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मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, पश्चिमी घाट की स्थानिक प्रजाति मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग को पहली बार केरल के त्रिशूर ज़िले में रिकॉर्ड किया गया है।

मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग

  • मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग का वैज्ञानिक नाम मर्कुराना मिरिस्टिकापालुस्ट्रिस (Mercurana Myristicapalustris) है। यह पेड़ों पर रहने वाली एक दुर्लभ प्रजाति है।
  • इस मेंढक को पहली बार वर्ष 2013 में कोल्लम ज़िले के अगस्त्यमलाई पहाड़ी के पश्चिमी तलहटी में मिरिस्टिका दलदल में देखा गया था।

mercurana-myristicapalustris

  • अगस्त्यमलाई की तलहटी में पाए जाने वाले अन्य मिरिस्टिका स्वैम्प ट्रीफ्रॉग के विपरीत ये मेंढक पूरे जून तथा जुलाई के शुरूआत में भी सक्रिय पाए गए और गैर-मिरिस्टिका दलदल के लिये अनुकूलित हो गए।
  • इससे सम्बंधित अध्ययन ‘सरीसृप और उभयचर’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

अद्वितीय विशेषताएँ

  • पेड़ों पर पाई जाने वाली यह प्रजाति अपने प्रजनन काल के दौरान केवल कुछ हफ्तों के लिये सक्रिय होने के कारण दुर्लभ हैं।
  • इस दौरान पेड़ों के उच्च शिखर से नीचे उतरकर नर मेंढक अत्यधिक संख्या में इकट्ठा हो जाते हैं।
  • अन्य मेंढकों के विपरीत इनका प्रजनन काल प्री-मानसून सीज़न अर्थात् मई में शुरू होता है और जून में मानसून के पूरी तरह से सक्रिय होने से पहले समाप्त हो जाता है।
  • प्रजनन काल की समाप्ति से पूर्व मादा मेंढक अपने नर समकक्षों के साथ वनों की सतह पर उतरते हैं। मादा मेंढक कीचड़ खोदकर उथले बिल में अंडे देती हैं।
  • प्रजनन और अंडे देने के बाद वे पेड़ की ऊँची कैनोपियों में वापस चले जाते हैं और अगले प्रजनन काल तक बहुत कठिनाई से दिखाई पड़ते हैं।
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