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राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन

(प्रारम्भिक परीक्षा: आर्थिक और सामाजिक विकास- सतत विकास, सामाजिक क्षेत्र में की गई पहल आदि)
(मुख्य परीक्षा: समान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: विषय-स्वास्थ्य)

चर्चा में क्यों?

15 अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा स्वतंत्रता दिवस के सम्बोधन में देश के सभी नागरिकों को स्वास्थ्य पहचान पत्र उपलब्ध कराने हेतु राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन की शुरुआत की गई है।

पृष्ठभूमि

  • प्रधानमंत्री द्वारा की गई घोषणा से पहले ही नीति आयोग द्वारा इस विषय पर कार्य आरम्भ कर दिया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 में डिजिटल स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी के निर्माण की परिकल्पना की गई थी, जिसका उद्देश्य समन्वित स्वास्थ्य सूचना प्रणाली का विकास करना था ताकि सभी हितधारकों की आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
  • इस प्रकार नीति आयोग ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य विविधता में प्रत्येक भागीदार उपयोगकर्ता के लिये विशिष्ट पहचान सुनिश्चित करने हेतु एक केंद्रीकृत प्रणाली के निर्माण का प्रस्ताव रखा था।

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन

  • इसे एक पायलट परियोजना के रूप में देश के 6 केंद्रशासित प्रदेशों में आरम्भ किया जाएगा।
  • इस मिशन का मुख्य उद्देश्य नागरिकों को सही चिकित्सक खोजने, उनसे मिलने का समय लेने, चिकित्सक परामर्श शुल्क का भुगतान करने तथा अस्पतालों के बेवजह चक्कर लगाने से मुक्ति दिलाना है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के 6 आधारभूत स्तम्भ हैं, जिनमें स्वास्थ्य पहचान पत्र, डिजी-डॉक्टर, स्वास्थ्य सुविधा रजिस्ट्री, निजी स्वास्थ्य रिकार्ड्स और टेलीमेडिसिन शामिल हैं।
  • यह मिशन पूरी तरह से प्रौद्योगिकी आधारित है, जो भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाने की क्षमता रखता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहचान पत्र

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहचान पत्र में प्रत्येक भारतीय नागरिक के स्वास्थ्य सम्बंधी सूचनाओं का भण्डार होगा। साथ ही यह सूचनाओं का यह भण्डार तंत्र एक रिपॉज़िटरी के रूप में भी कार्य करेगा। इसमें डॉक्टर के चुनाव करने, दवाई निर्धारण करने, चिकित्सा परीक्षणों, सार्वजानिक और निजी स्वास्थ्य सेवा से सम्बंधित किसी भी व्यक्ति के बारे में स्वास्थ्य प्रोफाइल का डाटा विस्तार से उपलब्ध होगा।
  • मिशन के तहत प्रत्येक भारतीय नागरिक को एक स्वास्थ्य पहचान पत्र जारी किया जाएगा, जिसमें उसकी स्वास्थ्य पृष्ठभूमि, उपचार और परीक्षण सम्बंधी प्रासंगिक जानकारी होगी।
  • रोगी अपनी इक्षानुसार स्वास्थ्य प्रष्ठभूमि का रिकॉर्ड रख सकता है, जिसके लिये उसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहचान पत्र सृजित करना होगा।
  • प्रत्येक स्वास्थ्य पहचान पत्र को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के स्वास्थ्य डाटा सहमति प्रबंधक से जोड़ा जाएगा, जिसका उपयोग रोगी की सहमति प्राप्त करने में एवं स्वास्थ्य सूचना के अबाध प्रवाह को सुनिश्चित करने में किया जा सकता है।
  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य पहचान पत्र किसी व्यक्ति के मोबाइल नम्बर और आधार नम्बर के माध्यम से सृजित किया जा सकता है।

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (National Health Authority-NHA)

  • राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय को राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के डिज़ाइन एवं कार्यान्वयन का उत्तरदायित्त्व सौंपा गया है।
  • स्वास्थ्य डाटा विश्लेषकों और और चिकित्सा अनुसंधान को बढ़ावा देने हेतु निजी क्षेत्र के प्रोत्साहित किया जाएगा। हालाँकि स्वास्थ्य पहचान पत्र की स्वीकृति और डॉक्टर की स्वीकृति सरकारी संस्था के पास ही रहेगी। अतिरिक्त रिकॉर्ड जैसे व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा इलेक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य रिकॉर्ड को निजी क्षेत्र द्वारा विकसित किया जा सकता है।

मिशन के लाभ

  • यह मिशन विभिन्न हितधारकों जैसे, डॉक्टरों, अस्पतालों और अन्य स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के मध्य मौजूदा अंतर को कम करके उन्हें एक एकीकृत डिजिटल स्वास्थ्य आधारभूत ढाँचे के साथ जोड़ने का कार्य करेगा।
  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन एक समग्र स्वैक्षिक स्वास्थ्य कार्यक्रम है। जिसमें स्वास्थ्य पहचान पत्र लेने का विकल्प होगा। अगर कोई व्यक्ति स्वास्थ्य पहचान पत्र प्राप्त नहीं करता है तब भी उसे स्वास्थ्य सेवा मुहैया कराई जाएगी।
  • डिजिटल अवसंरचना के निर्माण से उपयोगकर्ताओं द्वारा अपने स्वास्थ्य रिकार्ड्स की जानकारी किसी भी समय प्राप्त की जा सकती है। साथ ही इन रिकार्ड्स के माध्यम से साक्ष्य आधारित नीति निर्माण में सहायता प्राप्त होती है।
  • राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन सयुंक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में भारत की प्रतिबद्धताओं को तीव्र गति से पूरा करने में सक्षम है।
  • ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने के प्रावधान से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की पहुँच सुनिश्चित हो सकती है।

मिशन की चुनौतियाँ

  • स्वास्थ्य क्षेत्र में अपर्याप्त मानव संसाधनों और आधारभूत ढाँचे के कारण केवल डिजिटलीकरण किया जाना एक विकल्प के रूप में कार्य नहीं कर सकता है।
  • योजना की उपयोगिता की सफलता हेतु डिजिटल जागरूकता आम लोगों के समक्ष एक व्यापक चुनौती है।
  • भारत में अभी तक सभी लोगों तक स्मार्टफ़ोन की पहुँच सुनिश्चित नहीं है इसलिये स्वास्थ्य सेवाओं के डिजिटलीकरण से एक नई विषमता का जन्म होगा जिससे आम लोगों की समस्याएँ बढ़ने की संभावनाएँ हैं।

निष्कर्ष

राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जो देश के नागरिकों को सस्ती और सुरक्षित सेवाएँ प्रदान करेगा।

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