(प्रारंभिक परीक्षा- भारत का इतिहास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 1 : भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलू)
संदर्भ
इतिहास, कला एवं संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्रोत तथा वैज्ञानिक साक्ष्य होने के बावजूद पुरातत्त्व और विरासत स्थलों के बारे में राष्ट्रीय स्तर पर जागरूकता का आभाव देखा जाता है। वित्त वर्ष 2021-22 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के बजट में 200 करोड़ रुपए से अधिक की कमी की गई है। ए.एस.आई. भारत में स्मारक आदि का प्राथमिक संस्थागत संरक्षक है।
विरासत की परिभाषा
विरासत हमारी परंपराओं, स्मारकों, वस्तुओं और संस्कृति की एक पूरी श्रृंखला है। इसमें विश्वास, ज्ञान, कलात्मक अभिव्यक्ति, मानदंड और मूल्य, सामाजिक प्रथाएँ, परंपराएँ और रीति-रिवाज, स्थान, वस्तुएँ एवं अन्य संस्कृतिक अभिव्यक्ति शामिल हैं।
विरासत संकट के कारक
- असुरक्षित स्मारकों व प्राचीन मंदिरों के साथ-साथ संरक्षित स्मारकों व संग्रहालयों में चोरी की घटनाएँ।
- लाभ तथा विलासिता की वस्तु होने के कारण पुरावशेषों की तस्करी।
- अनियमित पर्यटन गतिविधियों एवं निजी एजेंटों द्वारा कला विरासत स्थलों पर प्रभाव।
- उल्लेखनीय है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने 24 भारतीय स्मारकों को ‘खोजने योग्य’ या ‘लापता’ घोषित किया है।
- मानव शक्ति की कमी के कारण अधिकांश संग्रहालयों की सुरक्षा पर प्रभाव।
- कलाकृतियों के दोहराव अर्थात नकली पेंटिंग एवं अन्य कला रूपों से कलाकारों की आजीविका को खतरा।
- उचित रखरखाव का आभाव।
- रखरखाव के आभाव में अजंता की गुफाओं में भित्ति चित्रों की स्थिति लगातार खराब होती जा रही है।
- स्मारकों पर अतिक्रमण की समस्या।
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 278 से अधिक केंद्रीय संरक्षित स्मारकों पर अतिक्रमण या उन पर अवैध कब्जा है।
अनंग ताल : राष्ट्रीय महत्त्व का स्मारक
- प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम, 1958 की धारा 4 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए संस्कृति मंत्रालय ने अगस्त 2022 में अनंग ताल को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है।
- दक्षिणी दिल्ली के महरौली में स्थित इस झील का निर्माण तोमर शासक अनंगपाल द्वितीय ने 1052 ई. में करवाया था।
- यह झील जोगमाया मंदिर के उत्तर में और क़ुतुब मीनार परिसर के उत्तर-पश्चिम में अवस्थित है।
- अनंगपाल ने ही दिल्ली को ढिल्लिकापुरी नाम दिया था, जिसकी जानकारी पालम, नारायणा और सरबन (रायसीना) में मिले शिलालेखों से मिलती है।
- अनंगपाल तोमर द्वितीय के बाद उनका पोता पृथ्वीराज चौहान उत्तराधिकारी बना। 1192 ई. में तराइन (वर्तमान हरियाणा) के युद्ध में पृथ्वीराज चौहान की हार के बाद दिल्ली सल्तनत की स्थापना हुई।
- अनंग ताल का उत्खनन वर्ष 1993 में डॉ. बी.आर. मणि के नेतृत्व में किया गया था।
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विरासत संरक्षण की आवश्यकता
- मानव चेतना के सतत विकास प्रक्रिया में सहायक।
- यह अतीत के क्षेत्रीय कानूनों, व्यवस्थाओं एवं सामाजिक संरचनाओं को समझने में सहायता करती है।
- देश की पहचान एवं गौरव का प्रतीक।
- सांस्कृतिक समृद्धि की रक्षा, संरक्षण और उसे कायम रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है।
- स्मारकों और पुरावशेषों का संरक्षण
