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नव-स्थानीयवाद और निहितार्थ

(प्रारंभिक परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 1: भारतीय समाज पर भूमंडलीकरण का प्रभाव)

संदर्भ 

  • हाल के वर्षों में, वैश्वीकरण की प्रतिक्रिया स्वरूप एक उल्लेखनीय सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव सामने आ रहा है,  जिसे “नव-स्थानीयवाद” (Neo-localism) कहा जाता है। 
  • यह बदलाव स्थानीयता की ओर उन्मुखता को दर्शाती है, जिसकी विशेषता स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, सामुदायिक पहचान और संधारणीय प्रथाओं पर अधिक ध्यान केंद्रित करना है। 

नव-स्थानीयवाद (Neo-localism) से तात्पर्य 

  • नव-स्थानीयवाद एक ऐसा विचार है जो वैश्वीकृत दुनिया में स्थानीय पहचान, संस्कृति और अर्थव्यवस्थाओं के महत्व पर बल देकर स्थानीय समुदायों को पुनर्जीवित करने पर केंद्रित है। 
    • यह व्यक्तियों और समूहों को अपने आस-पास के वातावरण में शामिल होने व निवेश करने, संबंधों को बढ़ावा देने, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करने तथा सांस्कृतिक परंपराओं को संरक्षित करने के लिए प्रोत्साहित करता है। 
  • यह मुख्य रूप से आर्थिक समृद्धि से संबंधित होने के साथ ही लोगों के जीवन के अन्य पहलुओं जैसे परिवार और संस्कृति पर भी नियंत्रण की बात करता है। 
  • इसका उद्देश्य लचीले, टिकाऊ समुदायों का निर्माण करना है जो स्थानीय संसाधनों व सामाजिक संबंधों को प्राथमिकता देते हैं और वैश्वीकरण के समरूप प्रभावों का मुकाबला करते हैं। 
    • हालाँकि, यह वैश्वीकरण विरोधी नहीं है। 

नव-स्थानीय (Neo-locals) का तात्पर्य

  • इसका तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों या समूहों से है जो स्थानीय पहचान और समुदाय की एक मजबूत भावना पर बल देते हैं। सामान्यतः ऐसा आधुनिक जीवन और वैश्वीकरण की क्षणभंगुर प्रकृति की प्रतिक्रिया में होता है। 
  • नव-स्थानीय लोग प्राय: स्थानांतरित हो सकते हैं, लेकिन वे जहाँ भी जाते हैं, वहाँ अपनेपन की भावना का विकास करना चाहते हैं। 
  • वे प्राय: अपने पिछले अनुभवों के पहलुओं को अपने नए परिवेश के साथ मिलाते हैं।

नव-स्थानीयवाद के चालक

  • वैश्वीकरण से मोहभंग : कई व्यक्तियों, विशेष रूप से मिलेनियल्स (Millennials) और जेन ज़ेड (Gen Z) ने वैश्वीकरण के नकारात्मक परिणामों को देखा है, जिसमें आर्थिक असमानता, पर्यावरण क्षरण और स्थानीय रोज़गार की क्षति शामिल है। 
    • इस मोहभंग ने सामाजिक समानता और पर्यावरणीय स्थिरता को प्राथमिकता देने वाले अधिक स्थानीय समाधानों की इच्छा को जन्म दिया है।
  • तकनीकी प्रगति : इंटरनेट और सोशल मीडिया ने स्थानीय समुदायों के बीच संपर्क को आसान बनाया है, जिससे व्यक्तियों को संसाधन, विचार और सहायता प्रणाली साझा करने में सुलभता प्राप्त हुई है। 
    • यह संपर्क स्थानीय व्यवसायों और सामुदायिक जुड़ाव को बढ़ावा देने में मदद करता है, जिससे निवासियों के लिए वैश्विक के बजाय स्थानीय को चुनना आसान हो जाता है।
  • पर्यावरण संबंधी चिंताएँ : जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण क्षरण के बारे में बढ़ती जागरूकता ने कई लोगों को टिकाऊ पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रेरित किया है। नव-स्थानीयवाद प्राय: पर्यावरण के अनुकूल पहलों पर बल देता है, जैसे स्थानीय कृषि का समर्थन करना, कार्बन फुटप्रिंट को कम करना और टिकाऊ उपभोग पैटर्न को प्रोत्साहित करना।
    • उदाहरण के लिए, लैंटाना कैमरा, जलकुंभी  (इचोर्निया क्रैसिप्स) और गोल्डन एप्पल घोंघा (पोमेसिया कैनालिकुलाटा) जैसी विदेशी प्रजातियों के आने से भारत में पारिस्थितिकी और आर्थिक रूप से बहुत गंभीर परिणाम सामने आए हैं। इन आक्रामक प्रजातियों को नियंत्रित करने के प्रयास देशी जैव विविधता की रक्षा और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
  • सांस्कृतिक पहचान : वैश्वीकरण एक समरूप वैश्विक संस्कृति को बढ़ावा देता है, इसलिए कई लोग अपनी स्थानीय विरासत एवं परंपराओं से फिर से जुड़ना चाहते हैं। 
    • नव-स्थानीयता अपनेपन और पहचान की भावना को बढ़ावा देती है, जिससे समुदायों को अपने अनूठे इतिहास तथा प्रथाओं समायोजित करने का अवसर मिलता है।
  • महामारी का प्रभाव : कोविड-19 महामारी ने वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं की कमज़ोरियों और स्थानीय लचीलेपन के महत्व को उजागर किया है। 
    • जब समुदायों को व्यवधानों का सामना करना पड़ा, तो कई लोगों ने सहायता के लिए स्थानीय संसाधनों और व्यवसायों की ओर रुख किया, जिससे नव-स्थानीय आंदोलन को और मजबूती मिली।
  • मिलेनियल्स (Millennials) : मिलेनियल्स वे लोग हैं जो वर्ष 1981 और 1996 के मध्य जन्म लिए हैं, जिनकी वर्तमान आयु 26-41 वर्ष है।
  • जेन ज़ी (Gen Z): जेन ज़ी से तात्पर्य वर्ष 1996 और 2010 के के मध्य जन्म लिए हैं। उन्हें ‘डिजिटल मूल निवासी’ के रूप में जाना जाता है, जो इंटरनेट के साथ बड़ी होने वाली पहली पीढ़ी है।
  • जेन अल्फा (Gen Alpha) : जेन अल्फा वे लोग हैं जो वर्ष 2010 और 2025 के बीच जन्म लिए (या जन्म लेने वाले) हैं। 

