(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2: सांविधिक विनियामक और विभिन्न अर्द्ध-न्यायिक निकाय)
चर्चा में क्यों ?
लेखा परीक्षा नियामक, “राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण” (National Financial Reporting Agency-NFRA) द्वारा भारतीय प्रबंधन संस्थान, बेंगलुरु के प्रोफेसर आर. नारायण स्वामी की अध्यक्षता में एक ‘तकनीकी सलाहकार समिति’ का गठन किया गया है। इस समीति में अध्यक्ष सहित सात सदस्य होंगे। यह समीति एन.एफ.आर.ए. के ‘कार्यकारी निकाय’ को लेखांकन और अंकेक्षण मानकों के प्रारूप या मसौदा सम्बंधी मुद्दों पर सलाह देगी।
राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण
- राष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्टिंग प्राधिकरण का गठन 1 अक्तूबर, 2018 को कम्पनी अधिनियम, 2013 की धारा 132 (1) के तहत किया गया था।
- कई लेखांकन घोटालों के कारण तथा ऑडिटिंग मानकों के बेहतर प्रवर्तन एवं ऑडिट की गुणवत्ता सुनिश्चित करने हेतु एक स्वतंत्र नियामक के निर्माण की आवश्यकता महसूस की जा रही थी ताकि कम्पनियों और निवेशकों की वित्तीय जानकारी की पारदर्शिता से जनता में विश्वास बढ़ाया जा सके।
- कम्पनी अधिनियम के तहत, एन.एफ.आर.ए. के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष तथा अधिकतम 15 सदस्य होंगे।
कार्य एवं कर्तव्य
- केंद्र सरकार के अनुमोदन से कम्पनियों द्वारा अपनाई जाने वाली लेखांकन और अंकेक्षण नीतियों और मानकों की सिफारिश करना।
- लेखा मानकों और ऑडिटिंग मानकों के अनुपालन की निगरानी और प्रवर्तन करना।
- इस प्रकार के मानकों का अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु सम्बंधित व्यवसायों की सेवा गुणवत्ता पर निगरानी रखना और आवश्यक सुधारों हेतु सुझाव प्रस्तुत करना।
- उपरोक्त कार्यों और कर्त्तव्यों के प्रवर्तन हेतु आवश्यक और आकस्मिक कदम उठाना।
एन.एफ.आर.ए. की शक्तियाँ
- यह सूचीबद्ध कम्पनियों और ऐसी गैर-सूचीबद्ध कम्पनियों की जाँच कर सकता है, जिनकी गत वित्त वर्ष में भुगतान पूंजी (Paid-up Capital) कम-से-कम 500 करोड़ रुपए हो या वार्षिक टर्नओवर (Annual Turover) 1000 करोड़ रुपए से अधिक हो, अथवा जिनके पास कम-से-कम 500 करोड़ का कुल ऋण, ऋणपत्र या जमा हो। छोटी सूचीबद्ध कम्पनियाँ आई.सी.ए.आई. के अधिकार में आती हैं।
- इस संस्थान द्वारा स्वतः संज्ञान के तहत या केंद्र सरकार के निर्देश पर चार्टेड अकाउंटेंट या सी.ए. फर्मों पर पेशेवर कदाचार की जाँच की जा सकती है तथा उन पर ज़ुर्माने के साथ 10 वर्ष तक प्रतिबंध भी लगाया जा सकता है।
एन.एफ.आर.ए. का महत्त्व
- एन.एफ.आर.ए. के संविधान के तहत, भारत अब इंटरनेशनल फोरम ऑफ इंडिपेंडेंट ऑडिट रेगुलेटर्स का सदस्य बनने योग्य है। ध्यातव्य है कि भारत को पहले एक स्वतंत्र ऑडिट संस्था के अभाव में इसकी सदस्यता प्रदान करने से मना कर दिया गया था।
- इससे घरेलू स्तर के साथ-साथ वैश्विक स्तर पर भी भारत के प्रति निवेशकों के विश्वास में वृद्धि होगी, जिससे घरेलू तथा विदेशी निवेश में वृद्धि होगी।
- यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय नियमों के साथ समन्वय करके वैश्वीकरण को और अधिक प्रोत्साहित करने में सहायता प्रदान करेगी।
- एन.एफ.आर.ए. भारतीय ऑडिटिंग पेशे को वैश्विक मानकों के अनुरूप विकसित करेगी।
आई.सी.ए.आई. (ICAI)
- भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (The Institute of Chartered Accountants of India - ICAI) एक सांविधिक निकाय है, जिसकी स्थपाना आई.सी.ए.आई. अधिनियम, 1949 के तहत की गई थी।
- यह संस्थान कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है तथा इसका उद्देश्य देश में चार्टड एकाउंटेंसी के पेशे को विनियमित करना है।
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चुनौतियाँ एवं समाधान
- एन.एफ.आर.ए. के पास व्यावसायिक गुणवत्ता की निगरानी और मध्यम एवं बड़े आकार की ऑडिट फर्म के लिये अनुशासन सम्बंधी नियमों एवं मानकों के लिये दिशा-निर्देश देने हेतु पर्याप्त संरचनात्मक और प्रक्रियात्मक क्षमता का अभाव है।
- एन.एफ.आर.ए. को अधिक प्रभावी बनाने हेतु इसमें सत्यनिष्ठा के मूल्य का अनुसरण करने वाले स्वतंत्र विशेषज्ञों का समावेश होना चाहिये।
- एन.एफ.आर.ए. और आई.सी.ए.आई. के बीच किसी प्रकार का विरोधाभास नहीं है। इन दोनों संस्थाओं के अपने विशेष क्षेत्राधिकार हैं, इसलिये दोनों संस्थाओं को सह-अस्तित्त्व की भावना के साथ आपसी तालमेल बनाकर कार्य करने के साथ एक-दूसरे को पूरक के रूप में देखना चाहिये।
- एन.एफ.आर.ए. को आई.सी.ए.आई. के कार्यक्षेत्र में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिये। इससे नियामक टकराव (Regulatory Conflict) की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- एन.एफ.आर.ए. को कम्पनी सचिवों पर भी निगरानी रखनी चाहिये जो वर्तमान में भारतीय कम्पनी सचिव संस्थान (ICSI) द्वारा शासित होते हैं, क्योंकि कम्पनी के नियमों के अनुपालन के सम्बंध में उनकी समान रूप से भूमिका होती है।