हाल ही में आयोजित NEET परीक्षा में 67 उम्मीदवारों ने 720 में से 720 अंक प्राप्त किए। पिछले पांच वर्षों में, किसी एक वर्ष में 720 अंक प्राप्त करने वाले टॉपर्स की अधिकतम संख्या केवल तीन थी। परीक्षा के दौरान लगभग 1,500 अभ्यर्थियों को ‘समय की हानि’के लिए ‘अनुग्रह अंक’ (Grace marks)दिए गए, जिससे मूल्यांकन प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल उठे हैं।
हालाँकि, व्यापक विरोध और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने उन छात्रों को पुनः परीक्षा का विकल्प प्रदान किया है, जिन्हें ‘अनुग्रह अंक’ प्रदान किए गए थे।
क्या है राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET)
राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (National Eligibility cum Entrance Test : NEET) उन छात्रों के लिए एक प्रवेश परीक्षा है जो सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा स्नातक पाठ्यक्रम (MBBS/BDS) और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम (MD/MS) करना चाहते हैं।
उद्देश्य: पूरे भारत में चिकित्सा और दंत चिकित्सा पाठ्यक्रमों के लिए प्रवेश प्रक्रिया को मानकीकृत करना, तथा अभ्यर्थियों की पात्रता का एक समान मूल्यांकन सुनिश्चित करना।
संचालन संस्था : परीक्षा का आयोजन राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा किया जाता है।
भाषाएँ :NEET परीक्षा ऑफ़लाइन मोड में और 13 भाषाओं में आयोजित की जाती है।
अभ्यर्थी निम्नलिखित भाषाओं में से प्रश्न पत्र का माध्यम चुन सकते हैं : अंग्रेजी, हिंदी, असमिया, बंगाली, गुजराती, मलयालम, कन्नड़, मराठी, ओडिया, तमिल, तेलुगु, उर्दू या पंजाबी।
राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA)
एन.टी.ए. (National Testing Agency) भारत में उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करने के लिए जिम्मेदार एक स्वायत्त संगठन है।
स्थापना : शिक्षा मंत्रालय द्वारा नवंबर 2017 में
कार्य एवं उद्देश्य :
देश भर में प्रवेश परीक्षाओं के संचालन को मानकीकृत और सुव्यवस्थित करना।
प्रवेश परीक्षाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता में सुधार करना
मूल्यांकन प्रक्रिया में निष्पक्षता और दक्षता सुनिश्चित करना।
स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में प्रवेश के लिए विभिन्न राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा आयोजित करना।
मुख्यालय : नई दिल्ली
NEET परीक्षा की उपयोगिता
चिकित्सा पाठ्यक्रम के लिए एकल प्रवेश परीक्षा : यह देश भर के सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों में स्नातक चिकित्सा (MBBS), दंत चिकित्सा (BDS)और आयुष जैसे अन्य संबद्ध पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए एकल प्रवेश परीक्षा है।
यह परीक्षा देश भर में चिकित्सा अभ्यर्थियों का सुसंगत और मानकीकृत तरीके से मूल्यांकन करने में मदद करती है।
चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार : यह चिकित्सा क्षेत्र में प्रवेश करने वाले छात्र में निश्चित स्तर की गुणवत्ता और योग्यता सुनिश्चित करती है।
मूल्यांकन के लिए एकल प्रवेश परीक्षा का उपयोग करके, इसका उद्देश्य चिकित्सा शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखना और यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य के स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर सक्षम हों।
दक्षता और लागत-प्रभावशीलता : यह राज्यों और संस्थानों द्वारा कई प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित करने की आवश्यकता को समाप्त करके प्रवेश प्रक्रिया को सरल बनाता है।
इससे छात्रों और शैक्षणिक निकायों दोनों के लिए समय, धन और प्रयास की बचत होती है।
प्रवेश संबंधी कदाचार को संबोधित करना :NEET से पहले, प्रत्येक राज्य या संस्थान मेडिकल कॉलेज में प्रवेश के लिए अपनी प्रवेश परीक्षाएँ आयोजित करता था। इससे अक्सर धोखाधड़ी, कैपिटेशन फीस और पारदर्शिता की कमी जैसी समस्याएं सामने आती थीं।
सभी परीक्षाओं को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) के अंतर्गत लाने से प्रक्रिया अधिक केंद्रीकृतऔर पारदर्शी हुई है। इससे भ्रष्टाचार या कदाचार की संभावना कम हुई है।
अधिक व्यवस्थित रूप में आरक्षण को लागू करने में मदद : यह मेडिकल कॉलेजों में सीटों के वितरण के लिए आधार के रूप में कार्य करती है, जिसमें आर्थिक रूप से वंचित वर्गों या अनुसूचित जातियों और जनजातियों जैसे विभिन्न छात्र समूहों के लिए आरक्षण नीतियों को लागू करना शामिल है।
क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर बनाम भारत संघ मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने NEET की वैधता को बरकरार रखा और कहा कि देश में मेडिकल और डेंटल पाठ्यक्रमों में स्नातक और स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में सभी प्रवेश NEET पर आधारित होने चाहिए।
भारतीय चिकित्सा डिग्री की वैश्विक मान्यता :NEET चिकित्सा पाठ्यक्रम की प्रवेश परीक्षाओं के लिए वैश्विक मानकों को पूरा करता है, जो भारतीय चिकित्सा डिग्री को दुनिया भर में अधिक विश्वसनीयता प्रदान करता है।
