प्रारंभिक परीक्षा के लिए - राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 मुख्य परीक्षा के लिए : सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र 2 – स्वास्थ्य, सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय |
सन्दर्भ
- हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023 को मंजूरी प्रदान की गयी।
राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नीति, 2023
उद्देश्य
- चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को रोगियों की बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के साथ विकास के त्वरित पथ पर लाना।
- अगले 25 वर्षों में बढ़ते वैश्विक बाजार में 10-12 प्रतिशत हिस्सेदारी प्राप्त करके चिकित्सा उपकरणों के निर्माण और नवाचार में वैश्विक अग्रणी के रूप में उभरना।
- वर्ष 2030 तक चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को वर्तमान 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ना।
चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए रणनीतियां
- चिकित्सा उपकरण क्षेत्र को रणनीतियों के एक सेट के माध्यम से सुविधा और मार्गदर्शन प्रदान किया जा रहा है जो नीतिगत क्रियाकलाप के छह व्यापक क्षेत्रों को कवर करेगा।
1. विनियामक तालमेल
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- अनुसंधान और व्यवसाय करने में आसानी बढ़ाने के लिए सभी हितधारक विभागों/संगठनों को शामिल करने वाले चिकित्सा उपकरणों के लाइसेंस के लिए 'सिंगल विंडो क्लीयरेंस सिस्टम' का निर्माण करना।
2. सक्षम बुनियादी ढांचा
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- राष्ट्रीय औद्योगिक कॉरिडोर कार्यक्रम और प्रस्तावित राष्ट्रीय रसद नीति 2021 के दायरे में अपेक्षित रसद कनेक्टिविटी के साथ आर्थिक क्षेत्रों के निकट विश्व स्तरीय सामान्य बुनियादी सुविधाओं से लैस बड़े चिकित्सा उपकरण पार्क, क्लस्टर की स्थापना।
- पीएम गति शक्ति, चिकित्सा उपकरण उद्योग के साथ बेहतर सम्मिश्रण और बैकवर्ड इंटीग्रेशन के लिए राज्य सरकारों और उद्योग के साथ प्रयास किया जाएगा।
3. अनुसंधान एवं विकास और नवाचार को सुगम बनाना
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- भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने और भारत में फार्मा-मेडटेक क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास और नवाचार पर विभाग की प्रस्तावित राष्ट्रीय नीति को पूरक बनाने की परिकल्पना की गई है।
- इसका उद्देश्य अकादमिक और अनुसंधान संस्थानों, नवाचार केंद्रों, 'प्लग एंड प्ले' बुनियादी ढांचे में उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करना और स्टार्ट-अप को समर्थन देना भी है।
4. क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करना
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- मेक इन इंडिया, आयुष्मान भारत कार्यक्रम, हील-इन-इंडिया, स्टार्ट-अप मिशन जैसी योजनाओं और क्रियाकलापों के साथ यह नीति निजी निवेश, उद्यम पूंजीपतियों से वित्त पोषण की श्रृंखला, और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को भी प्रोत्साहित करती है।
5. मानव संसाधन विकास
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- वैज्ञानिक, नियामकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों, प्रबंधकों, तकनीशियनों आदि जैसी मूल्य श्रृंखला में कुशल कार्य बल की सतत आपूर्ति सुनिश्चित करना।
- चिकित्सा उपकरण क्षेत्र में पेशेवरों के कौशल, पुनर्कौशल और कौशल उन्नयन के लिए, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में उपलब्ध संसाधनों का लाभ उठाना।
- कुशल कार्यबल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा संस्थानों में चिकित्सा उपकरणों के लिए समर्पित बहु-विषयक पाठ्यक्रमों का समर्थन करना।
- विश्व बाजार के साथ समान गति से चलने के लिए चिकित्सा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए विदेशी अकादमिक/उद्योग संगठनों के साथ साझेदारी विकसित करना।
6. ब्रांड पोजिशनिंग और जागरूकता निर्माण
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- एक समर्पित निर्यात संवर्धन परिषद का निर्माण, जो विभिन्न बाजार पहुंच से जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए सक्षम होगा।
- विनिर्माण और कौशल प्रणाली के सर्वोत्तम वैश्विक तौर-तरीकों से सीखने के लिए अध्ययन और परियोजनाएं शुरू करना, ताकि भारत में ऐसे सफल मॉडलों को अपनाने की व्यवहार्यता का पता लगाया जा सके।
- ज्ञान साझा करने और पूरे क्षेत्र में मजबूत नेटवर्क बनाने के लिए विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने के लिए और अधिक मंचों को बढ़ावा देना।
महत्व
- यह नीति चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के त्वरित विकास के लिए एक रोडमैप तैयार करती है ताकि निम्नलिखित मिशनों, पहुंच और सार्वभौमिकता, सामर्थ्य, गुणवत्ता, रोगी केंद्रित और गुणवत्ता देखभाल, निवारक और प्रोत्साहक स्वास्थ्य, सुरक्षा, अनुसंधान और नवाचार और कुशल जनशक्ति को प्राप्त किया जा सके।
- इस नीति से चिकित्सा उपकरण उद्योग को एक प्रतिस्पर्धी, आत्मनिर्भर, सशक्त और अभिनव उद्योग के रूप में मजबूत करने के लिए आवश्यक समर्थन और दिशा-निर्देश प्रदान करने की उम्मीद है, जो न केवल भारत बल्कि दुनिया की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने में सक्षम हो।