New
The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back The Biggest Holi Offer UPTO 75% Off, Offer Valid Till : 12 March Call Our Course Coordinator: 9555124124 Request Call Back

भारत व चीन के मध्य नवीन सीमा-समझौता

(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार)

संदर्भ 

हाल ही में, भारत एवं चीन के मध्य चार वर्ष पुराने सैन्य गतिरोध को हल करने के लिए एक समझौते की पुष्टि की गई है। 

नवीनतम समझौता के प्रमुख बिंदु 

  • भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर के अनुसार चीन वर्ष 2020 से पहले के स्तर एवं स्थितियों पर सैनिकों को बहाल करने के लिए सहमत हो गया है। 
  • गश्त व्यवस्था (Patrolling Arrangements) पर समझौते की घोषणा रूस में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से ठीक पहले हुई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग भाग ले रहे हैं। 
  • भारत एवं चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गश्त पुन: शुरू करने के समझौते का अर्थ है कि भारतीय सैनिक उन जगहों तक गश्त कर सकेंगे जहाँ वे वर्ष 2020 के गतिरोध से पहले गश्त करते थे।
  • नवीनतम समझौते के अनुसार, दोनों पक्ष टकराव से बचने के लिए अपने सैनिकों को वर्तमान स्थिति से थोड़ा पीछे हटाएंगे। 
    • टकराव से बचने के लिए दोनों सेनाएं तय कार्यक्रम के अनुसार सीमा पर विवादित बिंदुओं पर गश्त करेंगी।
  • दोनों पक्षों द्वारा मासिक समीक्षा बैठकें और विवादित क्षेत्रों की नियमित निगरानी यह सुनिश्चित करेगी कि सीमा पर कोई उल्लंघन न हो।
  • कथित तौर पर समझौते में डेपसांग मैदान और डेमचोक के दो प्रमुख संघर्ष बिंदुओं में सैन्य वापसी की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई है। 
    • इस पर पूर्व में चीनी पक्ष ने चर्चा करने से भी इनकार कर दिया था। 
  • नए समझौते के अनुसार चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) भारतीय सैनिकों को गश्त बिंदु 10 से 13 तक गश्त करने में बाधा नहीं उत्पन्न करेगी। 
    • हालाँकि, इसकी संभावना काफी कम है क्योंकि PLA ने पिछले चार वर्षों में डेपसांग के मैदानों में एक विशाल बुनियादी ढाँचा निर्मित किया है। 
    • ऐसे में चीन द्वारा वर्ष 2020 के बाद स्थापित अपनी रक्षात्मक/आक्रामक स्थिति को समाप्त करने की संभावना बहुत ही कम है।

सैन्य गतिरोध में वृद्धि 

  • अप्रैल 2020 में चीन द्वारा अचानक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अतिक्रमण तथा उसके बाद भारत की जवाबी तैनाती के साथ ही द्विपक्षीय संबंध लगभग समाप्त हो गए थे।
    • इसमें जून 2020 में गलवान हिंसा के पश्चात और वृद्धि हुई थी।
    • इसके बाद दोनों पक्षों ने नए टकरावों से बचने के लिए लद्दाख क्षेत्र में सीमा पर कई बिंदुओं पर गश्त करना बंद कर दिया था।

नवीनतम समझौते का प्रभाव 

  • इस समझौते से दोनों देशों के बीच बेहतर राजनीतिक व व्यापारिक संबंधों का मार्ग प्रशस्त होगा।
    • पिछले चार वर्षों में गतिरोध को समाप्त करने के लिए धीमी प्रगति ने दोनों बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच व्यापारिक संबंधों को नुकसान पहुंचाया है।
    • इसके तहत भारत ने चीनी फर्मों द्वारा निवेश की जाँच सख्त करने के साथ ही उसकी प्रमुख परियोजनाओं को रोक दिया था।
  • उचित सैन्य वापसी के अभाव में किसी भी तरह की गश्त मुश्किल होने के साथ ही यह अपने रूप में आक्रामक हो सकती है। 
    • ऐसे में जब तक पूरी तरह से सैन्य वापसी और डी-एस्केलेशन नहीं होता है तब तक वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर शांति एवं स्थिरता अस्थायी रहेगी।

भारत-चीन के मध्य सीमा विवाद के प्रमुख क्षेत्र  

वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) 