इससे भारतीय चिकित्सा स्नातकों को अन्य देशों में जा कर अध्ययन करने, लाइसेंस प्राप्त करने या काम करने में मदद मिलती है, जिससे वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ती है।
NEET से जुड़े विवाद के विषय
हालिया विवाद : यह विवाद कई मुद्दों पर है, जिनमें 1,500 से अधिक छात्रों को अनुग्रह अंक प्रदान करना, असामान्य रूप से बड़ी संख्या में छात्रों को पूर्ण अंक प्राप्त करना तथा प्रश्नपत्र लीक होने के आरोप शामिल हैं।
2024 के NEET परिणामों ने मूल्यांकन प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता के बारे में चिंताएं बढ़ा दी हैं। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने भी NEET-UG 2024 परीक्षा के संबंध में राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी को नोटिस जारी किया है।
कोचिंग उद्योगों का प्रभुत्व :NEET परीक्षा उत्तीर्ण करने के लिए कोचिंग संस्थानों पर छात्रों की निर्भरता शिक्षा के व्यावसायीकरण को लेकर चिंता पैदा करती है। ये संस्थान भारी फीस वसूलते हैं और सुविधा संपन्न तथा वंचित छात्रों के बीच असमानता को और बढ़ाते हैं।
राजन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, 2019-20 में प्रवेश पाने वाले 99% छात्रों ने कोचिंग ली थी। यह कोचिंग उद्योगों के प्रभुत्व को रेखांकित करता है।
समानता और प्रतिनिधित्व संबंधी चिंताएँ : राजन समिति की रिपोर्ट के अनुसार, NEET शुरू होने के बाद, ग्रामीण क्षेत्रों एवं कम आय वाले परिवारों और राज्य बोर्ड के स्कूलों से कम छात्रों को मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश मिला।
इससे समान प्रतिनिधित्व और सामाजिक न्याय पर NEET के प्रभाव को लेकर चिंताएं पैदा होती हैं। यह तमिलनाडु सरकार द्वारा NEET के विरोध का एक प्रमुख कारण रहा है।
NEET केवल कुछ भाषाओं जैसे अंग्रेजी, हिंदी और कुछ क्षेत्रीय भाषाओं में आयोजित किया जाता है। यह अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के छात्रों के लिए एक चुनौती है, जो वर्तमान परीक्षा पैटर्न के अंतर्गत शामिल नहीं हैं।
तनाव और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ : उत्कृष्टता हासिल करने के लिए कड़ी प्रतिस्पर्धा और तनाव छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
यह तनाव आत्महत्या जैसे दुखद परिणामों को जन्म देता है। कोटा में छात्रों द्वारा आत्महत्या इसका उल्लेखनीय उदहारण है।
संघीय ढांचे और राज्य की स्वायत्तता के खिलाफ :NEET सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों के प्रवेश को विनियमित करने के राज्यों के अधिकार को समाप्त कर संघीय ढांचे को कमजोर करता है।
शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है, जो राज्यों को राज्य विश्वविद्यालयों के लिए शिक्षा को विनियमित करने की अनुमति देता है।
सभी मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए NEET की अनिवार्यता, संघीय ढांचे और शैक्षिक निर्णयों में राज्यों की स्वायत्तता का उल्लंघन करती है।
आगे की राह
न्यायिक हस्तक्षेप : NEET-UG 2024 के परिणामों में हुई अनियमितता पर छात्रों की और से सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई है। न्यायालय इस मामले में समग्रता से विचार करना चाहिए।
राजन समिति की सिफ़ारिशें लागू करना : तमिलनाडु सरकार ने 2021 में NEET आधारित प्रवेश प्रक्रिया के प्रभाव का अध्ययन करने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के. राजन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया था।
समिति ने विभिन्न राज्य बोर्डों में निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए ‘सामान्यीकृत (normalized)’ उच्चतर माध्यमिक स्कोर का उपयोग करने का सुझाव दिया है।
इसमें उच्चतर माध्यमिक परीक्षा में प्रदर्शन को प्रभावित करने वाली सामाजिक-आर्थिक और अन्य बाधाओं को पहचानने और ‘प्रतिकूलता स्कोर (adversity score)’ प्रणाली का उपयोग करके तदनुसार स्कोर को संशोधित करने का भी सुझाव दिया गया है।
कोचिंग उद्योग का विनियमन : निजी कोचिंग संस्थानों द्वारा अत्यधिक शुल्क वसूलने पर एक स्पष्ट विनियमन की आवश्कयता है।
साथ ही छात्रों के बीच नकारात्मकता को कम करने और उनके बेहतर मानसिक स्वास्थ्य के लिए सेमिनार या कार्यशालाएँ के आयोजन को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
बहु-हितधारकों की सहभागिता : छात्रों की आवश्यकताओं और चिंताओं को संबोधित करने वाले समाधान विकसित करने के लिए छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, नीति निर्माताओं और चिकित्सा पेशेवरों सहित हितधारकों को शामिल करने की आवश्यकता है।
सतत मूल्यांकन और सुधार :NEET परीक्षा प्रणाली का निरंतर मूल्यांकन और सुधार करने, सुधारों की निगरानी करने, हितधारकों से फीडबैक एकत्र करने और परीक्षा की प्रभावशीलता और अखंडता बनाए रखने के लिए नीतियों को समायोजित करने की आवश्यकता है।
सामाजिक आर्थिक असमानताओं को संबोधित करना : विविध सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि वाले छात्रों के लिए समान अवसर प्रदान करने के उपाय लागू किए जाने चाहिए।
इसमें आर्थिक रूप से वंचित छात्रों को वित्तीय सहायता, छात्रवृत्ति और कोचिंग सहायता आदि को शामिल किया जा सकता है।