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राष्ट्रीय प्रतीक 

चर्चा में क्यों  

हाल ही में, प्रधानमंत्री ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में नए संसद भवन में भारत के राष्ट्रीय प्रतीक की मूर्ति का अनावरण किया। 

प्रमुख बिंदु 

  • इस मूर्ति का निर्माण सुनील देवरे और रोमियल मोसेस मूर्तिकारों द्वारा किया गया, जो 6.5 मीटर की एक काँस्य प्रतिमा है। इसका वजन 9,500 किलोग्राम है।
  • यह मौर्य सम्राट अशोक के शासनकाल में निर्मित सारनाथ स्तंभ की प्रतिकृति है, जो साहस, शक्ति, आत्मविश्वास और गौरव का प्रतिनिधित्व करता है। 

सारनाथ स्तंभ

  • इस प्रतीक चिह्न में चार एशियाई शेर हैं, जिसमें तीन शेर दिखाई देते हैं तथा चौथा हमेशा सामान्य दृष्टि से छिपा रहता है। 
  • इसे 250 ईसा पूर्व में बनाया गया था, जो सात फीट लंबी मूर्ति है। इसे पॉलिश किये गए बलुआ पत्थर से बनाया गया है।
  • उल्टे कमल की आकृति पर एक चौकी निर्मित है, जिस पर चार पशु घोड़ा, शेर, बैल और हाथी के साथ चार चक्र अंकित किये गए हैं। ये चारों पशु चार दिशाओं को चिन्हित करते हैं, जबकि चक्र बुद्ध के धर्मचक्र प्रवर्तन के प्रतीक है। 
  • प्रत्येक चक्र में 24 तीलियाँ होती हैं। इसी चक्र को बाद में राष्ट्रीय ध्वज के हिस्से के रूप में अपनाया गया। 
  • चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने लेखन में अशोक के सिंह स्तंभ का विस्तृत विवरण दिया है। 
  • यह स्तंभ बुद्ध की शिक्षाओं के प्रसार के लिये अशोक की योजना का एक हिस्सा था।  

राष्ट्रीय प्रतीक 

  • 26 जनवरी, 1950 को सारनाथ का यह स्तंभ आधिकारिक तौर पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक बन गया। 
  • इस प्रतीक को 'सत्यमेव जयते' के आदर्श वाक्य के साथ अपनाया गया था, जो मुंडकोपनिषद से लिया गया, जिसका अर्थ है 'सत्य हमेशा जीतता है'।
  • इस प्रतीक का उपयोग भारतीय गणतंत्र की मुहर के रूप में किया जाता है। 
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