- कला स्मारक एवं संग्रहालय पर्यटन की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण।
- पर्यटन सरकार के साथ-साथ व्यक्तिगत स्तर पर रोज़गार एवं आय के स्रोत होते हैं। यह कला उद्योग एवं पर्यटन उद्योग दोनों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- आसपास के क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे का विकास।
- उदाहरण के लिये हम्पी छोटा शहर होने के बावजूद बेहतरीन बुनियादी ढाँचा सुविधाओं से युक्त है।
- किसी विशेष क्षेत्र या संस्कृति से संबंधित होने के कारण एकता और अपनत्व की भावना का विकास।
- कला और संस्कृति का वैश्विक राजनीति एवं कूटनीति में सॉफ्ट पावर के रूप में उपयोग।
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट
- प्रशासनिक पहलू- ए.एस.आई. के उच्च अधिकारी परंपरागत रूप से भारतीय प्रशासनिक संवर्ग से होते हैं, जिनमें प्रबंधकीय पहलुओं और तकनीकी विशेषज्ञता के बीच बेहतर समन्वय का आभाव होता है। अत: विभाग के आंतरिक विशेषज्ञों के पदोन्नत की आवश्यकता है।
- डाटाबेस का आभाव- स्मारकों और कलाकृतियों से संबंधित डाटाबेस का आभाव भी एक बड़ी समस्या है। सी.ए.जी. (CAG) की रिपोर्ट के अनुसार 92 स्मारकों और कलाकृतियों के संबंध में कोई डाटाबेस उपलब्ध नहीं है।
- ए.एस.आई. ने पूरे भारत में लगभग 58 लाख से अधिक पुरावशेषों का अनुमान लगाया है, लेकिन इसके पास कोई डाटाबेस या सूची उपलब्ध नहीं है।
- तालमेल की कमी- ए.एस.आई. के साथ समन्वय की कमी के कारण नवंबर 1996 में स्थापित राष्ट्रीय संस्कृति कोष ने अपने धन का केवल 14% उपयोग किया है।
नीति का आभाव
- पुरातात्विक अन्वेषण और उत्खनन पर राष्ट्रीय नीति का भी आभाव है।
- साथ ही, दस्तावेज़ीकरण के अभाव में खंडहर कभी भी अपनी मूल स्थिति में ‘पुनर्स्थापित’ नहीं हो पाता है।
- ए.एस.आई. कई मामलों में स्मारक अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन करता है।
- ए.एस.आई.-संरक्षित स्थलों के संरक्षण की खराब स्थिति और अनुवर्ती कार्रवाई की कमी।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI)
- ए.एस.आई. संस्कृति मंत्रालय का एक संबद्ध कार्यालय है जिसकी स्थापना वर्ष 1861 में इसके पहले महानिदेशक अलेक्जेंडर कनिंघम ने की थी।
- वर्ष 1958 के प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम के प्रावधानों के तहत ए.एस.आई. 3650 से अधिक प्राचीन स्मारकों, पुरातात्विक स्थलों और राष्ट्रीय महत्व के अवशेषों का प्रबंधन करता है।
- इनमें मंदिर, मस्जिद, चर्च, मकबरे और कब्रिस्तान के साथ-साथ महल, किले, सीढ़ीदार कुएँ और रॉक-कट गुफाएँ आदि शामिल हैं।
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की पहल
- ए.एस.आई. द्वारा संग्रहालय का विकास एवं संरक्षण।
- प्राय: संग्रहालय परंपरागत रूप से ऐसे स्थलों के समीप स्थित होते हैं। इससे प्राकृतिक परिवेश के बीच उनका अध्ययन करना सरल हो जाता है।
- ए.एस.आई. द्वारा एपिग्राफिया इंडिका, प्राचीन भारत, भारतीय पुरातत्व : एक समीक्षा (वार्षिक) का प्रकाशन।
- नई दिल्ली में राष्ट्रीय अभिलेखागार भवन एवं केंद्रीय पुरातत्त्व पुस्तकालय।
निष्कर्ष
देश की मिली-जुली संस्कृति की समृद्ध विरासत को महत्व देना और उसका संरक्षण करना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। भारत की मूर्त और अमूर्त सांस्कृतिक विरासत का परिरक्षण व संरक्षण तथा कला एवं संस्कृति के सभी रूपों को बढ़ावा देना नीति-निदेशक तत्त्वों का भी भाग है।