राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पूरे भारत में 24 अप्रैल को मनाया जाता है।
प्रमुख बिंदु :-
यह दिवस भारत में पंचायती राज संस्थाओं (PRI) की स्थापना को चिह्नित करता है, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करना, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाना और स्थानीय शासन को प्रभावी बनाना है।
इस वर्ष 15वां राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस मनाया जाएगा।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
इस दिवस की नींव 73वें संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 से जुड़ी है, जिसे दिसंबर 1992 में पारित किया गया और 24 अप्रैल 1993 को लागू किया गया।
इस संशोधन ने पंचायती राज संस्थाओं को संविधानिक दर्जा दिया और भारत के लोकतांत्रिक ढांचे में एक ऐतिहासिक परिवर्तन लाया।
इसके द्वारा राज्य सरकारों के लिये पंचायती राज प्रणाली को अपनाना संवैधानिक रूप से बाध्यकारी हो गया था
भारत सरकार ने वर्ष 2010 में 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। इसका उद्देश्य है – लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का सम्मान करना, स्थानीय स्वशासन की भूमिका को उजागर करना और पंचायत प्रतिनिधियों को प्रेरित करना।
त्रिस्तरीय पंचायती राज संरचना
73वें संशोधन अधिनियम 1992 के तहत ग्रामीण शासन को तीन स्तरों में विभाजित किया गया:
ग्राम पंचायत – गांव स्तर पर
पंचायत समिति – ब्लॉक स्तर पर
जिला परिषद – जिला स्तर पर
यह संरचना प्रशासनिक कार्यों को स्थानीय स्तर तक पहुँचाने और जन भागीदारी को बढ़ाने के लिए बेहद कारगर मानी जाती है।
विशेषताएँ
हर पाँच वर्ष में नियमित चुनाव की व्यवस्था
अनुसूचित जाति, जनजाति और महिलाओं के लिए आरक्षण
राज्य चुनाव आयोग की स्थापना
राज्य वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुसार वित्तीय हस्तांतरण की व्यवस्था
प्रश्न. राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?