(प्रारंभिकपरीक्षा :)
(मुख्य परीक्षा,सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: सांविधिक, विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय)
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संदर्भ
22 अक्तूबर, 2024 को ‘विजया किशोर रहाटकर’को राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) का नौवां अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। इन्होनेरेखा शर्मा (अगस्त 2018 से अक्तूबर 2024) का स्थान लिया है।इसके अतिरिक्त अर्चना मजूमदार को एन.सी.डब्ल्यू.का सदस्य नामित किया गया है।
राष्ट्रीय महिला आयोगके बारे में
- स्थापना: 31 जनवरी, 1992
- यह राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत स्थापित एक सांविधिकनिकाय (Statutory Body)है।
- नोडल मंत्रालय : महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (MoWCD)।
- प्रथम अध्यक्ष : जयंती पटनायक
- प्रथम पुरुष सदस्य : आलोक रावत (IAS)
- स्वरुप: सलाहकारी निकाय
- यह आयोग सिविल न्यायालय की शक्तियां धारण करता हैऔर मामलों की जाँच एवं विभागों से रिपोर्ट मांग सकता हैतथा किसी भी व्यक्ति को या अधिकारी को सम्मन भी जारी कर सकता है।
- प्रशासनिक ढांचा : वैधानिक शाखा, अनुसंधानशाखा एवं कल्याणकारी शाखा
विजया किशोर रहाटकर के बारे में
- पिछली भूमिका : महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष (2016-2021)
- महत्वपूर्ण पहल
- सक्षमा : एसिड अटैक सर्वाइवर्स के लिए सहायता
- प्रज्वला : स्वयं सहायता समूहों को सरकारी योजनाओं से जोड़ना
- सुहिता : महिलाओं के लिए 24x7 हेल्पलाइन
- कानूनी सुधार : पोक्सो(POCSO), ट्रिपल तलाक रोधी सेल और मानव तस्करी रोधी इकाइयों जैसे मुद्दों पर ध्यान पर केंद्रित करना
- डिजिटल साक्षरता : विभिन्नकार्यक्रमोंके साथ महिलाओं के मुद्दों परएक प्रकाशन ‘साद’ (Saad) का शुभारंभ
- लिखित पुस्तकें
- विधिलिखित
- औरंगाबाद: लीडिंग टू वाइड रोड्स
- पुरस्कार
- राष्ट्रीय विधि पुरस्कार
- राष्ट्रीय साहित्य परिषद द्वारा सावित्रीबाई फुले पुरस्कार
- राजनीतिकअनुभव
- महापौर : छत्रपति संभाजीनगर (2007-2010)
- इन्होंनेस्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया।
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पृष्ठभूमि
- अंतर्राष्ट्रीय महिला वर्ष (1975) से पहले वर्ष 1971 में महिलाओं की स्थिति पर रिपोर्ट के लिए संयुक्त राष्ट्र के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय शिक्षा एवंसमाज कल्याण मंत्रालय ने भारत में महिलाओं की स्थिति पर एक समिति (CSWI) नियुक्त की।
- इससमिति ने एक स्थायी राष्ट्रीय आयोग की सिफारिश की और उसकी रिपोर्ट में कहा गया कि भारतीय राज्य लैंगिक समानता सुनिश्चित करने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी में विफल रहे हैं।
- परिणामस्वरूप, कई राज्यों ने स्थानीय निकायों में महिलाओं के लिए आरक्षण की घोषणा की।
उद्देश्य
- महिलाओं के लिए संवैधानिक और कानूनी सुरक्षा उपायों की समीक्षा करना
- सुधार के लिए विधायी उपायों की सिफारिश करना
- शिकायत निवारण को सुगम बनाना
- महिलाओं से संबंधित नीतिगत मामलों पर सरकार को सलाह देना
संघटन
- अध्यक्ष :केंद्र सरकार द्वारा मनोनीत (नियुक्त)
- सदस्य :केंद्रसरकार द्वारा नामित पांच विशेषज्ञ सदस्य
- अनुसूचित जाति से एक सदस्य
- अनुसूचित जनजाति से एक सदस्य
- इनकी नियुक्ति क्रमिक रूप में होगी।
- ये सदस्य महिलासशक्तिकरणएवंकल्याण में विशेषज्ञता वाले होनेचाहिए।
- सचिव: अध्यक्ष व सदस्यों के अतिरिक्त संघ सरकार द्वारा आयोग में सदस्य सचिव की नियुक्ति
- सचिव को सिविल सेवक होना चाहिए।
- नियुक्ति : राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 की धारा-3 के तहत केंद्र सरकार के द्वारा
- कार्यकाल : अध्यक्ष व प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल तीन वर्ष अथवा 65 वर्ष की आयु तक तक (जो भी पहले हो)
- अध्यक्ष: अपने कार्यकाल के बाद पुनः नामांकन के लिए पात्र।
- सदस्य: सदस्य के रूप में पुनः नामांकन या अध्यक्ष के रूप में नामांकन के लिए पात्र।
- सीमा: ऐसे व्यक्ति जो किसी भी पद पर दो कार्यकाल पूरा कर चुके हैं (सदस्य-सचिव को छोड़कर) वे पुनः नामांकन के लिए अपात्र हैं।
- कार्यवाहक अध्यक्ष: यदि अध्यक्ष बीमारी या अन्य कारणों से अक्षम हो जाता है, तो केन्द्र सरकार किसी अन्य सदस्य को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए नामित करेगी, जब तक कि अध्यक्ष अपना कार्यभार संभाल नहीं लेता।
- अध्यक्ष पद में रिक्ति: अध्यक्ष की मृत्यु या त्यागपत्र की स्थिति में, केन्द्र सरकार एक सदस्य को अध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए नामित करेगी, जब तक कि रिक्त स्थान को नए नामांकन के माध्यम से नहीं भरा जाता।
