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राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण

चर्चा में क्यों

हाल ही में, औषधि कंपनियों के समूह ने आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (National List of Essential Medicines: NLEM) के तहत सूचीबद्ध अनुसूचित दवाओं (Scheduled Drugs) के लिये 10% वार्षिक वृद्धि की मांग की है। 

पृष्ठभूमि

  • इस वृद्धि से लगभग 800 दवाओं और उपकरणों पर असर पड़ने की उम्मीद है, जो  थोक मूल्य सूचकांक (WPI) में वृद्धि से प्रेरित है। 
  • भारत में अनुसूचित दवाओं की कीमतों में प्रत्येक वर्ष डब्ल्यू.पी.आई. के अनुरूप दवा नियामक द्वारा वृद्धि की अनुमति दी जाती है और वार्षिक परिवर्तन नियंत्रित होता है। विदित है कि पूर्व में यह वृद्धि 5% से अधिक नहीं की गई है।

राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (NPPA)

  • एन.पी.पी.ए. की स्थापना वर्ष 1997 में ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 1995-2013 के तहत नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को निर्धारित/संशोधित करने एवं दवाओं की कीमत और उपलब्धता को लागू करने के लिये की गई थी। 
  • यह स्वयं के निर्णयों से उत्पन्न होने वाले सभी कानूनी मामलों से निपटने तथा दवाओं की उपलब्धता की निगरानी करने के साथ-साथ औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को लागू करता है।

एन.एल.ई.एम. 

  • एन.एल.ई.एम. के तहत सभी दवाएँ मूल्य विनियमन के अधीन हैं। ड्रग्स (मूल्य) नियंत्रण आदेश, 2013 के अनुसार अनुसूचित दवाएँ, जो कि फार्मा बाज़ार का लगभग 15% हैं, डब्लू.पी.आई के अनुरूप इनमें वृद्धि की अनुमति है जबकि शेष 85% को प्रत्येक वर्ष 10% की स्वचालित वृद्धि की अनुमति है। 
  • एन.एल.ई.एम. में सूचीबद्ध दवाओं की कीमतों में सालाना बढ़ोतरी डब्ल्यू.पी.आई. पर आधारित है।
  • एन.एल.ई.एम. बुखार, संक्रमण, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, एनीमिया आदि के इलाज के लिये प्रयोग की जाने वाली दवाओं को सूचीबद्ध करता है और इसमें आमतौर पर प्रयोग में आने वाली दवाएँ, जैसे- पैरासिटामॉल, एजिथ्रोमाइसिन आदि शामिल हैं।



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