प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिकी, धन्वंतरी मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 और 3 |
संदर्भ-
- चिकित्सा शिक्षा को नियंत्रित करने वाले राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा परिवर्तित नया लोगो विवादों में आ गया है, जिसमें हिंदू देवता धन्वंतरी की छवि ने भारत के राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह की जगह ले ली है।
मुख्य बिंदु-
- नए लोगो में संगठन के नाम में 'इंडिया' की जगह 'राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग - भारत' लिखा गया है।
- एनएमसी के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, एनएमसी का लोगो नहीं बदला गया है। केवल केंद्रीय तस्वीर, जो पहले काली और सफेद थी, अब रंगीन कर दी गई है।
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ शरद कुमार अग्रवाल ने कहा कि लोगो बदलना अनावश्यक था।
- डॉ शरद कुमार के अनुसार, धन्वंतरी को शामिल करना अनावश्यक था और इससे बचा जाना चाहिए था।
- नया लोगो गलत संदेश देता है और आयोग की वैज्ञानिक और धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को नुकसान पहुंचाएगा।
- नया लोगो नेशनल मेडिकोज़ ऑर्गनाइजेशन (एनएमओ) के लोगो जैसा दिखता है, जो एक राजनीतिक शाखा है।
- हाल ही में आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों का नाम बदलकर 'आयुष्मान आरोग्य मंदिर' कर दिया गया है, जिसकी टैगलाइन 'आरोग्यम परमं धनम्' है।
भगवान धन्वंतरि-
- धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा होती है।
- धन्वंतरि को आयुर्वेद का जन्मदाता और देवताओं का चिकित्सक माना जाता है।
- कुछ धर्मशास्त्रों के अनुसार, भगवान विष्णु के 24 अवतारों में 12वां अंवतार धन्वंतरि का था।
- कालांतर में धन्वंतरि (Lord Dhanvantari) नाम से एक नहीं बल्कि 3 प्रसिद्ध देव हुए हैं।
1. समुद्र मन्थन से उत्पन्न धन्वंतरि प्रथम को कहते हैं-
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- भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन से हुए थी।
- वे समुद्र में से अमृत का कलश लेकर निकले थे जिसके लिए देवों और असुरों में संग्राम हुआ था।
- समुद्र मंथन की कथा श्रीमद्भागवत पुराण, महाभारत, विष्णु पुराण, अग्नि पुराण आदि पुराणों में मिलती है।
2. धन्व के पुत्र धन्वंतरि को द्वितीय धन्वंतरि कहते हैं-
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- काशी के राजवंश में धन्व नाम के एक राजा ने उपासना करके अज्ज देव को प्रसन्न किया और उन्हें वरदान स्वरूप धन्वंतरि नामक पुत्र मिले।
- इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण और विष्णु पुराण में मिलता है।
- यह समुद्र मन्थन से उत्पन्न धन्वंतरि का दूसरा जन्म था।
- धन्व काशी नगरी के संस्थापक काश के पुत्र थे।
- काशी वंश परंपरा में हमें दो वंश परंपरा देखने को मिलती है।
- हरिवंश पुराण के अनुसार काश से दीर्घतपा, दीर्घतपा से धन्व, धन्व से धन्वंतरि, धन्वंतरि से केतुमान, केतुमान से भीमरथ, भीमरथ से दिवोदास हुए।
- विष्णु पुराण के अनुसार काश से काशेय, काशेय से राष्ट्र, राष्ट्र से दीर्घतपा, दीर्घतपा से धन्वंतरि, धन्वंतरि से केतुमान, केतुमान से भीमरथ और भीमरथ से दिवोदास हुए।
3. वीरभद्रा के पुत्र धन्वंतरि तृतीय धन्वंतरि माने जाते हैं-
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- गालव ऋषि जब प्यास से व्याकुल हो वन में भटकर रहे थे तो कहीं से घड़े में पानी लेकर जा रही वीरभद्रा नाम की एक कन्या ने उनकी प्यास बुझायी। इससे प्रसन्न होकर गालव ऋषि ने आशीर्वाद दिया कि तुम योग्य पुत्र की मां बनोगी।
- जब वीरभद्रा ने कहा कि वे तो एक वेश्या हैं, तो ऋषि उसे लेकर आश्रम गए और उन्होंने वहां कुश की पुष्पाकृति आदि बनाकर उसके गोद में रख दी तथा वेद मंत्रों से अभिमंत्रित कर प्रतिष्ठित कर दी। वही धन्वंतरि कहलाए।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- हाल ही में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग द्वारा परिवर्तित लोगो में किस देवता की छवि दिखाई गई है?
(a) अश्विनी
(b) शिव
(c) धन्वंतरि
(d) ब्रम्हा
उत्तर- (c)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- धन्वंतरि के विभिन्न अवतारों की विवेचना करें।
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