प्रारंभिक परीक्षा- समसामयिक मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर-3 |
संदर्भ-
- सरकार ने वर्ष,2023 के बजट में गैर-निवासी निवेशकों द्वारा उनके उचित बाजार मूल्य से अधिक प्रीमियम पर स्टार्टअप में निवेश पर पेश किए गए एंजेल टैक्स के कुछ प्रावधानों को आसान बना दिया है। इसने शेयरों के लिए पांच अलग-अलग मूल्यांकन तरीकों की शुरुआत की है और स्वीकृत शेयर मूल्यांकन से विचलन के लिए 10% सहिष्णुता की पेशकश की है।
मुख्य बिंदु-
- 26 सितंबर,2023 को आयकर विभाग ने नए एंजेल टैक्स नियमों को अधिसूचित किया है जिसमें निवेशकों को गैर-सूचीबद्ध स्टार्टअप द्वारा जारी किए गए शेयरों का मूल्यांकन करने के लिए एक तंत्र शामिल है।
- वित्त अधिनियम, 2023, एक असूचीबद्ध कंपनी द्वारा शेयर जारी करने के लिए गैर-निवासियों से प्राप्त प्रतिफल को आयकर अधिनियम, 1961 (अधिनियम) की धारा 56(2)(vii)(b) के दायरे में लाने के लिए संशोधन किया गया।
- यह संशोधन प्रावधान करता है कि यदि शेयरों को जारी करने के लिए इस तरह का विचार शेयरों के उचित बाजार मूल्य (एफएमवी) से अधिक है, तो यह 'अन्य स्रोतों से आय' शीर्षक के तहत आयकर के दायरे में आएगा।
- कानून के प्रारूपण में हितधारकों को शामिल करने की सरकार की प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए 19 मई,2023 की प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से उचित बाजार मूल्य की गणना के तरीकों के मूल्यांकन के लिए मसौदा नियम 11यूए पर हितधारकों और आम जनता से सुझाव और प्रतिक्रिया आमंत्रित की गई थी।
- इस संबंध में प्राप्त सुझावों और हितधारकों के साथ की गई विस्तृत बातचीत को ध्यान में रखते हुए, अधिनियम की धारा 56(2)(vii)(b) के प्रयोजनों के लिए शेयरों के मूल्यांकन के लिए नियम 11UA को अधिसूचना संख्या ‘81/2023 दिनांक 25 सितम्बर 2023’ के माध्यम से संशोधित किया गया है।
नियम 11UA में संशोधन की मुख्य बातें-
(a) नियम 11UA के तहत निवासियों के लिए उपलब्ध शेयरों के मूल्यांकन के लिए दो तरीकों अर्थात् डिस्काउंटेड कैश फ्लो (डीसीएफ) और नेट एसेट वैल्यू (एनएवी) विधि के अलावा अनिवासी निवेशकों के लिए पांच और मूल्यांकन तरीके उपलब्ध कराए गए हैं। ये हैं-
- तुलनीय कंपनी एकाधिक विधि
- संभाव्यता भारित अपेक्षित रिटर्न विधि
- विकल्प मूल्य निर्धारण विधि
- मील का पत्थर विश्लेषण विधि
- प्रतिस्थापन लागत विधि।
(b) जहां केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित किसी अनिवासी इकाई से शेयर जारी करने के लिए कोई विचार प्राप्त होता है, तो ऐसे विचार के अनुरूप इक्विटी शेयरों की कीमत को निवासी और अनिवासी के लिए इक्विटी शेयरों के एफएमवी के रूप में लिया जा सकता है। निवेशक निम्नलिखित के अधीन हैं-
- इस हद तक कि ऐसे एफएमवी से प्राप्त प्रतिफल अधिसूचित इकाई से प्राप्त कुल प्रतिफल से अधिक न हो
- शेयर जारी करने की तारीख से पहले या बाद में नब्बे दिनों की अवधि के भीतर कंपनी द्वारा अधिसूचित इकाई से विचार प्राप्त किया गया है, जो मूल्यांकन का विषय है।
(c) इसी तर्ज पर वेंचर कैपिटल फंड या निर्दिष्ट फंड द्वारा निवेश के संदर्भ में निवासी और अनिवासी निवेशकों के लिए मूल्य मिलान उपलब्ध होगा।
(d) अनिवार्य रूप से परिवर्तनीय वरीयता शेयरों (सीसीपीएस) के एफएमवी की गणना के लिए मूल्यांकन विधियां भी प्रदान की गई हैं।
(d) स्वीकृत शेयर मूल्यांकन से विचलन के लिए 10% सहिष्णुता की पेशकश की है।
- इन पांच तरीकों में से किसी भी तरीके से इक्विटी शेयरों का मूल्य निर्धारण करने का विकल्प निवासी निवेशकों के लिए उपलब्ध नहीं है।
- अधिसूचित नियम विश्व स्तर पर स्वीकृत कार्यप्रणाली को शामिल करने और निवासी तथा अनिवासी निवेशकों को व्यापक समानता प्रदान करने के लिए मूल्यांकन पद्धतियों के विस्तार का प्रावधान करता है।
- डेलॉयट इंडिया के पार्टनर अनिल तलरेजा ने कहा कि भारतीय कंपनियों और निवेशकों को इन नियमों पर स्पष्टता की कमी के कारण पूंजी निवेश से जुड़े एक सरल लेन-देन को निष्पादित करने में गंभीर व्यावहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था।उम्मीद है कि निवेशकों को अब भारतीय कंपनियों में अपना निवेश पूरा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
- एसडब्ल्यू इंडिया के प्रबंध भागीदार और सह-संस्थापक अतुल ने कहा कि, "संशोधित नियम निवेशक और निवेश प्राप्तकर्ता दोनों के आधार पर अधिक स्पष्टता लाता है, जिससे एक उचित मूल्यांकन पद्धति अपनाई जा सकती है, जिससे भविष्य में किसी मुकदमेबाजी की संभावना कम हो जाएगी और पात्र स्टार्टअप में निवेश को बढ़ावा देते हुए नाजायज या गैर-वास्तविक लेनदेन को संबोधित किया जा सकेगा।"
एंजेल टैक्स-
- स्टार्टअप से जुड़े लोगों को सामान्यतः अपने कारोबार के विस्तार के लिये पैसे की आवश्यकता होती है जिसके लिये वे पैसे देने वाली कंपनी या संस्था को शेयर जारी करते हैं।
- अक्सर ये शेयर उचित कीमत से कही ज्यादा कीमत पर जारी किये जाते हैं। शेयर की अतिरिक्त कीमत को उनकी आय (Income) माना जाता है तथा इस आय पर टैक्स लगाया जाता है, जिसे ‘एंजेल टैक्स’ (Angel Tax) कहा जाता है
- स्टार्टअप को इस तरह मिले पैसे को ‘एंजेल फंड’ (Angel Fund) कहते हैं।
- एंजेल टैक्स की वसूली आयकर विभाग करता है।
- एंजल टैक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी।
- इसका उद्देश्य मनी लाउड्रिंग पर रोक लगाना है।
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न - एंजेल टैक्स की शुरुआत कब की गई थी?
(a) 1991
(b )2012
(c) 2019
(d) 2021
उत्तर- (b)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- एंजेल टैक्स में संशोधन से निवेशकों को अब भारतीय कंपनियों में अपना निवेश पूरा करने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। समीक्षा करें
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