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मैसूर घोषणापत्र

चर्चा में क्यों

हाल ही में, 16 राज्यों के प्रतिभागियों ने मैसूर घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किये हैं। इसके तहत 1 अप्रैल, 2022 से देश भर में पंचायतों द्वारा सामान्य न्यूनतम सेवा वितरण शुरू करने का संकल्प लिया गया है।

मैसूर घोषणापत्र

  • मैसूर घोषणापत्र का उद्देश्य नागरिक केंद्रित सेवाओं को ‘शासन के केंद्र’ के रूप में मान्यता देना है।
  • यह घोषणापत्र सेवा वितरण के विभिन्न पहलुओं पर महत्त्वपूर्ण इनपुट प्रदान करता है। इसमें उन सेवाओं को शामिल किया गया है जो प्रत्यक्ष रूप से या तो पंचायतों द्वारा प्रदान की जाती हैं या अन्य विभागों की ऐसी सेवाएँ जिन्हें पंचायतों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है।

घोषणा की मुख्य विशेषताएँ

  • प्रतिनिधियों और अधिकारियों के स्तर पर नागरिकों की प्राथमिकताओं एवं आकांक्षाओं के अनुरूप सेवाओं के वितरण में समावेशी तथा जवाबदेह स्थानीय स्वशासन को बढ़ावा देने के प्रयासों पर सहमति बनी।
  • पारदर्शिता को बढ़ावा देने, नागरिकों को सशक्त बनाने और समय पर सेवाओं के गुणवत्तापूर्ण वितरण के लिये नई तकनीकों के उपयोग की आवश्यकता को स्वीकार किया गया।
  • सेवाओं में सुधार के लिये नागरिकों के साथ जुड़ाव में खुलेपन के मूल्य को बनाए रखने, सेवाओं को डिज़ाइन और वितरित करते समय विविध विचारों को शामिल करने पर भी प्रतिबद्धता व्यक्त की गई।
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