(प्रारम्भिक परीक्षा: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) |
चर्चा में क्यों
सिसिली (इटली) के निकट भूमध्य सागर के नीचे वैज्ञानिकों ने न्यूट्रिनो कणों की खोज की है।
भूमध्यसागर में न्यूट्रिनो की खोज के बारे में
- KM3NeT (क्यूबिक किलोमीटर न्यूट्रिनो टेलीस्कोप) प्रोजेक्ट के अंतर्गत वैज्ञानिकों द्वारा भूमध्यसागर में न्यूट्रिनो कणों की खोज की गई है।
- खोजे गए हालिया न्यूट्रिनो कण अब तक ज्ञात अन्य न्यूट्रिनो कणों से 30 गुना अधिक ऊर्जावान हैं।
- ये न्यूट्रिनो जिनेवा स्थित विश्व के सबसे बड़े और सर्वाधिक शक्तिशाली कण त्वरक, लार्ज हैड्रॉन कोलाइडर द्वारा निर्मित कणों से 10,000 गुना अधिक ऊर्जावान हैं।
- वैज्ञानिकों ने भूमध्य सागर के नीचे ज्ञात न्यूट्रिनो के संभावित उत्पत्ति बिंदुओं के रूप में दूर की आकाशगंगाओं के केंद्र में सक्रिय रूप से आस-पास के पदार्थ को निगलने वाले 12 विशालकाय ब्लैक होल की पहचान की है।
- हालाँकि यह न्यूट्रिनो किसी अन्य स्रोत से भी उत्पन्न हो सकता है।
यह भी जानें
KM3NeT प्रोजेक्ट
- KM3NeT प्रोजेक्ट में भूमध्य सागर के तल पर दो बड़े न्यूट्रिनो डिटेक्टर शामिल हैं। ये डिटेक्टर अभी निर्माणाधीन हैं और अपनी पूर्ण क्षमता तक नहीं पहुँचे हैं।
- ARCA (Astroparticle Research with Cosmics in the Abyss) नामक एक डिटेक्टर सिसिली के पास 3.4 किमी. गहराई पर स्थित है, जिसे उच्च ऊर्जा वाले न्यूट्रिनो का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- ORCA (Oscillation Research with Cosmics in the Abyss) नामक एक डिटेक्टर फ्रांस के प्रोवेंस के पास 2.4 किमी. गहराई पर है, जिसे कम ऊर्जा वाले न्यूट्रिनो का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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न्यूट्रिनो (Neutrinos) के बारे में
- छोटे-छोटे उप-परमाण्विक कणों को न्यूट्रिनो कहा जाता हैं।
- न्यूट्रिनो की खोज सर्वप्रथम वर्ष 2013 में की गई थी।
- इनका निर्माण प्रोटॉन (उप-परमाणु कण) और (परमाणु) नाभिकीय ऊर्जा के परस्पर क्रिया करने से होता है।
- न्यूट्रिनो तीन प्रकार के होते हैं: इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो, म्यूऑन न्यूट्रिनो और ताऊ न्यूट्रिनो (Electron, Muon and Tau)।
प्रमुख विशेषताएँ
- ये आवेश-रहित और द्रव्यमान-रहित कण होते हैं जो ब्रह्मांडीय किरणों वाले स्रोतों से उत्पन्न होते हैं।
- ये ब्रह्मांडीय किरण स्रोतों का पता लगाने में मदद करते हैं।
- ये कण अंतरिक्ष में बिना किसी बाधा के किसी भी पदार्थ जैसे- तारों, ग्रहों आदि से गुजर सकते हैं।
- इन कणों को "भूत कण" (Ghost Particles) उपनाम से भी जाना जाता है।