(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय) |
संदर्भ
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने बड़ी संख्या में वाहन चालकों (Drivers) की गलती के कारण सड़क दुर्घटनाओं को ध्यान में रखते हुए देश भर में ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिए एक नई नीति जारी की है।
नई ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थान नीति के बारे में
- इस नीति के तहत MoRTH सभी 36 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में 1,600 ऐसे संस्थान स्थापित करने के लिए चरणबद्ध तरीके से 4,500 करोड़ रुपए की सहायता प्रदान करेगा।
- वर्तमान में भारत में कुल 28 कार्यात्मक ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थान हैं।
- वित्त वर्ष 2002-03 में राष्ट्रीय स्तर पर ड्राइविंग प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की योजना को शुरू किया गया था।
- इस नई नीति के तहत तीन अलग-अलग प्रकार के संस्थान, जैसे- ड्राइविंग प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (ITDRs), क्षेत्रीय ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (RDTCs) और ड्राइविंग प्रशिक्षण केंद्र (DTCs) विकसित किए जाएंगे।
- कुल 1,600 संस्थानों में से 26 ITDRs, 134 RDTCs एवं 1,427 DTCs स्थापित किए जाएंगे।
- इन केंद्रों की स्थापना व संचालन राज्य सरकारों एवं निजी डेवलपर्स के बीच साझेदारी के माध्यम से किया जाएगा।
- केंद्र सरकार IDTR के लिए 17.25 करोड़ रुपए, RDTC के लिए 5.5 करोड़ रुपए और DTC के लिए 2.5 करोड़ रुपए तक का पूंजी निवेश करेगी।
ड्राइविंग प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थानों की विशेषताएँ
- स्वचालित ड्राइविंग टेस्ट ट्रैक
- ड्राइविंग प्रयोगशालाएँ एवं कार्यशालाएँ
- ड्राइविंग प्रशिक्षण सिमुलेटर
- इनोवेटिव ड्राइविंग टेस्ट सिस्टम
- टीवी, कंप्यूटर एवं मल्टीमीडिया प्रोजेक्टर जैसे शिक्षण सहायक उपकरण
कुशल वाहन चालकों की आवश्यकता क्यों
- MoRTH के आंकड़ों के अनुसार, भारत में 22 लाख कुशल वाहन चालकों की कमी है।
- लगभग 35,000 मौतों के मामलों में वाहन चालाक वैध लाइसेंस के बिना ही गाड़ी चलाते पाए जाते हैं।
- सड़क हादसों के कारण होने वाली 80% मौतों के लिए वाहन चालक प्रत्यक्ष रूप से जिम्मेदार होते हैं। यह तथ्य देश में अच्छे ड्राइविंग स्कूलों की कमी की ओर भी संकेत करता है।
भारत में सड़क सुरक्षा की स्थिति
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, विश्व में सड़क दुर्घटनाओं के कारण होने वाली कुल मौतों में से 11% भारत में होती हैं।
- भारत में वर्ष 2024 के दौरान सड़क दुर्घटना में एक लाख 80 हजार लोगों ने अपनी जान गंवाई।
- यह आंकड़ा वर्ष 2023 में सड़क दुर्घटन में होने वाली 1.72 लाख मौत से अधिक है।
- केंद्र सरकार के अनुसार, देश भर में होने वाली कुल सड़क दुर्घटनाओं में से 76% तय सीमा से अधिक रफ्तार एवं यातायात नियमों के उल्लंघन के कारण होती हैं।
- कुल सड़क हादसों में दुपहिया वाहन व पैदल यात्री सर्वाधिक शिकार होते हैं।
- भारत में सड़क यातायात इंजीनियरिंग एवं नियोजन केवल सड़कों को चौड़ी करने तक सीमित है जिसके कारण सड़कों एवं राजमार्गों पर दुर्घटनाओं के ‘ब्लैक स्पाट’ भी बन जाते हैं।
- इन स्थानों पर सड़क दुर्घटना की संभावना सर्वाधिक रहती है।
वैश्विक सड़क सुरक्षा सम्मेलन
- वैश्विक स्तर पर सड़क सुरक्षा से संबंधित पहल के तहत वर्ष 2015 में ब्रासीलिया घोषणा पत्र लागू किया गया था।
- इस घोषणा पर ब्राजील में आयोजित सड़क सुरक्षा पर दूसरे वैश्विक उच्च-स्तरीय सम्मेलन के दौरान हस्ताक्षर किए गए।
