(प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय, आपदा और आपदा प्रबंधन)
संदर्भ
- हाल ही में, केंद्र सरकार ने बाँध सुरक्षा के लिये राष्ट्रीय प्राधिकरण का गठन किया है। साथ ही, 22 सदस्यीय एक राष्ट्रीय समिति भी गठित की है, जिसकी अध्यक्षता केंद्रीय जल आयोग के अध्यक्ष करेंगे।
- विदित है कि पिछले वर्ष पारित किये गए बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021में केंद्र सरकार द्वारा एक‘राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा प्राधिकरण’ के गठन का प्रावधान किया गया था। इसके अतिरिक्त बाँध सुरक्षा नीतियों, प्रोटोकॉल और प्रक्रियाओं को विकसित करने के लिये ‘राष्ट्रीय बाँध सुरक्षा समिति’ के गठन की व्यवस्था भी की गई थी।
प्राधिकरण के उद्देश्य
- बाँध सुरक्षा से संबंधित मानकों को बनाए रखना।
- बाँध से संबंधित आपदाओं को रोकना।
- राज्य बाँध सुरक्षा संगठनों के मध्य विवादों को हल करने का प्रयास करना।
प्राधिकरण की संरचना
- प्राधिकरण में एक अध्यक्ष एवं पाँच अन्य सदस्य होंगे।ये सदस्य पाँच विंग का नेतृत्व करेंगे, जो इस प्रकार है-
- नीति और अनुसंधान (Policy and Research)
- तकनीकी (Technical)
- विनियमन (Regulation)
- आपदा और लचीलापन (Disaster and Resilience)
- प्रशासन और वित्त (Administrationand Finance)
- प्राधिकरण का मुख्यालय राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र नई दिल्ली में स्थित होगा एवं चार क्षेत्रीय कार्यालय भी स्थापित होंगे।
बाँध सुरक्षा अधिनियम, 2021
- यह अधिनियम सभी बड़े बाँधों की निगरानी, निरीक्षण, परिचालन और रखरखाव संबंधी सुविधा प्रदान करेगा, ताकि बाँध से होने वाली आपदा को रोका जा सके।
- इस अधिनियम के क्रियान्वयन से जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न हुई चुनौतियों के कारण बाँध सुरक्षा से जुड़ी गंभीर समस्याओं का समाधान निकाला जा सकेगा। साथ ही, बाँधों के नियमित निरीक्षण और जोखिम संबंधी वर्गीकरण की व्यवस्था भी की जा सकेगी।
- इसके तहत केंद्र और राज्य स्तरों पर एक संस्थागत तंत्र की व्यवस्था का प्रावधान किया गया, ताकि बाँधों के सुरक्षित परिचालन के लिये आवश्यक संरचनात्मक व गैर-संरचनात्मक उपायों की दिशा में कार्य किया जा सके।
अधिनियम से संबंधित अन्य मुद्दे
- कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु और ओडिशा सहित कई राज्यों ने इस कानून का इस आधार पर विरोध किया है कि यह बाँधों के प्रबंधन के लिये राज्यों की संप्रभुता पर अतिक्रमण है। उनका मानना है किसंविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘जल’राज्य सूची की प्रविष्टि 17 का विषय है। राज्यों के अनुसार इस अधिनियम में बाँध परियोजनाओं से प्रभावित लोगों को क्षतिपूर्ति के भुगतान के प्रावधान नहीं है।
- केंद्र सरकार के अनुसार जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति द्वारा वर्ष 2011 की रिपोर्ट में संघ सूची की प्रविष्टि 56 को लागू करते हुये यह कानून तैयार कियागया है। निर्दिष्ट बाँधों के लिये एक समान बाँध सुरक्षा प्रक्रिया का निर्माण जनहित में अपरिहार्य है।
निष्कर्ष
- बाँधों की सुरक्षा या उनके संचालन से संबंधित मुद्दे अक्सर राज्यों के बीच विवाद का कारण रहे हैं। मुल्लापेरियार बाँध को लेकर केरल और तमिलनाडु के बीच चल रहा विवाद एक प्रमुख उदाहरण है।
- बाँध सुरक्षा अधिनियम देश में बाँध सुरक्षा और विवाद निपटान में एक संस्थागत संरचना प्रदान करने के लिये प्रतिबद्ध है।