नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्रीज ने भारतीय सेना को पहला स्वदेशी रूप से विकसित आत्मघाती ड्रोन ‘नागस्त्र-1’ (Nagastra-1) की 120 इकाइयों का पहला बैच प्रदान किया है।
नागस्त्र-1 ड्रोन के बारे में
- यह भारत में अपनी तरह का पहला मानव-पोर्टेबल आत्मघाती ड्रोन है, जो सैनिकों की जान को खतरे में डाले बिना लॉन्च पैड्स, प्रशिक्षण शिविरों और घुसपैठियों पर सटीक निशाना लगाने के लिए बनाया गया है।
- भारतीय सेना ने नागस्त्र-1 को लक्ष्य के ऊपर मंडराने की क्षमता के कारण लोइटरिंग म्यूनिशन (Loitering Munition) नाम भी दिया है।
नागस्त्र-1 ड्रोन की क्षमताएं
- नागस्त्र-1 अत्यधिक ठंड या उच्च ऊंचाई वाली स्थितियों में भी काम करने में सक्षम है।
- इन ड्रोन की रेंज लगभग 30 किमी. है और ये दो मीटर की सटीकता के साथ जी.पी.एस.-सक्षम सटीक हिट करने में सक्षम हैं।
- अपने इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम के कारण नागास्त्र-1 कम ध्वनिक संकेत प्रदान करता है, जिससे 200 मीटर से अधिक की ऊँचाई पर इसका लगभग पता नहीं चलता है।
- यह ड्रोन दिन एवं रात्रि निगरानी कैमरों से लैस है और छोटे लक्ष्यों को बेअसर करने के लिए 1 किग्रा. का उच्च विस्फोटक वारहेड ले जा सकता है।
- फिक्स्ड विंग्स वाला इलेक्ट्रिक मानव रहित हवाई वाहन (UAV) 60 मिनट तक काम कर सकता है और मैन-इन-लूप में इसकी रेंज 15 किमी. और ऑटोनॉमस मोड में 30 किमी. है।
- यह ड्रोन 4500 मीटर ऊपर उड़ान भरते हुए सीधे घातक हमला कर सकता है।
नागस्त्र-1 ड्रोन के लाभ
- यदि कोई लक्ष्य नहीं पाया जाता है या मिशन को रद्द कर दिया जाता है, तो लोइटर म्यूनिशन को वापस लाया जा सकता है और पैराशूट रिकवरी सिस्टम का उपयोग करके उतारा जा सकता है, जिससे इसे कई बार पुन: इस्तेमाल किया जा सकता है।
- नागास्त्र-1 विदेशी स्रोतों पर निर्भरता कम करता है क्योंकि इसकी 75% से अधिक सामग्री स्वदेशी है।
- यह हथियार इजरायल एवं पोलैंड से आयात किए गए हवाई हथियारों से करीब 40% सस्ता पड़ेगा।
- इसके परीक्षण चीन सीमा के पास लद्दाख की नुब्रा घाटी में किए गए हैं। भविष्य में ये सर्जिकल स्ट्राइक के लिए भी उपयोग किए जा सकते हैं।
- नागस्त्र-1 के सफल विकास से हथियारबंद ड्रोन के क्षेत्र में भारत की स्वदेशी क्षमता को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करने में मदद मिलेगी।