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नीलकुरिंजी IUCN रेड लिस्ट में शामिल

चर्चा में क्यों ?

  • हाल ही में नीलकुरिंजी को IUCN रेड लिस्ट में शामिल किया गया 
  • इसे IUCN रेड लिस्ट में सुभेद्य(Vulnerable) के रूप में शामिल किया गया 

नीलकुरिंजी 

  • इसका वैज्ञानिक नाम, स्ट्रोबिलैन्थेस कुंथियानस है।
  • यह एकेंथेसी परिवार की एक झाड़ी है, जो केरल और तमिलनाडु में पश्चिमी घाट के शोला जंगलों में पाई जाती है।
  • यह पश्चिमी घाट के अलावा, कर्नाटक में बेल्लारी जिले तथा पूर्वी घाट में शेवरॉय पहाड़ियों में भी पाई जाती है।
  • नीलकुरिंजी 1,300-2,400 मीटर की ऊंचाई पर पाया जाता है
  • यह 30 से 60 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है।
  • स्थानीय रूप से इसे कुरिंजी के रूप में जाना जाता है
  • इसका वर्णन प्राचीन तमिल साहित्य में भी मिलता है। 
  • इस पौधे का नाम प्रसिद्ध कुंती नदी के नाम पर रखा गया है, जो केरल के साइलेंट वैली नेशनल पार्क से होकर बहती है
  • नीलकुरिंजी के फूल 12 वर्ष में एक बार खिलते हैं।
  • नीलगिरि हिल्स (शाब्दिक अर्थ नीले पहाड़) को अपना नाम नीलकुरिंजी के नीले फूलों से ही मिला है।
  • पलियान जनजाति (तमिलनाडु) अपनी आयु की गणना के लिए नीलकुरिंजी का प्रयोग संदर्भ के रूप में करती है।

प्रश्न  - निम्नलिखित में से कौन सी जनजाति अपनी आयु की गणना के लिए संदर्भ के रूप में नीलकुरिंजी का प्रयोग करती है ?

(a) टोडा जनजाति

(b) कुरुम्बा जनजाति

(c) इरुलर जनजाति

(d) पलियान जनजाति 

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