चर्चा में क्यों?
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने महाराष्ट्र के अमरावती में एक केमिस्ट की हत्या मामले की जांच शनिवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण(एनआईए) को सौंप दी।
राष्ट्रीय जांच अभिकरण (NIA)के बारे में-
- NIA, राष्ट्रीय जांच एजेंसी अधिनियम 2008 के तहत स्थापित, गृह मामलों के मंत्रालय के अधीन काम करता है।
- यह निम्नलिखित मामलों में अपराधों की जाँच और अभियोग चलाने की केंद्रीय एजेंसी है:
- भारत की संप्रभुता, सुरक्षा एवं अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध को प्रभावित करने वाले अपराध।
- परमाणु और परमाणु प्रतिष्ठानों के विरुद्ध अपराध।
- उच्च गुणवत्तायुक्त नकली भारतीय मुद्रा की तस्करी।
- यह अंतर्राष्ट्रीय संधियों, समझौतों, अभिसमयों (Conventions) और संयुक्त राष्ट्र, इसकी एजेंसियों तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रस्तावों का कार्यान्वयन करती है।
- इसका उद्देश्य भारत में आतंकवाद का मुकाबला करना भी है।
- यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है।
- इसका मुख्यालय नई दिल्ली में तथा शाखाएँ हैदराबाद, गुवाहाटी, कोच्चि, लखनऊ, मुंबई, कोलकाता, रायपुर और जम्मू में हैं।
क्षेत्राधिकार:
- एक राज्य सरकार केंद्र सरकार से मामले की जांच एनआईए को सौंपने का अनुरोध कर सकती है, बशर्ते मामला एनआईए अधिनियम की अनुसूची में निहित अपराधों के लिए दर्ज किया गया हो।
- केंद्र सरकार एनआईए को भारत में कहीं भी किसी भी अनुसूचित अपराध की जांच अपने हाथ में लेने का आदेश दे सकती है।
- गैर कानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (UAPA) तथा कुछ सूचीबद्ध अपराधों के तहत अभियुक्तों पर मुकदमा चलाने के लिये एजेंसी को केंद्र सरकार की मंज़ूरी लेनी होती है।
- इसे राज्यों से कोई विशेष अनुमति प्राप्त किये बिना राज्यों में आतंक-संबंधी घटनाओं की जाँच करने का अधिकार है।
संयोजन:
- एनआईए के अधिकारी भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय राजस्व सेवा से लिए जाते हैं।
विशेष एनआईए अदालतें:
- केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न विशेष न्यायालयों को अधिसूचित किया गया है।
- इन अदालतों के अधिकार क्षेत्र के बारे में कोई भी प्रश्न केंद्र सरकार द्वारा तय किया जाता है।
- इनकी अध्यक्षता उस क्षेत्र में अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश पर केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त न्यायाधीश द्वारा की जाती है।
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय को मामलों को एक विशेष अदालत से राज्य के भीतर या बाहर किसी अन्य विशेष अदालत में स्थानांतरित करने का भी अधिकार दिया गया है।