(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3: बुनियादी ढाँचा : ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि)
संदर्भ
भारतीय रेलवे ने क्षमता और उत्पादन संबंधी कमियों को दूर करने तथा माल ढुलाई (फ्रेट) तंत्र में अपनी औसत हिस्सेदारी को बढ़ाने के लिये ‘राष्ट्रीय रेल योजना’ (National Rail Plan) का मसौदा पेश किया है। साथ ही, वर्ष 2024 तक कुछ महत्त्वपूर्ण परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन के लिये ‘विज़न 2024’ को भी लॉन्च किया है।
योजना के उद्देश्य/मुख्य बिंदु
- इस योजना का उद्देश्य, वर्ष 2030 तक माँग के सापेक्ष बेहतर क्षमता निर्माण करना है, ताकि वर्ष 2050 तक होने वाली माँग में वृद्धि संबंधी आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके।
- इसका लक्ष्य कार्बन उत्सर्जन को कम करना और वर्ष 2030 तक माल ढुलाई में रेलवे की औसत हिस्सेदारी को वर्तमान के 27% से बढ़ाकर 45% करना है। इसके लिये परिचालन क्षमता और वाणिज्यिक नीति पहलों पर आधारित रणनीति तैयार की जाएगी।
- इसका एक उद्देश्य, माल ढुलाई और यात्री दोनों क्षेत्रों में वर्ष 2030 तक वार्षिक आधार पर और वर्ष 2050 तक दशकीय आधार पर माँग में वृद्धि का पूर्वानुमान लगाना भी है। साथ ही, मालगाड़ियों की औसत गति को वर्तमान के 22 किमी. प्रतिघंटा से बढ़ाकर 50 किमी. प्रतिघंटा करके माल ढुलाई के समय में कमी लाना है।
- इसके अतिरिक्त, रेल परिवहन की कुल लागत को लगभग 30% कम करना और उससे अर्जित लाभों को ग्राहकों तक हस्तांतरित करने का भी विचार है।
- इस योजना को अवसंरचना संबंधी क्षमता बढ़ाने तथा रेलवे एवं व्यापार की औसत हिस्सेदारी में वृद्धि करने की रणनीतियों के लिहाज से तैयार किया गया है।
विज़न 2024
- ‘विज़न 2024’ को राष्ट्रीय रेल योजना के एक घटक के रूप में शुरू किया गया है। इसके तहत, निर्धारित समय-सीमा के साथ ‘पूर्वी तट’, ‘पूर्व-पश्चिम’ और ‘उत्तर-दक्षिण’ नाम के तीन समर्पित माल गलियारों (Freight Corridors) की पहचान की गई है।
- साथ ही, कई नए हाई-स्पीड माल गलियारों की भी पहचान की गई है और दिल्ली-वाराणसी के मध्य हाई-स्पीड रेल संबंधी सर्वेक्षण भी जारी है।
- ‘विज़न 2024’ के तहत, यात्री परिवहन के लिये रोलिंग स्टॉक (Rolling Stock) की आवश्यकता के साथ-साथ माल ढुलाई के लिये माल-डिब्बों की आवश्यकता का आकलन किया जाएगा।
- साथ ही, दिसंबर 2023 तक 100% विद्युतीकरण (हरित ऊर्जा) के साथ-साथ वर्ष 2030 और उसके बाद वर्ष 2050 तक यातायात में बढ़ोतरी के लिये लोकोमोटिव की आवश्यकताओं का भी आकलन किया जाएगा।
- इन ज़रूरतों के लिये आवश्यक पूँजी निवेश का आकलन करने के साथ-साथ वित्त के नए स्रोतों एवं पी.पी.पी. मॉडल सहित वित्तपोषण के नए मॉडलों की पहचान की जाएगी।
- परिचालन और रोलिंग स्टॉक के स्वामित्व, माल और यात्री टर्मिनलों के विकास, ट्रैक संबंधी अवसंरचना के विकास/संचालन जैसे क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की निरंतर भागीदारी को भी बढ़ाने का प्रयास किया जाएगा।
क्या है आगे की योजना ?
- राष्ट्रीय रेल योजना के तहत, माँग से अधिक क्षमता निर्माण और माल ढुलाई में रेलवे की औसत हिस्सेदारी को 45% तक बढ़ाने के लिये वर्ष 2030 तक पूँजी निवेश में आरंभिक वृद्धि की परिकल्पना की गई है।
- साथ ही, अर्जित राजस्व अधिशेष को वर्ष 2030 के बाद भावी पूँजी निवेश के लिये पर्याप्त माना गया है। इससे रेल परियोजनाओं में राजकोषीय वित्तपोषण की आवश्यकता नहीं होगी।
- इस योजना मसौदे को विभिन्न मंत्रालयों के पास उनके विचार जानने के लिये भेजा जा रहा है। रेलवे ने इस योजना को जनवरी 2021 तक अंतिम रूप देने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
किन बातों पर ध्यान देना आवश्यक ?
- राष्ट्रीय रेल योजना के सफल कार्यान्वयन के लिये भारतीय रेलवे को निजी क्षेत्र, सार्वजनिक उपक्रमों, राज्य सरकारों और उपकरण विनिर्माताओं/उद्योगों के साथ मिलकर कार्य करने की संभावनाओं की तलाश करनी चाहिये।
- अवसंरचनात्मक माँग में वृद्धि के साथ उत्पन्न होने वाली बाधाओं की पहचान और निवारण के साथ-साथ रेल मार्गों की माँग के अनुरूप नेटवर्क क्षमता में वृद्धि करने पर ध्यान देना।
- इन बाधाओं को समय रहते दूर करने के लिये ट्रैक कार्य, सिग्नलिंग और रोलिंग स्टॉक में उपयुक्त तकनीक के साथ परियोजनाओं का चयन करने पर ध्यान दिया जाना चाहिये।
- राष्ट्रीय रेल योजना भविष्य की विकास योजनाओं का मार्गदर्शन करेगी। यह रेलवे की समस्त भावी अवसंरचनात्मक, व्यावसायिक और वित्तीय योजना के लिये एक साझा मंच प्रदान करेगी।