प्राचीन भारत में प्रशासनिक व्यवस्था
धार्मिक और दार्शनिक ग्रंथों में प्रशासन का उल्लेख
- मनुस्मृति और कौटिल्य के अर्थशास्त्र जैसे ग्रंथों में राजधर्म, प्रशासनिक ढांचे, अधिकारियों की नियुक्ति और उनके कर्तव्यों का उल्लेख मिलता है।
- शासन में न्याय, कर-संग्रह, जनकल्याण, और दंड नीति पर विशेष बल दिया गया था।
महाभारत और रामायण
- इन महाकाव्यों में राजधर्म, दंडनीति, और राज्य व्यवस्था के उच्च आदर्शों का उल्लेख मिलता है।
- राजा को जनता का रक्षक और नैतिक मूल्यों का पालनकर्ता माना गया।
मौर्य काल की प्रशासनिक व्यवस्था (322–185 ई.पू.)
- कौटिल्य (चाणक्य) के अर्थशास्त्र में विस्तृत प्रशासनिक ढांचे का उल्लेख है।
- सम्राट अशोक ने राजुक, महामात्र, युक्त आदि अधिकारियों की नियुक्ति की थी।
- ये अधिकारी न्याय, कर संग्रह, जन-कल्याण और राज्य की निगरानी जैसे कार्य करते थे।
- शिलालेखों में "धम्म नीति" का उल्लेख मिलता है, जो शासन में नैतिकता और लोकहित को प्रमुखता देता है।
गुप्त काल की प्रशासनिक व्यवस्था (319–550 ई.)
- इस काल में विकेन्द्रीकरण की प्रवृत्ति देखी गई।
- प्रशासनिक पदों में उपरिक, विषयपति, नगरपति, और ग्रामिक जैसे पदाधिकारी नियुक्त होते थे।
- स्थानीय प्रशासन को अधिक अधिकार प्राप्त थे, जिससे शासन सुगठित रूप से चलता था।
मध्यकालीन भारत की प्रशासनिक व्यवस्था
दक्षिण भारत के साम्राज्य:
- चोल, चेर, पाण्ड्य और विजयनगर साम्राज्य में संगठित प्रशासनिक तंत्र था।
- चोलों के काल में स्थानीय स्वशासन प्रणाली (Local Self-Government) अत्यंत विकसित थी।
- ग्राम सभाएं (उर, सभा, नगरम) सक्रिय रूप से कर संग्रह, न्याय और विकास कार्यों में लगी रहती थीं।
छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रशासन
- शिवाजी ने एक संगठित प्रशासनिक ढांचा स्थापित किया जिसे "अष्टप्रधान मंडल" कहा जाता था, जिसमें आठ मंत्री विभिन्न विभागों का संचालन करते थे:
- पेशवा, अमात्य, सुमंत, सचिव, पंडितराव, सेनापति, नायक, न्यायाधीश
- प्रशासनिक ढांचा:
- स्वराज्य (मुख्य प्रशासन) → प्रांत → विभाग → परगना → उपखंड → गांव
- गांव प्रशासन की सबसे छोटी इकाई होती थी, जिसका संचालन ग्रामसभा करती थी।
मुगल काल की प्रशासनिक व्यवस्था
- मुगल शासन में प्रशासनिक ढांचे को व्यवस्थित किया गया:
- मानसबंदी प्रणाली, सबहों (प्रांतों) और सरकार (जनपद) का विभाजन किया गया।
- न्यायपालिका, पुलिस और राजस्व प्रशासन को अलग-अलग विभागों में बांटा गया।
- राजस्व नीति में टोडरमल की व्यवस्था को ऐतिहासिक माना जाता है।
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