- इसमें सभी हस्ताक्षरकर्ता देशों ने परिवहन के अधिक स्थायी साधनों, जैसे- पैदल चलना, साइकिल चलाना और सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने के लिए परिवहन नीतियों के निर्माण पर जोर दिया।
- भारत भी इस घोषणापत्र का हस्ताक्षरकर्ता देश है।
- इसके तहत सभी देशों की योजना सतत विकास लक्ष्य 3.6 अर्थात वर्ष 2030 तक सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौत की संख्या को आधा करने की है।
संयुक्त राष्ट्र द्वारा संकल्प प्रस्ताव
- सितंबर 2020 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वैश्विक सड़क सुरक्षा में सुधार पर संकल्प को अपनाया।
- यह प्रस्ताव फरवरी 2020 में सड़क सुरक्षा पर तीसरे वैश्विक मंत्रिस्तरीय सम्मेलन में सहमत स्टॉकहोम घोषणा पर आधारित था।
- इस प्रस्ताव में 2021-2030 के लिए सड़क सुरक्षा कार्रवाई दशक की घोषणा की गई।
- इसमें वर्ष 2030 तक कम-से-कम 50% सड़क यातायात दुर्घटनाओं से होने वाली मौत को रोकने के लक्ष्य को अपनाया गया।
भारत का सड़क सुरक्षा दृष्टिकोण
- वैश्विक सड़क सुरक्षा योजना के लिए समग्र दृष्टिकोण के महत्त्व पर बल देते हुए भारत का दृष्टिकोण स्टॉकहोम घोषणा के अनुरूप है।
- एस. सुंदर समिति की सिफारिशों के आधार पर, केंद्र सरकार ने वर्ष 2010 में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति को मंजूरी दी थी।
- राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति देश में सड़क सुरक्षा गतिविधियों में सुधार के लिए सभी स्तरों पर सरकार द्वारा तैयार/शुरू की जाने वाली नीतिगत पहलों की रूपरेखा प्रस्तुत करती है।
- सड़क सुरक्षा संबंधी प्रमुख कानून निम्नलिखित हैं-
- मोटर यान (संशोधन) अधिनियम, 2019
- भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम, 1998
- राष्ट्रीय राजमार्ग नियंत्रण (भूमि एवं यातायात) अधिनियम, 2000
- सड़क परिवहन अधिनियम, 2007
- सर्वोच्च न्यायालय ने वर्ष 2014 में सड़क सुरक्षा पर न्यायमूर्ति के. एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था।
- इस समिति ने नशे में वाहन चलाने पर रोक लगाने के लिये राजमार्गों पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश की थी।
- देश में सड़क सुरक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रतिवर्ष जनवरी माह को ‘सड़क सुरक्षा माह’ के रूप में मनाया जाता है।
- इस दौरान 11 से 17 जनवरी को ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह’ के रूप में मनाया जाता है।
- वर्ष 2025 की थीम है : ‘बी अ रोड सेफ्टी हीरो’
सड़क दुर्घटनाएँ कम करने के लिए सुरक्षा उपाय
- यातायात कानूनों का सख्ती से पालन, जैसे- सख्त लाइसेंसिंग प्रक्रिया लागू करना
- स्पीड कैमरा, रेड-लाइट कैमरा और ऑटोमेटेड लाइसेंस प्लेट रिकग्निशन सिस्टम जैसी तकनीक का लाभ उठाने से ट्रैफ़िक कानूनों की निगरानी करना
- सड़क अवसंरचना में सुधार करना
- जन जागरूकता अभियान
- नियमित वाहन रखरखाव
- ड्राइवर प्रशिक्षण कार्यक्रम
- आपातकालीन प्रतिक्रिया में सुधार
- सड़क सुरक्षा ऑडिट करना
- सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना
निष्कर्ष
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ सार्वजनिक सुरक्षा का एक गंभीर मुद्दा बनी हुई हैं जोकि तेज़ गति से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने और सड़कों की खराब स्थिति जैसे कारकों के कारण होती हैं। केंद्र सरकार द्वारा ड्राइवर प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना संबंधी नीति में परिवर्तन सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक सराहनीय कदम है। इससे सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में काफी हद तक मदद मिलेगी।