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राज्यों में नकदी प्रवाह बढ़ाने की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा :  आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, प्रश्न पत्र 3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय, सरकारी बजट)

संदर्भ

महामारी के कारण राज्यों के कोष पर बढ़ते दबाव के मध्य यह माँग उठ रही है कि केंद्र सरकार को कर हस्तांतरण बढ़ाकर, राज्यों को एक और अनिश्चित वर्ष से निपटने में मदद करनी चाहिये, जिससे उनके व्यय को सुविधाजनक बनाया जा सकता है।

वर्तमान परिदृश्य

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI), राज्य विकास ऋण (SDL) या बॉण्ड की नीलामी करता है, जो राज्य सरकारों के वित्तीय घाटे को पूरा करने के लिये धन जुटाने का प्रमुख स्रोत हैं।
  • वर्ष 2020-21 में, इस स्रोत के माध्यम से जुटाई गई सकल राशि विगत वर्ष के 6.3 ट्रिलियन से बढ़कर 8 ट्रिलियन हो गई थी।

इस वर्ष राज्यों का प्रदर्शन

  • चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बॉण्ड का सकल निर्गम 1.4 लाख करोड़ रहा है। यह राशि विगत वर्ष जारी किये गए बॉण्ड (1.7 ट्रिलियन) की तुलना में 14 प्रतिशत कम है।
  • गौरतलब है कि इसी दौरान राज्य सरकारों के ‘देशव्यापी लॉकडाउन’ के कारण नकदी प्रवाह में व्यवधान आया है।
  • उक्त धनराशि राज्यों द्वारा बाज़ार से प्रस्तावित उधारी 1.8 ट्रिलियन की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम है।

राज्यों की उधारी में कमी के कारक

  • पहला, मार्च के अंत में केंद्र द्वारा 450 अरब  का अतिरिक्त कर हस्तांतरण। यह राशि 5.5 लाख करोड़ के कर हस्तांतरण से अधिक थी, जिसे फरवरी में बजट के दौरान पेश किये गए 2020-21 के संशोधित अनुमानों में शामिल किया गया था।
  • दूसरा, अप्रैल में रिकॉर्ड उच्च जी.एस.टी. संग्रहण। हालाँकि बढ़ते लॉकडाउन ने महीने-दर-महीने के जी.एस.टी. ई-वे बिल को कम कर दिया, जिससे मई और जून में राजस्व संग्रह में कमी दर्ज की गई
  • तीसरा, पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशों से संबंधित अप्रैल-मई में केंद्र सरकार द्वारा 436 अरब के पर्याप्त अनुदान राशि की प्राप्ति।

राज्य-वार उधार की मात्रा में अंतर के कारक

  • पहला, अनलॉक करने की गति में अंतर तथा जून के पश्चात् राज्यों में आर्थिक संवृद्धि राज्य की उधारी को महत्त्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है।
  • टीकाकरण में तेज़ी से सुधार कुछ राज्यों को संभावित तीसरी लहर से खुद को बचाने में मदद कर सकता है, जिससे अपेक्षाकृत कम आर्थिक व्यवधान उत्पन्न होगा तथा उधार लेने की आवश्यकता कम हो सकती है।
  • दूसरा, राज्यों को उनके जी.एस.टी. राजस्व में हुए नुकसान की भरपाई के लिये भारत सरकार द्वारा ‘बैक-टू-बैक’ ऋण जुटाने का परिणाम हो सकता है।
  • तीसरा, कर हस्तांतरण की मात्रा और समय भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। 

केंदीय करों की भूमिका

  • केंद्रीय कर हस्तांतरण राज्यों की संयुक्त राजस्व प्राप्तियों का एक चौथाई हिस्सा है।
  • यह राजस्व वर्ष के पहले दो महीनों में 15 फीसदी तक कम हो गया है, जो विगत वर्ष के 460 अरब से इस वर्ष अप्रैल-मई माह में गिरकर 392 अरब हो गया है।
  • यदि केंद्र सरकार फरवरी 2022 तक इस राशि को राज्यों को हस्तांतरित करना जारी रखता है, तो मार्च 2022 में बड़े पैमाने पर 2.4 ट्रिलियन (बजट राशि का 36 प्रतिशत) हस्तांतरण कर दिया जाएगा।
  • राज्यों के दृष्टिकोण से, यह नकदी प्रवाह के परिप्रेक्ष्य से पर्याप्त नहीं होगा।
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