  • वास्तविक नियंत्रण रेखा (Line of Actual Control : LAC) भारत एवं चीन के मध्य वास्तविक सीमा रेखा की तरह है। LAC सामान्यतया पश्चिमी (लद्दाख), मध्य (हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड) और पूर्वी (अरुणाचल प्रदेश व सिक्किम) क्षेत्रों में विभाजित है।
  • यह एक प्रकार की युद्ध विराम रेखा है क्योंकि वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्घ के बाद दोनों देशों की सेनाएँ जहाँ तैनात थी, उसे ही वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया।

  • ‘लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल’ शब्द मूलत: वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के बाद केवल पश्चिमी सीमा क्षेत्र के लिए संदर्भित था किंतु 1990 के दशक के बाद से इस शब्द का प्रयोग पूरी वास्तविक सीमा का उल्लेख करने के लिए किया जाने लगा।
  • इसको वर्ष 1993 और वर्ष 1996 में हस्ताक्षरित भारत-चीन समझौतों के माध्यम से कानूनी मान्यता प्राप्त हुई।

मैकमोहन रेखा

  • मैकमोहन रेखा भारत एवं तिब्बत के बीच सीमा रेखा है। यह वर्ष 1914 में भारत की तत्कालीन ब्रिटिश सरकार और तिब्बत के बीच शिमला समझौते के तहत अस्तित्व में आई थी।
  • इस सीमा रेखा का नाम सर हैनरी मैकमोहन के नाम पर रखा गया था, जिनकी इस समझौते में महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। वे भारत की तत्कालीन अंग्रेज सरकार के विदेश सचिव थे।
  • वर्ष 1937 में भारतीय सर्वेक्षण विभाग के एक मानचित्र में मैकमोहन रेखा को आधिकारिक भारतीय सीमा रेखा के रूप में दिखाया गया था।

  • चीन वर्ष 1914 के शिमला समझौते को मानने से इनकार करता है। चीन के अनुसार तिब्बत स्वायत्त राज्य नहीं था और उसके पास किसी भी प्रकार के समझौते करने का कोई अधिकार नहीं था।

अक्साई चिन

  • अक्साई चिन या अक्सेचिन तिब्बती पठार के उत्तर-पश्चिम में स्थित एक विवादित क्षेत्र है। यह कुनलुन पर्वतों के ठीक नीचे स्थित है।
  • अक्साई चिन लगभग 5000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित एक लवणीय मरुस्थल है। अक्साई चिन का अर्थ ‘सफ़ेद पथरीली घाटी का रेगिस्तान’ है।
  • इस क्षेत्र में अक्साई चिन (अक्सेचिन) नाम की झील और अक्साई चिन नाम की नदी है। भौगोलिक दृष्टि से अक्साई चिन तिब्बत के पठार का भाग है। यह क्षेत्र लगभग निर्जन है और यहां पर स्थायी बस्तियां नहीं है। 

  • ऐतिहासिक रूप से अक्साई चिन भारत को रेशम मार्ग से जोड़ने का माध्यम था। 1950 के दशक से यह क्षेत्र चीन क़ब्ज़े में है। जॉनसन लाइन इस क्षेत्र को एक भारतीय क्षेत्र के रूप में चिन्हित करती है।
    • मैकडोनाल्ड लाइन अक्साई चिन को चीन के क्षेत्र के रूप में चिन्हित करती  है।

दौलत बेग ओल्डी 

  • दौलत बेग ओल्डी भारत के लद्दाख़ प्रदेश में स्थित है। इसके ठीक दक्षिण में चिप-चाप या चिप-चैप नदी प्रवाहित होती है। यह भारत एवं पूर्वी तुर्किस्तान के बीच व्यापारिक मार्ग पर एक पड़ाव हुआ करता था। 
  • इसका नाम सुल्तान सईद खान (दौलत बेग) के नाम पर रखा गया है। सियाचेन ग्लेशियर को छोड़कर यह भारत का सबसे उत्तर में स्थित स्थाई सैनिक अड्डा है।

पैंगोंग त्सो झील

  • 134 किलोमीटर लंबी पैंगोंग त्सो झील हिमालय में क़रीब 14,000 फुट से ज़्यादा की ऊंचाई पर स्थित है। यहाँ सैन्य गश्त को लेकर विवाद की स्थिति रहती है। 
  • इस झील का 45 किलोमीटर क्षेत्र भारत में पड़ता है, जबकि 90 किलोमीटर क्षेत्र चीन में आता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा इस झील के बीच से गुज़रती है।

