प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, मेरा गांव मेरी धरोहर मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
चर्चा में क्यों-
संस्कृति मंत्रालय ने भारत के सभी गांवों के सांस्कृतिक मानचित्रण और दस्तावेज़ीकरण के लिए 'मेरा गांव मेरी धरोहर' (MGMD) परियोजना शुरू की है।
मुख्य बिंदु-
- इसके तहत संस्कृति मंत्रालय ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र’ के साथ मिलकर कार्य करेगा।
- सरकार द्वारा MGMD पर एक वेब पोर्टल 27 जुलाई, 2023 को लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य एक आभासी मंच पर भारत के 6.5 लाख गांवों का सांस्कृतिक मानचित्रण करना है।
- MGMD के माध्यम से लोगों को भारत की विविध और जीवंत सांस्कृतिक विरासत से जुड़ने का अवसर मिलेगा।
- यह देश के प्रत्येक गांव की खोज, शोध और वर्चुअल भ्रमण के लिए वन-स्टॉप स्थल के रूप में कार्य करता है।
- MGMD के तहत जानकारी निम्नलिखित श्रेणियों के तहत एकत्र की जाती है-
- कला एवं शिल्प ग्राम
- पारिस्थितिक रूप से उन्मुख गांव
- स्कोलास्टिक गांव, जो भारत की मौलिक और शास्त्रीय परंपराओं से जुड़े हैं
- महाकाव्य गांव, जो रामायण, महाभारत और/या पौराणिक किंवदंतियों से जुड़े हैं
- स्थानीय और राष्ट्रीय इतिहास से जुड़े ऐतिहासिक गांव
- वास्तुकला विरासत गांव
- अन्य प्रमुख विशेषता के कारण प्रसिद्ध गाँव; जैसे- मछली पकड़ने वाला गाँव, बागवानी गाँव, चरवाहा गाँव आदि।
वित्तीय सहायता-
- संस्कृति मंत्रालय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता की एक योजना लागू कर रहा है, जिसमें आठ घटक शामिल हैं।
- इस योजना के द्वारा सांस्कृतिक संगठनों को कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- योजना के तहत वर्ष, 2021-2022 से 2025-2026 तक के लिए वर्ष, 353.46 करोड़ रुपये के वित्तीय परिव्यय को मंजूरी दी गई है।
- इस योजना में निम्नलिखित घटक शामिल हैं-
1. राष्ट्रीय महत्व के सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता-
- इसका उद्देश्य राष्ट्रीय महत्व के सांस्कृतिक संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- इन संगठनों में गैर-लाभकारी संगठन, गैर सरकारी संगठन, सोसायटी, ट्रस्ट, विश्वविद्यालय आदि प्रमुख हैं।
- इस योजना के तहत सहायता की राशि 1 करोड़ रुपये तक है।
- यह सहायता ऐसे संगठनों को दिया जाएगा, जिनके पास संगठित प्रबंध निकाय है।
- ये भारत में पंजीकृत हों।
- राष्ट्रीय महत्व के साथ- साथ इनकी अखिल भारतीय उपस्थिति हो।
- इनके पास पर्याप्त कार्य क्षमता होना चाहिए।
- इन संगठनों ने सांस्कृतिक गतिविधियों पर पिछले 5 वर्षों में से किन्हीं 3 वर्षों के दौरान 1 करोड़ या उससे अधिक व्यय किया हो।
- इन्हें वित्तीय सहायता कला और संस्कृति का प्रचार- प्रसार करने के लिए दिया जाएगा।
- ये देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन करेंगे।
2. सांस्कृतिक समारोह एवं आयोजन के लिए वित्तीय सहायता (CFPG)-
- इसका उद्देश्य सेमिनार, सम्मेलन, अनुसंधान, कार्यशालाओं, त्यौहारों, प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, नृत्य, नाटक-थिएटर, संगीत आदि के आयोजन के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- यह सहायता NGO/सोसाइटियों/ट्रस्टों/विश्वविद्यालयों आदि को दिया जाएगा।
- CFPG के तहत प्रदान की जानी वाली अधिकतम वित्तीय सहायता 5 लाख रुपया है।
- इसे असाधारण परिस्थितियों में 20 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
3. हिमालय की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और विकास के लिए वित्तीय सहायता-
- इसका उद्देश्य ऑडियो विजुअल कार्यक्रमों के द्वारा अनुसंधान, प्रशिक्षण और प्रसार कर हिमालय की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और उन्हें संरक्षित करना है।
