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योगात्मक विनिर्माण पर राष्ट्रीय रणनीति

चर्चा में क्यों 

अगली पीढ़ी के डिजिटल विनिर्माण को पूरा करने तथा स्थानीय उद्योगों की तत्काल आवश्यकताओं को कम करने के लिये केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने ‘योगात्मक विनिर्माण पर राष्ट्रीय रणनीति’ (National Strategy on Additive Manufacturing) जारी की है।

योगात्मक विनिर्माण

  • विनिर्माण क्षेत्र प्रधानमंत्री के 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। योगात्मक विनिर्माण (ए.एम.), डिजिटल विनिर्माण की अगली पीढ़ी है, जो कंप्यूटिंग इलेक्ट्रॉनिक्स, इमेजिंग और कृत्रिम बुद्धिमत्ता, पैटर्न रिकग्निशन के उभरते क्षेत्रों के प्रतिच्छेदन की अनुमति देती है।
  • इसमें डिजिटल प्रक्रियाओं, संचार, इमेजिंग, आर्किटेक्चर और अभियांत्रिकी के माध्यम से भारत के विनिर्माण और औद्योगिक उत्पादन परिदृश्य में क्रांतिकारी बदलाव की अपार संभावनाएँ हैं। यह बौद्धिक संपदा एवं निर्यात के अवसर उत्पन्न करने में मदद करेगी। साथ ही इस क्षेत्र में स्टार्ट-अप्स के तेज़ी से उभरने की संभावना है।

राष्ट्रीय रणनीति के लक्ष्य

  • इस रणनीति में कुछ स्पष्ट रूप से परिभाषित लक्ष्य लिये गए हैं। इसके तहत 50 भारत विशिष्ट प्रौद्योगिकियों, 100 नए स्टार्ट-अप्स, 500 उत्पादों, 10 मौजूदा एवं नए विनिर्माण क्षेत्रों तथा 1 लाख नई कुशल जनशक्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये पारितंत्र तैयार किया जा रहा है।
  • इस रणनीति का लक्ष्य वैश्विक ए.एम. बाजार में 5% हिस्सेदारी हासिल करना तथा वर्ष 2025 तक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1 अरब अमेरिकी डॉलर जोड़ने का है। इस विकास को सुविधाजनक बनाने के लिये ए.एम. उत्पादों को अपनाने हेतु जागरूकता का प्रसार किया जाएगा।

नीति जारी करने के निहितार्थ

  • यह रणनीति ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ के सिद्धांतों को विकसित करेगी, जो उत्पादन प्रतिमानों के तकनीकी परिवर्तन के माध्यम से आत्मनिर्भरता पर बल देती है। इसे सभी हितधारकों की भागीदारी के साथ एक समर्पित राष्ट्रीय केंद्र के माध्यम से संपादित किया जाएगा।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा नवाचार तथा शोध एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र को पी.पी.पी. मोड में प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके फलस्वरूप इलेक्ट्रॉनिक्स, फोटोनिक्स, चिकित्सा उपकरण, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण सहित विभिन्न क्षेत्र के व्यापक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के लिये योगात्मक विनिर्माण ग्रेड सामग्री, 3डी प्रिंटर मशीन और मुद्रित स्वदेशी उत्पादों को विकसित करने के लिये मौजूदा शोध ज्ञान के आधार को बदला जा सकता है।
  • यह केंद्र प्रौद्योगिकी अपनाने और उन्नति में तेज़ी लाने के लिये ज्ञान एवं संसाधनों के एक समूह के रूप में कार्य करेंगे। भारतीय निर्माताओं को वैश्विक समकक्षों पर बढ़त प्रदान करने के लिये स्वदेशी ए.एम. तकनीक का उपयोग करने हेतु क्षेत्र विशिष्ट केंद्र भी विकसित किये जाएँगे।
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