प्रारंभिक परीक्षा –नाइक यशवन्त घाडगे मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-1 |
चर्चा में क्यों
नाइक यशवंत घाडगे एक भारतीय नायक थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के इतालवी अभियान (1943-45) के दौरान सेवा की। वह युद्ध के भूले हुए भारतीय नायकों के प्रतीक हैं।
प्रमुख बिंदु
- घाडगेने23 साल की उम्र में अकेले ही इटली के मोन्टोन में दुश्मन की एक चौकी पर कब्ज़ा कर लिया।
- उन्हें मरणोपरांत ब्रिटेन के सर्वोच्च सैन्य सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया।
- ब्रिटिशभारतीयसेनाकाहिस्साभारतीयसैनिकोंनेमित्रदेशोंकेयुद्धप्रयासोंमें5 मिलियन से अधिक सैनिकों का योगदान दियाजिनमें से लगभग 50,000 ने इतालवी अभियान में भाग लिया।
- 10 जुलाई 1944 को ऊपरी तिबर घाटी की ऊंचाइयों पर लड़ाई में मारे गए ।
- नाइक घाडगे महरत्ता लाइट इन्फैंट्री के एक सैनिक थे जिन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945) के दौरान इटली में सेवा दी।
- यूके के राष्ट्रीय सेना संग्रहालय के अनुसारवह केवल 22 वर्ष के थे जब धुरी राष्ट्रों से लड़ते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
- इस ऑपरेशन के पहले चरण में 3/5वीं महरत्ता लाइट इन्फैंट्री को 10वीं भारतीय डिवीजन की अन्य यूनिट के साथसिट्टा डे कैस्टेलो शहर पर कब्ज़ा करने में सहायता करने के लिए ऊपरी तिबर घाटी के पहाड़ी इलाके के माध्यम से पेरुगिया से आगे बढ़ना था।
प्रश्न: निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- नाइक यशवंत घाडगे एक भारतीय नायक थे जिन्होंने प्रथम विश्व युद्ध के इतालवी अभियान (1943-45) के दौरान सेवा की।
2.नाइक यशवंत घाडगे को मरणोपरांत ब्रिटेन के सर्वोच्च सैन्य सम्मान विक्टोरिया क्रॉस से सम्मानित किया गया।
उपर्युक्तमेंसेकितनेकथनसहीहैं?
(a)केवल 1
(b)केवल 2
(c) कथन 1 और 2
(d) न तो 1 ना ही 2
उत्तर: (b)
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स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस