प्रारंभिक परीक्षा - सहकारी समिति, बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम 2002 मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय |
सन्दर्भ
- हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 के अंतर्गत एक बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना को मंजूरी प्रदान की गयी।
राष्ट्रीय निर्यात सहकारी समिति
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) अधिनियम, 2002 के तहत संबंधित मंत्रालयों, विशेष रूप से विदेश मंत्रालय तथा वाणिज्य विभाग, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के समर्थन से एक राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी निर्यात समिति की स्थापना और इसके संवर्धन को मंजूरी प्रदान की है।
- प्रासंगिक केंद्रीय मंत्रालय, 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' का पालन करते हुए अपनी निर्यात संबंधी नीतियों, योजनाओं और एजेंसियों के माध्यम से सहकारी समितियों और संबंधित संस्थाओं द्वारा उत्पादित सभी वस्तुओं व सेवाओं के निर्यात के लिए प्रस्तावित समिति को समर्थन प्रदान करेंगे।
- प्रस्तावित समिति निर्यात करने और इसे बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक (अम्ब्रेला) संगठन के रूप में कार्य करते हुए सहकारी क्षेत्र से निर्यात पर जोर देगी।
- इससे वैश्विक बाजारों में भारतीय सहकारी समितियों की निर्यात क्षमता को गति देने में मदद मिलेगी।
- यह समिति सहकारी समितियों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों की विभिन्न निर्यात संबंधी योजनाओं और नीतियों का लाभ प्राप्त करने में भी सहायता प्रदान करेगी
- यह सहकारी समितियों के समावेशी विकास मॉडल के माध्यम से "सहकार-से-समृद्धि" के लक्ष्य को प्राप्त करने में भी मदद करेगी, जहां सदस्य, एक ओर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात के माध्यम से बेहतर मूल्य प्राप्त करेंगे, वहीं दूसरी ओर वे समिति द्वारा उत्पन्न अधिशेष से वितरित लाभांश द्वारा भी लाभान्वित होंगे।
- प्रस्तावित समिति के माध्यम से होने वाले उच्च निर्यात के कारण सहकारी समितियां, विभिन्न स्तरों पर अपनी वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन में वृद्धि करेंगी, जिससे सहकारी क्षेत्र में रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
- वस्तुओं के प्रसंस्करण और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप सेवाओं को बेहतर बनाने से भी रोजगार के अतिरिक्त अवसर पैदा होंगे।
- सहकारी उत्पादों के निर्यात में वृद्धि, "मेक इन इंडिया" को भी प्रोत्साहन देगी, जिससे अंततः आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा मिलेगा।
- यह समिति वाणिज्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली निर्यात संवर्धन परिषद से अलग होगी जो केवल एक सुविधा के रूप में काम करती है और उन संभावित बाजारों के बारे में जानकारी प्रदान करती है जिन्हें किसी विशेष उत्पाद के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
सहकारी समिति
- लोकतांत्रिक रूप से नियंत्रित उद्यम के माध्यम से अपनी सामान्य आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक आवश्यकताओं तथा लक्ष्यों को पूरा करने के लिए स्वेच्छा से साथ आए लोगों का एक स्वतंत्र समूह एक सहकारी समिति के रूप में जाना जाता है।
- भारतीय संविधान में 97वें संविधान संशोधन अधिनियम 2011 के माध्यम से अनुच्छेद 19 (ग) को जोड़ा गया जो भारत के सभी नागरिकों को संगम या संघ के साथ-साथ सहकारी समिति बनाने का मूल अधिकार प्रदान करता है।
- संविधान के अनुच्छेद 43-B के अनुसार राज्य सहकारी समितियों के स्वैच्छिक गठन, स्वायत्त कामकाज, लोकतांत्रिक नियंत्रण और पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने का प्रयास करेगा।
- सहकारी समितियों का विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान है ये उर्वरक उत्पादन का 28.80 प्रतिशत, उर्वरक वितरण का 35 प्रतिशत, चीनी उत्पादन का 30.60 प्रतिशत और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में विपणन योग्य अधिशेष दूध की खरीद में 17.50 प्रतिशत का योगदान करते हैं।
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