्पादों की कीमत निर्धारण):

  • कई loans (ऋण), mortgages (गृह ऋण), bonds (ऋणपत्र), और derivatives (व्युत्पन्न उत्पाद) के interest rates को तय करने के लिए MIBOR को reference rate के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
  • इससे यह सुनिश्चित होता है कि इन उत्पादों की कीमत बाजार-आधारित हो।

Market Transparency (बाजार की पारदर्शिता):

  • क्योंकि MIBOR वास्तविक interbank transactions (बैंकों के बीच हुए लेन-देन) पर आधारित होता है, यह पूरी financial system में पारदर्शिता (transparency) बढ़ाता है।
  • यह दर rate manipulation (ब्याज दरों में हेरफेर) के जोखिम को कम करती है और बाजार में विश्वास बनाए रखती है।
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