(प्रारंभिक परीक्षा : राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाओं से संबंधित प्रश्न)
(मुख्य परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 2 - सरकारी नीतियों से संबंधित प्रश्न; सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3 - विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी - विकास एवं अनुप्रयोग और रोजमर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव से संबंधित प्रश्न)
संदर्भ
हाल ही में, नागर विमानन मंत्रालय ने ‘मानवरहित विमान प्रणाली’ (Unmanned aircraft system – U.A.S.) 2021 को रद्द कर उसके स्थान पर उदार ‘ड्रोन नियमावली, 2021’ को लागू करने का निर्णय लिया है। मानवरहित विमान प्रणाली को आमतौर पर ‘ड्रोन’ के रूप में जाना जाता है।
ड्रोन नियमावली, 2021 के प्रमुख बिंदु
- इसके अंतर्गत निम्नलिखित अनुमोदन समाप्त कर दिये गए हैं-
- विशिष्ट प्राधिकार संख्या।
- विशिष्ट प्रोटोटाइप पहचान विनिर्माण और उड़ान योग्यता का प्रमाण पत्र।
- अनुरूपता का प्रमाण पत्र।
- रख-रखाव प्रमाण पत्र।
- ड्रोन की आयात मंजूरी (D.G.C.A.).
- मौजूदा ड्रोनों की स्वीकृति।
- ऑपरेटर परमिट।
- अनुसंधान एवं विकास संगठन का प्राधिकार।
- छात्र रिमोट पायलट लाइसेंस।
- रिमोट पायलट प्रशिक्षक प्राधिकार।
- ड्रोन बंदरगाह प्राधिकार।
- नए नियमों के तहत ड्रोन के लिये किसी भी पंजीकरण या लाइसेंस जारी करने से पहले किसी सुरक्षा मंजूरी की आवश्यकता नहीं होगी।
- प्रपत्रों की संख्या 25 से घटाकर 5 तथा शुल्कों की संख्या को 72 से घटाकर 4 कर दिया गया है। शुल्क की मात्रा को घटाकर नाममात्र के स्तर का कर दिया है और इनका ड्रोन के आकार के साथ कोई संबंध नहीं है।
- गैर-व्यावसायिक उपयोग के लिये नैनो ड्रोन और माइक्रो ड्रोन के संचालन के लिये किसी पायलट लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
- भारतीय गुणवत्ता परिषद् या किसी अधिकृत परीक्षण इकाई की सिफारिश पर महानिदेशक या उसके द्वारा अधिकृत कोई संस्था ड्रोन के लिये एक प्रकार का प्रमाण पत्र जारी करेगी।
- ड्रोन के आयात को विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा नियंत्रित किया जाएगा। साथ ही, भारतीय ड्रोन कंपनियों में विदेशी स्वामित्व पर कोई रोक नहीं होगी।
- निर्माता और आयातक स्व-प्रमाणन मार्ग के माध्यम से डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर अपने ड्रोन की विशिष्ट पहचान संख्या का सृजन करने में सक्षम होंगे।
- सभी ड्रोन का ऑनलाइन पंजीकरण डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म के जरिये होगा और वहीं ड्रोन के ट्रांसफर और डीरजिस्ट्रेशन की निर्धारित प्रक्रिया को भी आसान कर दिया गया है।
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर हरे, पीले और लाल क्षेत्रों के साथ एक ‘इंटरेक्टिव हवाई क्षेत्र’ का नक्शा प्रदर्शित किया जाएगा।
- एयरपोर्ट की परिधि से येलो जोन को 45 कि.मी. से घटाकर 12 कि.मी. कर दिया गया है।
- ग्रीन जोन में एयरपोर्ट की परिधि से 8 से 12 कि.मी. के मध्य के क्षेत्र में 200 फीट तक ड्रोन के संचालन के लिये किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।
- 'नो परमिशन-नो टेक-ऑफ' (N.P.N.T.), रियल-टाइम ट्रैकिंग बीकन, जियो-फेंसिंग आदि जैसी सुरक्षा सुविधाओं को अधिसूचित किया जाएगा। वहीं इसके अनुपालन के लिये कम से कम छह महीने का समय दिया जाएगा।
- डिजिटल स्काई प्लेटफॉर्म पर सूचीबद्ध रिमोट पायलट लाइसेंस धारक को केवल नियमों के तहत कवर किये गए ड्रोन को संचालित करने की अनुमति होगी।
- प्रशिक्षण और परीक्षा एक अधिकृत ड्रोन स्कूल द्वारा आयोजित की जाएगी, जिसका निर्धारण ‘नागरिक उड्डयन महानिदेशालय प्रशिक्षण’ (D.G.C.A.) द्वारा किया जाएगा।
- नवीन ड्रोन नियमावली के तहत ड्रोन के समग्र वज़न का कवरेज 300 कि.ग्रा. से बढ़ाकर 500 कि.ग्रा. कर दिया गया है। साथ ही, इसमें ड्रोन टैक्सियों को भी शामिल किया जाएगा।
- ड्रोन पर हथियार, गोला-बारूद, विस्फोटक और सैन्य भंडार आदि ले जाना प्रतिबंधित कर दिया गया है।
- ड्रोन से जुड़ी किसी भी दुर्घटना की सूचना 48 घंटों के भीतर दी जानी चाहिये। साथ ही, इसके उल्लंघन के लिये जुर्माने को अधिकतम 1 लाख कर दिया गया है।
- कार्गो डिलीवरी के लिये ड्रोन कॉरिडोर को विकसित किया जाएगा। साथ ही, ‘ड्रोन प्रोत्साहन परिषद्’ की स्थापना भी की जाएगी।
भविष्य की संभावनाएँ
- नए ड्रोन नियम से स्टार्टअप्स और इस क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को काफी मदद मिलेगी।
- साथ ही, यह नवाचार और व्यापार के लिये नई संभावनाओं को खोलेगा।
- यह भारत को ड्रोन हब बनाने के लिये नवाचार, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग में भारत की ताकत का लाभ उठाने में मदद करेगा।
- इस प्रकार का कदम स्टार्ट-अप और छोटे एवं मध्यम उद्यमों को ई-कॉमर्स, कृषि, खनन, स्वास्थ्य सेवा, आपातकालीन प्रतिक्रिया और रसद जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नवीन-उपयोग के मामलों और अनुप्रयोगों को सक्षम बनाएगा।