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औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का नया आधार वर्ष

(प्रारम्भिक परीक्षा : आर्थिक और सामाजिक विकास)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नप्रत्र- 3 : विषय – भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना)

चर्चा में क्यों?

हाल ही में, सरकार के श्रम मंत्रालय द्वारा औद्योगिक श्रमिकों के लिये खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation for Industrial Workers) के लिये नई शृंखला शुरू करते हुए आधार वर्ष को 2001 से 2016 कर दिया गया। हालाँकि सरकार ने यह भी कहा है कि, महंगाई भत्ता, जो औद्योगिक श्रमिकों के लिये उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सी.पी.आई- आई.डब्ल्यू.) से ही जुड़ा हुआ है, अपरिवर्तित रहेगा।

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मुख्य बिंदु

  • सरकार ने यह भी कहा कि नई शृंखला को पुराने के साथ तुलनीय बनाने के लिये गणना 2.88 के लिंकिंग फैक्टर का उपयोग करके की जाएगी। उदाहरणार्थ, सितम्बर के लिये सी.पी.आई.- आई.डब्ल्यू. 118 है, लिंकिंग फैक्टर के साथ यह 339.8 हो जाएगा, जबकि विगत वर्ष में यह इसी अवधि के दौरान 322 था।
  • CPI-IW मुख्य रूप से अनुसूचित क्षेत्रों में न्यूनतम मज़दूरी के निर्धारण और संशोधन के अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में केंद्रीय/राज्य सरकार के कर्मचारियों और श्रमिकों को दिये जाने वाले महंगाई भत्ते (DA) के निर्धारण के लिये उपयोग किया जाता है।
  • नई शृंखला में पिछले आधार वर्ष 2001 के बाद से मज़दूर वर्ग के परिवारों के उपभोग पैटर्न में बदलाव को शामिल किया गया है। नई शृंखला के तहत, खाद्य शृंखला का भारांश 2001 के 46.2 % से घटकर 39.17 % हो गया है। जबकि शिक्षा और स्वास्थ्य, जैसी सेवाओं का भारांश 23.26 % से बढ़कर 30.31 % हो गया है। आवास और कपड़े व जूतों का भारांश भी क्रमशः 15.87 % से 16.87 % और 6.07 % से 6.08 % हो गया है।
  • ईंधन और प्रकाश से जुड़े खंड का भारांश 6.43 % के मुकाबले 5.5 % होगा, जबकि पान, सुपारी, तम्बाकू और नशीले पदार्थों का भारांश 2.27 % के मुकाबले 2.07 % होगा।
  • 2001 की शृंखला में 78 केंद्रों के मुकाबले 2016 की नई शृंखला में, 88 केंद्रों को कवर किया गया है। 
  • खुदरा मूल्य के आँकड़ों के संग्रह के लिये चयनित बाज़ारों की संख्या भी 2001 के 289 की तुलना में 2016 में 317 हो गई है। इंडेक्स बास्केट में सीधे रूप से रखी गई वस्तुओं की संख्या 392 से 463 हो गई हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (International Labour Organization), सूचकांक समीक्षा समिति (Index Review Committee) और राष्ट्रीय सांख्यिकीय आयोग (National Statistical Commission) की सिफारिशों के अनुसार, मूल्य सूचकांक संख्याओं के आधार वर्ष को नियमित अंतराल पर संशोधित किया जाना चाहिये, जो कि होने वाले परिवर्तनों को प्रतिबिम्बित करने के लिये 10 वर्ष से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • सी.पी.आई.-आई.डब्ल्यू. को अंतर्राष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं और आई.एल.ओ. के दिशा-निर्देशों के अनुसार संकलित किया गया है।
  • ध्यातव्य है कि मुद्रा स्फीति की गणना करने के लिये बहुत से तरीके इस्तेमाल किये जाते हैं, जैसे- थोक मूल्य सूचकांक, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक, उत्पादक मूल्य सूचकांक, कमोडिटी मूल्य सूचकांक, जीवन निर्वाह व्यय सूचकांक, कैपिटल गुड्स प्राइस इंडेक्स और जी.डी.पी. डेफ्लेटर। लेकिन इनमें से थोक मूल्य सूचकांक और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का इस्तेमाल सम्पूर्ण विश्व में सबसे अधिक किया जाता है।

प्री फैक्ट्स :

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI)

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक; घरेलू उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी गयी वस्तुओं और सेवाओं (goods and services) के औसत मूल्य को मापने वाला एक सूचकांक है। हम लोग रोज़मर्रा की जिंदगी में आटा, दाल, चावल आदि पर जो खर्च करते है;  इस पूरे खर्च के औसत को ही उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के माध्यम से दर्शाया जाता है। इसमें 8 प्रकार के खर्चों को शामिल किया जाता है. ये हैं; शिक्षा, संचार, परिवहन, मनोरंजन, कपडे, खाद्य & पेय पदार्थ, आवास और चिकित्सा खर्च।

CPI के चार प्रकार निम्नलिखित हैं :

1. औद्योगिक श्रमिकों (Industrial Workers- IW) के लिये CPI 
2. कृषि मज़दूरों (Agricultural Labourer- AL) के लिये CPI
3. ग्रामीण मज़दूरों (Rural Labourer- RL) के लिये CPI
4. ग्रामीण/शहरी/संयुक्त CPI

इनमें से प्रथम तीन को श्रम एवं रोज़गार मंत्रालय के अधीन श्रम ब्यूरो (Labor Bureau) द्वारा संकलित किया जाता है। जबकि चौथे प्रकार के CPI को सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics and Programme Implementation) के अंतर्गत आने वाले राष्ट्रिय सांख्यिकी कार्यालय (National Statistical Office-CSO) द्वारा संकलित किया जाता है। CPI का आधार वर्ष 2012 है। जबकि CPI-IW के लिये अभी तक आधार वर्ष 2001 था।

थोक मूल्य सूचकांक (WPI):

थोक मूल्य सूचकांक (WPI) की गणना थोक बाज़ार में उत्पादकों और बड़े व्यापारियों द्वारा किये गए भुगतान के आधार पर की जाती है। इसमें उत्पादन के प्रथम चरण में अदा किये गए मूल्यों की गणना की जाती है। भारांश में मुद्रा स्फीति की गणना इसी सूचकांक के आधार पर की जाती है।

उर्जित पटेल समिति की रिपोर्ट द्वारा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर ध्यान केंद्रित किये जाने से पहले थोक मूल्य सूचकांक के द्वारा ही भारांशत में मंहगाई की गणना की जाती थी। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के आर्थिक सलाहकार के कार्यालय (Office of Economic Adviser) द्वारा इस सूचकांक को प्रकाशित किया जाता है।

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