अन्य नाम :नागरमोथा, गिम्बल (मराठी), कोराई (तमिल), तुंगागड्डी (तेलुगु)
इसे नट घास (Nut Grass) के नाम से भी जाना जाता है।
वंश (Genus) : साइपेरस (Cyperus)
कुल (Family) : साइपरेसी (Cyperaceae)
मूल उत्पत्ति :भारत
विस्तार :मुख्यत: उष्णकटिबंधीय, उपोष्णकटिबंधीय एवं समशीतोष्ण क्षेत्र, जैसे- एशिया, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया व दक्षिण अमेरिका आदि में पाया जाता है।
प्रमुख विशेषताएँ :
इसकी अधिकतम ऊंचाई 75 सेमी. तक हो जाती है। यह बिना शाखा वाला तना होता है।
इसकी जड़ व बीज खाने योग्य होते हैं।
नागरमोथा को अनावश्यक पैदावार की दृष्टि से दुनिया के सबसे खराब खरपतवारों में शामिल किया गया है।
यह भारत का मूल पौधा है जो समुद्र तल से लगभग 2000 मीटर तक की ऊंचाई पर मिलता है।
विपरीत वातावरण में भी ये लंबे समय तक सुरक्षित रह जाते हैं।
उपयोग : चूंकि नागरमोथा के गुणधर्म अतीस तथा कर्पूर के समान होते हैं, अतः विभिन्न आयुर्वेदिक निरूपणों में इनको साथ-साथ प्रयुक्त किया जाता है।
इसके अतिरिक्त नागरमोथा को उक्त दोनों पौधों के प्रतिस्थापी के रूप में भी उपयोग में लिया जाता है।
नागरमोथा के औषधीय गुण
नागरमोथा में कैंसर रोधी, शक्ति वर्धक, अल्सर रोधी, मलेरिया रोधी, अवसाद रोधी, मधुमेह रोधी, एनाल्जेसिक एवं एंटीकॉन्वल्सेंट, रोगाणु रोधी जैसे विविध औषधीय गुण होते हैं।
नागरमोथा की जड़ों में प्रचुर मात्रा में इसेंशियल ऑयल होते हैं। इस तेल के मुख्य संघटक अणु, साइपेरोटन्डॉन, साइप्रीन, रोटन्डीन, साइप्रीन इपॉक्साइड, मुस्तकोन, अल्फा-साइप्रोन, अरिस्टोलॉन, तथा नूटकाटोन आदि होते हैं।
इन तेलों की गुणवत्ता इनमें उपस्थित अणुओं तथा उनकी मात्रा (सांद्रता) पर निर्भर करती है और यह पाया गया है कि एक ही देश के अलग-अलग स्थान अथवा विभिन्न देशों में उगने वाले पौधे में यह मात्रा भिन्न-भिन्न होती है।