- हिमालयी राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश के संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- प्रति संगठन सहायता की राशि प्रतिवर्ष 10.00 लाख रुपया है।
- इसे असाधारण परिस्थितयों में 30.00 लाख रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
4. बौद्ध/तिब्बती संस्थाओं के संरक्षण एवं विकास के लिए वित्तीय सहायता
- इसके तहत बौद्ध/तिब्बती सांस्कृतिक परंपरा के प्रचार-प्रसार के लिए वित्तीय सहायता दी जाएगी।
- यह सहायता वैज्ञानिक विकास और संबंधित क्षेत्रों के अनुसंधान में लगे मठों सहित स्वैच्छिक बौद्ध/तिब्बती संगठनों को प्रदान की जाएगी।
- इसके तहत सहायता की राशि प्रति संगठन प्रतिवर्ष 30.00 लाख रुपया है।
- इसे असाधारण परिस्थितियों में 1.00 करोड़ रुपये तक बढ़ाया जा सकता है।
5. स्टूडियो थिएटर तथा भवन निर्माण के लिए वित्तीय सहायता
- इसके तहत NGO, ट्रस्ट, सोसायटी, सरकार को वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी।
- इसके तहत सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे; जैसे- स्टूडियो थिएटर, ऑडिटोरियम, रिहर्सल हॉल, कक्षा आदि का निर्माण किया जाएगा।
- उपर्युक्त संस्थानों में बिजली, एयर कंडीशनिंग, प्रकाश और ध्वनि प्रणाली आदि जैसी सुविधाओं की व्यवस्था की जाएगी।
- इस घटक के तहत सहायता की अधिकतम राशि मेट्रो शहरों में 50 लाख रुपये तक और गैर-मेट्रो शहरों में 25 लाख रुपये तक है।
6. सांस्कृतिक गतिविधियों से संबंधित कार्यों के लिए वित्तीय सहायता-
- इसका उद्देश्य खुले/बंद क्षेत्रों/स्थानों पर नियमित रूप से त्योहारों के ऑडियो-विज़ुअल लाइव प्रदर्शन के लिए संरचनाओं का निर्माण करने के लिए पात्र संस्थानों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
- ऑडियो-वीडियो उपकरण आदि की खरीद के लिए संस्थानों को वित्तीय सहायता दिया जाता है।
- इसके तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता में सरकार द्वारा लागू शुल्क, कर और पांच साल के लिए संचालन एवं रखरखाव की लागत भी शामिल होगी।
- प्रदत्त वित्तीय सहायता इस प्रकार है
- ऑडियो: रु.1.00 करोड़
- ऑडियो+वीडियो: रु. 1.50 करोड़.
7. अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा योजना-
- यह योजना वर्ष, 2013 में संस्कृति मंत्रालय द्वारा देश की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विविध सांस्कृतिक परंपराओं की सुरक्षा के लिए शुरू की गई थी।
- योजना का उद्देश्य विभिन्न संस्थानों, समूहों, NGO आदि को पुनर्जीवित करना भी है, ताकि वे अपनी गतिविधियों में संलग्न हो सकें।
- इन संस्थाओं का कार्य भारत की समृद्ध अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को मजबूत करना, सुरक्षा करना, संरक्षित करना और बढ़ावा देना है।
8. घरेलू त्यौहार और मेले
- इसका उद्देश्य संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित 'राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव' के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- ‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ परियोजना के तहत राष्ट्रीय महत्व के सांस्कृतिक संगठनों को प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- यह सहायता ऐसे संगठनों को दिया जाएगा, जिनके पास संगठित प्रबंध निकाय है।
- इन संगठनों को यूनेस्को सांस्कृतिक आयोजन करने के रूप में पंजीकृत होना चाहिए।
- इन्हें वित्तीय सहायता कला और संस्कृति का प्रचार- प्रसार करने के लिए दिया जाएगा।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- भारत सरकार द्वारा प्रारंभ की गई ‘मेरा गांव मेरी धरोहर’ परियोजना भारतीय संस्कृति के प्रसार में किस प्रकार योगदान करेगी? स्पष्ट कीजिए।
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