- एनसीडब्ल्यू की समितियां : राष्ट्रीय महिला आयोग विशिष्ट मुद्दों के समाधान के लिए आवश्यकतानुसार समितियों का गठन कर सकता है।
- सदस्यों का सह-चयन: आयोग को किसी भी समिति में गैर-सदस्यों को सहयोजित करने का अधिकार है।
- सहयोजित व्यक्ति बैठकों में भाग ले सकते हैं तथा चर्चाओं में भाग ले सकते हैं, लेकिन उन्हें मतदान का अधिकार नहीं होता। वे बैठकों में भाग लेने के लिए निर्धारित भत्ते के हकदार हैं।
- निर्णयों का प्रमाणीकरण: आयोग द्वारा दिए गए सभी आदेशों और निर्णयों को सदस्य-सचिव या किसी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए।
- लोक सेवक का दर्जा: राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष, सदस्य, अधिकारी और कर्मचारी लोक सेवक माने जाते हैं।
आयोग के कार्य
- जांच एवंपरीक्षण : संविधान और कानूनों के तहत महिलाओं के लिए सुरक्षा उपायों से संबंधित मामलों की जांच करना
- रिपोर्टिंग : इन सुरक्षा उपायों की प्रभावशीलता पर केंद्रसरकार को वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना और महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए सिफारिशें करना
- समीक्षा एवंअनुशंसाएँ : महिलाओं को प्रभावित करने वाले मौजूदा कानूनों की समीक्षा करना और अपर्याप्तताओं को दूर करने के लिए संशोधन का सुझाव देना
- संवैधानिक एवं कानूनी उल्लंघन : महिलाओं के अधिकारों से संबंधित संवैधानिक और कानूनी उल्लंघन के मामलों को संबंधित प्राधिकारियों के समक्ष उठाना
- शिकायत निवारण : निम्नलिखित के संबंध में शिकायतें संबोधित करना-
- महिलाअधिकारों से वंचन का मामला
- सुरक्षात्मक कानूनों का कार्यान्वयन न करना
- कल्याणकारी नीतियों का अनुपालन न करना
- विशेष अध्ययन : महिलाओं के विरुद्ध भेदभाव वहिंसा की जांच करना; बाधाओं की पहचान करना और सुधार के लिए रणनीतियों की सिफारिश करना
- अनुसंधान प्रोत्साहन:महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने और उन्नति में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए शैक्षिक अनुसंधान का संचालन करना
- सलाहकार भूमिका : महिलाओं के लिए सामाजिक-आर्थिक विकास योजना पर सलाह देना
- प्रगति मूल्यांकन : संघ और राज्य दोनों स्तरों पर महिलाओं की विकास प्रगति का मूल्यांकन करना
- निरीक्षण शक्तियां : महिलाओं को रखने वाली जेलों और संस्थाओं का निरीक्षण करना तथा आवश्यकतानुसार सुधारात्मक कार्रवाई की सिफारिश करना
- विधिक सहायता : महिलाओं के बड़े समूह को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर मुकदमेबाजी के लिए धन उपलब्ध कराना
- आवधिक रिपोर्टिंग : महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों पर सरकार को नियमित रिपोर्ट उपलब्ध कराना
- अतिरिक्त मामले : केंद्रसरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी अन्य मुद्दे पर विचार करना
वार्षिक रिपोर्ट
- आयोग प्रत्येक वित्तीय वर्ष के लिए एक वार्षिक रिपोर्ट तैयार करता है, जिसमें पिछले वर्ष की उसकी गतिविधियों का ब्यौरा होता है।
- संसद में प्रस्तुति : संसद के दोनों सदनों में वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी केन्द्र सरकार की है। इस प्रस्तुति में शामिल हैं:
- रिपोर्ट की सिफारिशों पर की गई कार्रवाई का विवरण देने वाला ज्ञापन
- सिफारिशों को अस्वीकार करने के कारण
- आयोग की गतिविधियों से संबंधित लेखापरीक्षा रिपोर्ट
संसदीय निरीक्षण
- राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के अंतर्गत बनाया गया प्रत्येक नियम, बनाए जाने के पश्चात यथाशीघ्र, संसद के प्रत्येक सदन के समक्ष, जब वह सत्र में हो, कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा।
- यह अवधि एक सत्र में अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी।
- यदि दोनों सदन अगले सत्र की समाप्ति से पहले किसी नियम में संशोधन या अस्वीकृति पर सहमत हो जाते हैं, तो वह नियम केवल अपने संशोधित रूप में ही प्रभावी रहेगा या निरस्त हो जाएगा।
- संशोधन या निरस्तीकरण से परिवर्तन किए जाने से पहले नियम के तहत की गई कार्रवाइयों की वैधता प्रभावित नहीं होती है।
महत्व
- लैंगिक समानता : भारत में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं के मुद्दों को संबोधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना
- नीतिगत प्रभाव : महिलाओं के अधिकारों और कल्याण के लिए सहायक कानून व नीतियां बनाने पर सरकार को सलाह देना।
- केन्द्र सरकार को महिलाओं को प्रभावित करने वाले सभी प्रमुख नीतिगत मामलों पर राष्ट्रीय महिला आयोग से परामर्श करना आवश्यक है।