(प्रारंभिक परीक्षा : समसामयिक घटनाक्रम) (मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: केंद्र एवं राज्यों द्वारा जनसंख्या के अति संवेदनशील वर्गों के लिये कल्याणकारी योजनाएँ; इन अति संवेदनशील वर्गों की रक्षा एवं बेहतरी के लिये गठित तंत्र, विधि, संस्थान व निकाय) |
संदर्भ
सर्वोच्च न्यायालय ने 20 जनवरी, 2025 को देश में वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक समर्पित मंत्रालय के निर्माण की मांग करने वाले याचिकाकर्ता को सरकार के समक्ष अनुरोध पत्र प्रस्तुत करने की अनुमति दी।
कौन होता है वरिष्ठ नागरिक
- परिभाषा : भारत में राष्ट्रीय वृद्धजन नीति, 1999 के अनुसार, 60 वर्ष तथा उससे अधिक आयु वाले व्यक्तियों को बुजुर्ग अथवा वरिष्ठ नागरिक के रूप में परिभाषित किया गया है।
- वृद्धावस्था को सामान्यतः किसी व्यक्ति की मानसिक एवं शारीरिक क्षमताओं तथा उसकी सामाजिक प्रतिबद्धताओं में गिरावट के साथ जोड़ा जाता है।
- यह जैविक स्थिति की अपेक्षा एक सामाजिक रूप से निर्मित धारणा है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मंत्रालय की मांग
- याचिका : हाल ही में बुजुर्गों के प्रति कार्यरत संस्थाओ द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मंत्रालय की मांग के आधार पर याचिका दर्ज की गई थी।
- न्यायालय का निर्णय : वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मंत्रालय की मांग पर सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि इस मामले में न्यायालय हस्तक्षेप नहीं कर सकता है या सरकार को किसी विशेष मंत्रालय के निर्माण का निर्देश नहीं दे सकता है।
- एक नए मंत्रालय का निर्माण न्यायालय के क्षेत्राधिकार से बाहर का मामला है।
- न्यायालय ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मंत्रालय की मांग करने वाले याचिकाकर्ता से सरकार से संपर्क करने को कहा है।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए विशेष मंत्रालय की आवश्यकता
- बढ़ती वृद्ध आबादी : भारत संभवतः दुनिया में सर्वाधिक वृद्ध लोगों वाली आबादी वाले देशों में से एक है।
- वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी 10.38 करोड़ है जो देश की कुल आबादी का लगभग 8.6% है।
- संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (UNFPA) की भारत एजिंग रिपोर्ट-2023 के अनुसार, भारत में बुजुर्गों की आबादी तेजी से बढ़ रही है और वर्ष 2036 तक 60 वर्ष से अधिक आयु के लोगों की संख्या कुल आबादी का 15% (22.7 करोड़) हो जाएगी।
- सामाजिक ढाँचे पर प्रभाव : वृद्ध आबादी में यह अभूतपूर्व वृद्धि, अगर एक विशेष मंत्रालय/विशिष्ट विभाग द्वारा स्पष्ट रूप से नियंत्रित नहीं की जाती है, तो स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था एवं बड़े पैमाने पर सामाजिक ढांचे पर हानिकारक प्रभाव पड़ेगा।
- बुजुर्गों की समस्याओं का निराकरण : बुजुर्गों के लिए एक विशेष मंत्रालय/विशेष विभाग होना जरूरी है जो नीतियों, योजनाओं, वित्तीय सहायता, स्वास्थ्य देखभाल आवश्यकताओं, पेंशन आदि को पूरा कर सके।
- संवैधानिक अधिकार : वरिष्ठ नागरिक एक असुरक्षित वर्ग हैं और वे अनुच्छेद 21 (सम्मानजनक जीवन का अधिकार) के तहत संवैधानिक दायरे में आते हैं।
- वरिष्ठ नागरिक विशिष्ट चुनौतियों एवं कमज़ोरी के कारण संविधान के अनुच्छेद 15 के तहत महिलाओं व बच्चों के लिए समान स्तर की सुरक्षा तथा कल्याण के हकदार हैं।
- बुजुर्ग केंद्रित समस्या-समाधान : स्वास्थ्य, सामाजिक संरचना, वित्तीय अस्थिरता एवं निर्भरता जैसे मुद्दों पर वरिष्ठ नागरिकों को विशिष्ट चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
वर्तमान स्थिति
वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत सामाजिक सुरक्षा प्रभाग ने वरिष्ठ नागरिकों के मुद्दों को शराब और मादक द्रव्यों के सेवन के शिकार लोगों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों और भिखारियों/बेसहारा लोगों के साथ जोड़ दिया है।
वर्तमान में बुजुर्गों के समक्ष प्रमुख चुनौतियां
- वित्तीय सुरक्षा का अभाव
- पारिवारिक संबंधो में समय एवं परस्पर प्रेम का अभाव
- नई एवं पुरानी पीढ़ी के मध्य बढ़ती दूरी
- वृद्धावस्था में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ एवं देखभाल का अभाव
- बेघर बुजुर्गों के लिए आश्रय स्थलों का अभाव
- बुजर्ग केन्द्रित नीतियों एवं कानूनों की कमी
सरकार द्वारा बुजुर्गों के कल्याण हेतु शुरू की गई पहल
- राष्ट्रीय वृद्धजन नीति, 2011
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना
- वृद्धाश्रम एवं आश्रय गृह योजना
- पेंशन एवं स्वास्थ्य बीमा योजनाएं
- SACRED पोर्टल (सम्मानपूर्वक रोजगार के लिए)
- SAGE योजना (Seniorcare Aging Growth Engine)
- एल्डर हेल्पलाइन 14567 सेवा
निष्कर्ष
भारत में वरिष्ठ नागरिक एक अत्यधिक संवेदनशील वर्ग है, जिनकी विशिष्ट समस्याओं के निराकरण हेतु केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा विशेष मंत्रालय/विभाग की स्थापना करने की आवश्यकता है। इससे न केवल समाज के सर्वाधिक सुभेद्य वर्ग की समस्याओं का निराकरण होगा, बल्कि समाज में बुजुर्गों के ज्ञान एवं अनुभव का सदुपयोग करने का अवसर भी मिलेगा।