नव-स्थानीयवाद के निहितार्थ

  • आर्थिक लचीलापन : स्थानीय व्यवसायों और अर्थव्यवस्थाओं में निवेश करके, समुदाय वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के खिलाफ लचीलापन बना सकते हैं। 
    • एक मजबूत स्थानीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता को कम करने के साथ ही आर्थिक मंदी के खिलाफ एक बफर बना सकती है।
  • सामुदायिक सहभागिता : नव-स्थानीयता सामुदायिक मामलों में सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करती है। 
    • स्थानीय निर्णय लेने में निवासियों की भागीदारी बढ़ जाती है, जिससे सामुदायिक संबंध मजबूत होने के साथ ही सहयोग की भावना बढ़ती है। 
  • सतत विकास : स्थानीय संसाधनों पर ध्यान केंद्रित करने से सतत प्रथाओं को बढ़ावा मिलता है, जिससे परिवहन और बड़े पैमाने पर उत्पादन से जुड़े पर्यावरणीय प्रभाव कम होते हैं। 
    • स्थानीय वस्तुओं को प्राथमिकता देने वाले समुदाय प्राय: पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को अपनाते हुए अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर अग्रसर होते हैं।
  • सांस्कृतिक संरक्षण : स्थानीय परंपराओं और प्रथाओं को महत्त्व देकर नव-स्थानीयता सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण में योगदान देती है। 
    • इससे स्थानीय कला, शिल्प और परंपराओं में रुचि का पुनरुत्थान के परिणामस्वरूप समुदाय का सांस्कृतिक परिदृश्य समृद्ध हो सकता है।
  • वैश्विक निगमों के लिए चुनौतियाँ : नव-स्थानीय आंदोलन बहुराष्ट्रीय निगमों के लिए एक चुनौती है जो बाज़ारों पर प्रभाव डालती हैं। 
    • जैसे-जैसे उपभोक्ता स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं, कंपनियों को अपनी रणनीतियों को बदलने की आवश्यकता हो सकती है, जिससे संभावित रूप से बाज़ार की गतिशीलता में बदलाव हो सकता है।
  • असमानता की संभावना : जबकि नव-स्थानीयता सामुदायिक सहभागिता और स्थिरता को बढ़ावा देती है, यह समावेशिता के बारे में चिंता भी उत्पन्न करती है। यदि स्थानीय पहल कुछ जनसांख्यिकी को दूसरों पर प्राथमिकता देती है, तो यह मौजूदा असमानताओं को बढ़ा सकती है। 
    • यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि नव-स्थानीय प्रयास सभी समुदाय के सदस्यों के लिए सुलभ हों।

निष्कर्ष

  • नव-स्थानीयवाद का उदय एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और आर्थिक बदलाव को दर्शाता है क्योंकि युवा पीढ़ी वैश्वीकरण की चुनौतियों के लिए विकल्प तलाश रही है। स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं, सामुदायिक पहचान और संधारणीय प्रथाओं को प्राथमिकता देकर, नव-स्थानीयवाद लचीलापन  एवं सशक्तीकरण का एक मार्ग प्रदान करती है। 
  • तीव्र गति से बदलती दुनिया की जटिलताओं का समान करने के लिए नव-स्थानीयता अधिक टिकाऊ और न्यायसंगत भविष्य को बढ़ावा देने के लिए एक नई आशा की किरण है।
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