चर्चा में क्यों
भारत और इटली एक ऐसी पारस्परिक कानूनी सहायता संधि (Mutual Legal Assistance Treaty : MLAT) की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं, जो दोनों देशों को आपराधिक मामलों से संबंधित जाँच में औपचारिक सहायता प्राप्त करने में मदद करेगी।
पारस्परिक कानूनी सहायता संधि
गृह मंत्रालय के अनुसार, पारस्परिक कानूनी सहायता एक ऐसा तंत्र है जिसके तहत अपराध की रोकथाम, दमन, जांच और अभियोजन में औपचारिक सहायता प्रदान करने व प्राप्त करने के लिये देश एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि अपराधी विभिन्न देशों में उपलब्ध साक्ष्य के अभाव में कानून की उचित प्रक्रिया से बचकर उसका उल्लंघन न कर सके।
भारत-इटली एम.एल.ए.टी.
- दोनों देशों के बीच अंतिम समझौता अधिकतम सजा के मुद्दे को लेकर विचाराधीन है। गौरतलब है कि भारत में जघन्य अपराधों के लिये अधिकतम सजा ‘मृत्युदंड’ है, जबकि इटली में ‘मृत्युदंड’ को समाप्त कर दिया गया है।
- गौरतलब है कि इटली से पूर्व जर्मनी ने भी मृत्युदंड के आधार पर भारत के साथ एम.एल.ए.टी. पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था।
- भारत ने अब तक 45 देशों के साथ एम.एल.ए.टी. पर हस्ताक्षर किये हैं, वहीं भारत और इटली के बीच अब तक आपराधिक मामलों पर द्विपक्षीय समझौता नहीं हुआ है।
- इटली के साथ एम.एल.ए.टी. की औपचारिकता से जाँच एजेंसियों को देश से संचालित सिख अलगाववादी नेटवर्क के विरुद्ध जाँच में सहायता मिलने की संभावना है।
केस अध्ययन
- वर्ष 2021 में, सर्वोच्च न्यायालय ने इटली के दो नौसैनिकों के विरुद्ध आपराधिक कार्यवाही को औपचारिक रूप से बंद कर दिया, जिन्होंने वर्ष 2012 में केरल तट पर दो मछुआरों की हत्या कर दी थी।
- बाद में इटली ने इन दो नौसैनिकों को भारत द्वारा मृत्युदंड न दिये जाने के आश्वासन के बाद ही वापस भेजा।
- इसी प्रकार, वर्ष 2013 के अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर घोटाले की जाँच कर रही जाँच एजेंसियों को कई बाधाओं का सामना करना पड़ा, जब इटली ने केंद्रीय जांच ब्यूरो द्वारा वांछित तीन बिचौलियों में से एक कार्लो गेरोसा को प्रत्यर्पित करने से इनकार कर दिया।
- इटली का तर्क था कि दोनों देशों के मध्य एम.एल.ए.टी. या औपचारिक प्रत्यर्पण समझौता नहीं था। गौरतलब है कि प्रत्यर्पण संधि अब केवल नशीले पदार्थों से संबंधित अपराधों तक ही सीमित है।