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नवाब वाजिद अली शाह 

प्रारम्भिक परीक्षा:  नवाब वाजिद अली शाह
मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र- 

चर्चा में क्यों 

अवध के अंतिम नवाब, जो कला के अच्छे पारखी थे, नवाब वाजिद अली शाह के द्विशताब्दी जन्म वर्ष का जश्न मनाने के लिए प्रदर्शनी, हेरिटेज वॉक और टॉक सहित कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है।

प्रमुख बिंदु 

  • 30 जुलाई 2023 को कोलकाता में आयोजित होने वाली प्रदर्शनी, पदयात्रा और वार्ता अवध के अंतिम  नवाब वाजिद अली शाह के जन्म द्विशताब्दी वर्ष को चिह्नित करेगी
  • इन्होने चूंकि अपने अंतिम वर्ष कोलकाता में बिताए थे।
  • नवाब स्वयं एक कलाकार थे, कला के माध्यम से उनकी जयंती मनाई जा रही है।  
  • लोकप्रिय भारतीय सिनेमा, यहां तक कि समकालीन फिल्में भी, उनका और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत की बहुत आभारी हैं।

नवाब वाजिद अली शाह

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  • जन्म -30 जुलाई 1822
  • अवध की गद्दी पर बैठे- 13 फरवरी 1847
  • अवध के शासक के रूप में नौ साल तक उचित तरीके से शासन किया। 
  • वर्ष 1856 में अंग्रेजों ने वाजिद अली शाह को कुशासन का आरोप लगा कर नबाब के पद से हटा दिया। 
  • नवाब वाजिद अली शाह को कलकत्ता भेज दिया गया था। हालांकि ललित कलाओं के श्रेय में वाजिद अली शाह ने विशेष योगदान दिया था।
  • नवाब वाजिद अली शाह की मृत्यु 1 सितंबर 1887 को कोलकाता में हुआ था
  • उनका मकबरा मटियाबुर्ज के इमामबाड़ा सिबटेनाबाद में स्थित है। 

कार्य 

  • साहित्य संगीत और कला में योगदान। संगीत में वाजिद अली की ठुमरी ‘बाबुल मोरा नैहर छूटा जाए’ । इसके अलावा नवाब ने कई राग और रागनियों की भी रचना की, जिनमें 'जूही जोगी' और 'बादशाह'  हैं।
  • शास्त्रीय नृत्य  कथक का वाजिद अली शाह के दरबार में विशेष विकास हुआ।
  • उन्होंने 100 से अधिक फारसी और उर्दू में किताबें लिखीं, जिनमें से एक किताब मैनेजमेंट पर भी उस ज़माने में नवाब ने लिखी थी, जिसका नाम था 'दस्तूर-ए-वाजिदी'। 
  • वजीर किन नीतियों और निर्देशों पर राजकाज चलाए इसका लेखा जोखा इस किताब में दिया गया है।
  • वाजिद अली ने गज़ल संग्रह दीवान-ए-अख्तर और हुज्न-ए-अख्तर नाम से लिखा।
  • वाजिद अली के लिखे नाटक दरिया-ए-तअश्शुक का साल 1851 में फरवरी और मार्च में 14 भागों में एक और दो दिन के अंतराल में मंचन किया गया ।
  • परफॉर्मिंग आर्ट्स की तरह, वाजिद अली शाह ने भी अपनी अदालत में साहित्य और कई कवियों और लेखकों को संरक्षित किया।
  • उनमें से उल्लेखनीय बराक, अहमद मिर्जा सबीर, मुफ्ती मुंशी और आमिर अहमद अमीर थे, जिन्होंने वाजिद अली शाह, इरशाद-हम-सुल्तान और हिदायत-हम-सुल्तान के आदेशों पर किताबें लिखीं।
  • वाजिद अली शाह कृष्‍ण लीलाओं का विशाल आयोजन करते और कृष्ण की भूमिका स्वयं निभाते थे ।
  • इनके दरबार में होलिकोत्सव भी भव्यता से मनाया जाता था।
  • 'गुलाबों सिताबों' नामक विशिष्ट कठपुतली शैली जो कि वाजिद अली शाह के जीवनी पर आधारित है, का विकास प्रमुख आंगिक दृश्य कला के रूप में हुआ।

प्रश्न : निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए 

  1. वर्ष 1856 में अंग्रेजों ने वाजिद अली शाह को कुशासन का आरोप लगा कर नबाब के पद से हटा दिया।
  2. वाजिद अली शाह कृष्‍ण लीलाओं का विशाल आयोजन करते थे।
  3. मैनेजमेंट पर दस्तूर-ए-वाजिदी नामक पुस्तक की रचना किया।

उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?

(a) केवल एक 

(b) केवल दो 

(b) सभी तीनों 

(d) कोई भी नहीं 

उत्तर : (c) 

मुख्य परीक्षा प्रश्न : कला साहित्य के क्षेत्र में नबाब  नवाब वाजिद अली शाह के योगदान का उल्लेख कीजिए?

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