गलवान घाटी

  • गलवान घाटी, लद्दाख एवं अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के निकट स्थित है। यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा अक्साई चिन को भारत से अलग करती है।
  • ये घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक विस्तृत है। वर्ष 1962 से ही गलवान घाटी भारत एवं चीन के बीच संघर्ष का एक कारण रहा है।
  • इस घाटी से गलवान नदी प्रवाहित होती है जो अक्साई चीन से निकलती है और भारत की श्योक नदी (Shyok River) से मिल जाती है।

डोकलाम

डोकलाम, चीन एवं भूटान के बीच स्थित है। यह ट्राई-जंक्शन सिक्किम बॉर्डर के निकट है। भूटान एवं चीन दोनों इस क्षेत्र पर अपना दावा करते हैं। भारत द्वारा भूटान के दावे का समर्थन किया जाता है।

चुम्बी घाटी

यह तिब्बत में स्थित एक घाटी है। यहाँ पर भारत, भूटान एवं तिब्बत की सीमाएँ मिलती हैं। भारत एवं चीन के बीच के दो प्रमुख दर्रे ‘नाथू-ला’ व ‘जेलप-ला’ यहां खुलते हैं। चुम्बी घाटी से सिलीगुड़ी कॉरिडोर की दूरी केवल 50 किलोमीटर है।

तवांग

  • यह अरुणाचल प्रदेश में स्थित बौद्धों का प्रमुख धर्मस्‍थल है। चीन के अनुसार, तवांग एवं तिब्बत में बहुत ज़्यादा सांस्कृतिक समानता है, इसलिए वह तवांग को तिब्बत का हिस्सा मानता है। 
  • वर्ष 1914 में ब्रिटिश भारत एवं तिब्बत के प्रतिनिधियों के बीच हुए समझौते के अनुसार अरुणाचल प्रदेश के उत्तरी हिस्से तवांग और दक्षिणी हिस्से को भारत का हिस्सा मान लिया गया था।
  • वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध के दौरान चीन ने तवांग पर क़ब्ज़ा कर लिया था किंतु अरुणाचल की भौगोलिक स्थिति पूरी तरह से भारत के पक्ष में है इसलिए चीन तवांग से पीछे हट गया।

नाथू ला और चो ला

  • ‘नाथू ला’ एवं ‘चो ला’ संघर्ष को द्वितीय भारत-चीन युद्ध के रूप में भी जाना जाता है। 

आगे की राह 

  • वस्तुतः यह समझौता सीमा पर वर्ष 2020 से पहले मौजूद शांति एवं स्थिरता को वापस लाने के लिए आधार तैयार करता है।
  • प्रत्येक देश को अन्य भू-राजनीतिक एवं आर्थिक मुद्दे से भी निपटने की आवश्यकता है। 
    • भारत एवं चीन ने इस समझौते के माध्यम से सम्मानजनक तरीके संबंधों को फिर से स्थापित करने का प्रयास किया है।
  • तनाव एवं सैन्यीकरण कम करने की दिशा में कदम द्विपक्षीय संबंधों में समग्र सुधार पर निर्भर करेगा।
  • पिछले चार वर्षों में दोनों पक्षों द्वारा जिस तरह का गहन सैन्यीकरण और बुनियादी ढाँचा बनाया गया है, उसे देखते हुए लद्दाख में पूरी तरह से सैन्य वापसी अस्पष्ट है।
    • इस दौरान भारत ने भी अग्रिम क्षेत्रों में अपनी सुरक्षा मजबूत की है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार गतिरोध को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों को नए विश्वास-निर्माण उपायों की आवश्यकता होगी।
  • सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भारतीय विदेश सचिव द्वारा संदर्भित ‘अगला कदम’ यथासंभव पारदर्शी तरीके से उठाए जाएं ताकि प्रक्रिया में विश्वास उत्पन्न  हो सके।
  • वर्ष 2017 के डोकलाम से चीनी सेना के वापसी का समय से पहले दावा करना उचित नहीं है क्योंकि चीन ने बाद में डोकलाम पठार पर अपनी उपस्थिति दोगुनी कर दी है।
    • ऐसे में भारत के लिए पिछले सबक से सीखते हुए सावधानी से आगे बढ़ना चाहिए। 
  • दोनों पक्षों को इस बात पर चर्चा करनी होगी कि क्या वर्ष 1993 के सीमा शांति समझौते और वर्ष 2013 के सीमा रक्षा सहयोग समझौते का पुराना ढांचा अभी भी कायम है, या फिर इस बिंदु से आगे सीमा पर अपने मतभेदों को प्रबंधित करने के लिए एक नई प्रणाली या तंत्र की आवश्यकता है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X