New
IAS Foundation New Batch, Starting from 27th Aug 2024, 06:30 PM | Optional Subject History / Geography | Call: 9555124124

राष्ट्रीय हरित अधिकरण और क्षेत्रीय पीठ

चर्चा में क्यों

हाल ही में, मद्रास उच्च न्यायालय ने वर्ष 2017 की उस केंद्रीय अधिसूचना को अस्वीकार कर दिया है, जिसमें राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की दिल्ली स्थित उत्तरी क्षेत्र की पीठ को प्रधान पीठ के रूप में संदर्भित किया गया था।

प्रमुख बिंदु

  • न्यायालय के अनुसार, यह अधिसूचना प्रथम दृष्टया एन.जी.टी. अधिनियम, 2010 के प्रतिकूल है, क्योंकि इस अधिनियम में किसी भी प्रधान पीठ के बारे में उल्लेख नहीं है।
  • न्यायालय के अंतरिम आदेश में एन.जी.टी. की सभी पाँच क्षेत्रीय पीठों को समान रूप से शक्तिशाली माना गया है, अर्थात् एन.जी.टी. की किसी भी पीठ द्वारा लिये गए निर्णय का अखिल भारतीय प्रभाव होगा और यह नहीं कहा जा सकता है कि केवल दिल्ली पीठ द्वारा किसी मुद्दे पर लिये गए निर्णय का अखिल भारतीय प्रभाव होगा
  • यह आदेश चेन्नई के एक पर्यावरण कार्यकर्ता के मामले को दक्षिणी क्षेत्र की पीठ द्वारा दिल्ली की प्रधान पीठ को स्थानांतरित करने के फैसले के खिलाफ दायर रिट याचिका पर पारित किया गया।
  • न्यायालय के अनुसार, एन.जी.टी. को लोगों की सुविधा के लिये पाँच क्षेत्रों/पीठों- उत्तर (नई दिल्ली), पूर्व (कोलकाता), केंद्रीय (भोपाल), दक्षिण (चेन्नई) और पश्चिम (पुणे) में विभाजित किया गया है, जिसमें निर्दिष्ट राज्यों के लिये क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र शामिल है।
  • यदि मामलों को दिल्ली स्थानांतरित करने की ऐसी प्रक्रिया अपनाई जाती है, तो यह न्याय तक पहुंच से वंचित करने के समान होगी।

राष्ट्रीय हरित अधिकरण 

  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना अक्तूबर 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम के तहत की गयी थी।
  • राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना का उद्देश्य पर्यावरण एवं वन संरक्षण और अन्य प्राकृतिक संसाधनों सहित पर्यावरण से संबंधित किसी भी कानूनी अधिकार के प्रवर्तन और क्षतिग्रस्त व्यक्ति अथवा संपत्ति के लिये अनुतोष और क्षतिपूर्ति प्रदान करना और इससे संबंधित मामलों का प्रभावशाली और तीव्र गति से निपटारा करना है।
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR