(प्रारम्भिक परीक्षा: राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 व 3: शासन व्यवस्था, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्त्वपूर्ण पक्ष, ई-गवर्नेंस: अनुप्रयोग, मॉडल, सूचना प्रौद्योगिकी, साइबर सुरक्षा की बुनियादी बातें)
चर्चा में क्यों?
हाल ही में, नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (National Intelligence Grid- NATGRID) ने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के साथ एफ.आई.आर. और वाहनों की चोरी पर केंद्रीकृत ऑनलाइन डाटाबेस का उपयोग करने के लिये समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये हैं।
नैटग्रिड: पृष्ठभूमि
- नैटग्रिड से सम्बंधित अवधारणा वर्ष 2008 के मुम्बई आतंकी हमले के बाद आतंकवाद-रोधी उपाय के रूप में सर्वप्रथम वर्ष 2009 में सामने आई।
- यह भारत सरकार की मुख्य सुरक्षा एजेंसियों के डाटाबेस को जोड़ने वाला एकीकृत ख़ुफ़िया ग्रिड है। नैटग्रिड दूरसंचार विभाग, कर रिकॉर्ड के साथ-साथ बैंक, आव्रजन आदि 21 संस्थाओं से डाटा संग्रहण करेगा।
- नैटग्रिड का उद्देश सुरक्षा व ख़ुफ़िया एजेंसियों के लिये आव्रजन प्रवेश और निकास से सम्बंधित डाटाबेस, किसी संदिग्ध के बैंकिंग और टेलीफोन से सम्बंधित विवरण हेतु एक सुरक्षित प्लेटफ़ॉर्म के रूप में वन-स्टॉप केंद्र बनाना है। इस वर्ष 31 दिसम्बर तक इस परियोजना को लाइव करने का लक्ष्य है।
- सी.सी.टी.एन.एस. और नैटग्रिड के मध्य हस्ताक्षरित एम.ओ.यू. के द्वारा नैटग्रिड को ‘अपराध व आपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क तथा सिस्टम’ (सी.सी.टी.एन.एस.) डाटाबेस तक पहुँच प्राप्त होगी, जो लगभग 14,000 पुलिस स्टेशनों को जोड़ने वाला मंच है।
- ध्यातव्य है कि सभी राज्य पुलिस को सी.सी.टी.एन.एस. में प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफ.आई.आर.) दर्ज करना अनिवार्य है।
नैटग्रिड की आवश्यकता व महत्त्व
- नैटग्रिड विभिन्न डाटा स्रोतों, जैसे- बैंक, क्रेडिट कार्ड, वीज़ा, आव्रजन तथा ट्रेन व हवाई यात्रा के विवरण के साथ-साथ ख़ुफ़िया एजेंसियों से सम्वेदनशील सूचनाओं को निकालने के लिये एक सुरक्षित केंद्रीकृत डाटाबेस बन जाएगा।
- यह ख़ुफ़िया और जाँच एजेंसियों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा। यह इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) व रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (R & AW) जैसी अन्य कम से कम 10 केंद्रीय एजेंसियों हेतु डाटा तक पहुँच प्राप्त करने के लिये एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म व माध्यम होगा।
- अत्यधिक डाटा और एनालिटिक्स के उपयोग के माध्यम से नैटग्रिड द्वारा प्रौद्योगिकी-गहन समाधान प्रस्तुत किये जाएंगे जिसमें कई हितधारक शामिल हैं।
- नैटग्रिड जैसे माध्यमों का प्रयोग करके पुलिस आदि द्वारा किसी प्रकार की जानकारी तथा सूचना प्राप्त करने के लिये कठोर और अपमानजक तरीकों के प्रयोग को रोका जा सकता है। इससे संदिग्धों की पहचान में तेज़ी आने के साथ-साथ किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी साबित किये जाने से बचाया जा सकता है, जिससे मानवाधिकार की स्थितियों में सुधार होगा।
- नैटग्रिड के माध्यम से इंटेलिजेंस ब्यूरो जैसी एजेंसियों को संदिग्ध व्यक्तियों पर नज़र रखने में भी मदद मिलेगी। पुलिस के पास संदिग्ध व्यक्ति से सम्बंधित सभी प्रकार के डाटा तक पहुँच होगी जिसके माध्यम से इनकी गतिविधियों को ट्रैक किया जा सकता है।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau)
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो को वर्ष 1986 में राष्ट्रीय पुलिस आयोग (1977-1981) और एम.एच.ए. टास्क फोर्स (1985) की सिफारिशों के आधार पर गृह मंत्रालय के अंतर्गत स्थापित किया गया था। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है।
- यह अपराध और अपराधियों की सूचनाओं के संग्राहक के रूप में कार्य करता है ताकि अपराध के मामलों में जाँचकर्ताओं की सहायता की जा सके। इसके द्वारा ‘क्राइम इन इंडिया’ रिपोर्ट ज़ारी की जाती है, जो देश भर में कानून व व्यवस्था की स्थिति को समझने में सांख्यिकीय उपकरण के रूप में कार्य करता है।
- इसके द्वारा वर्ष 2009 में सी.सी.टी.एन.एस. का विकास किया गया जिसका उद्देश्य ई-गवर्नेंस के सिद्धांतों को अपनाकर सभी स्तरों पर प्रभावी पुलिसिंग के लिये एक व्यापक व एकीकृत प्रणाली तैयार करना है।
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आलोचनाएँ व चिंताएँ
- नैटग्रिड से सम्बंधित प्रमुख आशंका निजता के सम्भावित उल्लंघन तथा निजी व गोपनीय सूचनाओं के लीक होने से सम्बंधित है जिसके आधार पर इसका विरोध किया जा रहा है।
- आतंकवाद रोधी उपायों में इसकी उपयोगिता पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया गया है, क्योंकि राज्य एजेंसियों या पुलिस बल के पास नैटग्रिड डाटाबेस को एक्सेस करने की अनुमति नहीं है, जिससे तात्कालिक व प्रभावी कार्रवाई पर अंकुश लग सकता है।
- इसके अतिरिक्त, डिजिटल डाटाबेस के दुरुपयोग सम्बंधी भी चिंताएँ है। हालिया दिनों में आतंकवादियों द्वारा डिजिटल उपकरणों का उपयोग हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने के लिये किया जा रहा है।
- इसके अलावा, नैटग्रिड सोशल मिडिया अकाउंट को भी केंद्रीय डाटाबेस से जोड़ना चाहता है, जिससे डर है कि इन अकाउंट को सम्वेदनशील सरकारी डाटा के साथ जोड़ने से ट्रोजन अटैक की आशंका बढ़ सकती है।
- साथ ही, ख़ुफ़िया विशेषज्ञों ने आशंका व्यक्त की है कि उनके कार्य और कार्यप्रणाली के संदर्भ में अन्य एजेंसियों को जानकारी लीक होने से उनका कार्य-क्षेत्र प्रभावित हो सकता है।