विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने बिहार के नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य को रामसर स्थल में शामिल करने की घोषणा की है।
इस प्रकार देश में रामसर स्थल के रूप में चिन्हित आर्द्रभूमियों की संख्या अब 82 हो गई है।
रामसर स्थल में शामिल किए बिहार के दोनों ही अभयारण्य का कुल क्षेत्रफल 544.37 हेक्टेयर है। इसके साथ ही देश में रामसर स्थल का कुल क्षेत्रफल 13.32 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है।
नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य के बारे में
नागी और नकटी पक्षी अभयारण्य बिहार के जमुई जिले में स्थित है। नागी और नकटी पक्षी अभयारण्यों को भारत में क्रमशः 81वें व 82वें रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
ये दोनों अभयारण्य मानव निर्मित आर्द्रभूमि हैं, जिन्हें मुख्यत: सिंचाई के लिए बांध बनाकर विकसित किया गया था।
सिंचाई योजना के रूप में नागी और नकटी जलाशय का शिलान्यास वर्ष 1955-56 में किया गया।
25 फरवरी, 1984 को सरकार ने पक्षी अभयारण के रूप में नागी और नकटी बांध को स्वीकृति दी थी। इसे बर्डलाइफ इंटरनेशनल ने महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्र (IBA) के रूप में भी नामित किया है।
शीतकाल के दौरान यहां प्रवासी पक्षी आते हैं, जिनमें इंडो-गंगा के मैदान पर लाल-क्रेस्टेड पोचार्ड (नेट्टा रूफिना) का सबसे बड़ा समूह भी शामिल है।
इन दोनों के साथ बिहार में कुल रामसर स्थलों की संख्या तीन हो गई है। बिहार का पहला रामसर स्थल बेगूसराय में स्थित कांवर झील है, जिसे वर्ष 2020 में रामसर स्थल घोषित किया गया था।
इसे भी जानिए!
वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर अभिसमय के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत की सबसे बड़ी आर्द्रभूमि सुंदरवन संरक्षित वन क्षेत्र है।
82 रामसर आर्द्रभूमियों के साथ एशिया में सर्वाधिक रामसर स्थलों की संख्या के मामले में भारत ने चीन की बराबरी कर ली है।
भारत में सर्वाधिक रामसर स्थल (16) तमिलनाडु में हैं। इसके बाद उत्तर प्रदेश (10) का स्थान है।
क्या है रामसर स्थल
रामसर स्थल रामसर अभिसमय के तहत अंतरराष्ट्रीय महत्त्व की आर्द्रभूमि होती है।
रामसर अभिसमय वर्ष 1971 में यूनेस्को द्वारा स्थापित ‘कन्वेंशन ऑन वेटलैंड्स’ के रूप में भी जाना जाता है।
इस अभिसमय पर ईरान के रामसर शहर में सदस्य देशों ने हस्ताक्षर किए थे।
रामसर स्थल की पहचान दुनिया में नम यानी आर्द्र भूमि के रूप में होती है। इसमें ऐसी आर्द्र भूमि शामिल की जाती है, जहां जलीय पक्षी भी बड़ी संख्या में रहते है।
किसी भी आर्द्रभूमि के रामसर साइट में शामिल होने से उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर से सहयोग भी प्रदान किया जाता है।