(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2 : सरकारी नीतियों एवं विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।) |
संदर्भ
विनियामक निगरानी बढ़ाने और अनुपालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (Competition Commission of India : CCI) ने उद्योग जगत की दिग्गज कंपनियों के निपटान व प्रतिबद्धताओं की निगरानी के लिए नए नियम प्रस्तावित किए हैं।
नए नियमों के उद्देश्य
- सी.सी.आई. द्वारा जारी परामर्श पत्र और मसौदा नियम प्रौद्योगिकी क्षेत्र के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही के एक नए युग की शुरुआत करने का वादा करते हैं।
- प्रस्तुत मसौदा नियमों ने आयोग के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसियों की नियुक्ति हेतु एक व्यापक रूपरेखा पेश की है।
- इस कदम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि उद्योग जगत की दिग्गज कंपनियां अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करें और विनियामक जांच से बचने के लिए खामियों का अनुचित लाभ न उठाएं।
अनुपालन की निगरानी के लिए स्वतंत्र एजेंसियाँ
- प्रस्तावित विनियमन सी.सी.आई. को लेखा फर्मों, प्रबंधन परामर्शदाताओं, पेशेवर संगठनों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, कंपनी सचिवों और लागत लेखाकारों जैसे व्यक्तियों सहित कई स्वतंत्र एजेंसियों को नियुक्त करने का अधिकार देते हैं।
- इन एजेंसियों को सी.सी.आई. के आदेशों के कार्यान्वयन की निगरानी करने और यह सुनिश्चित करने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी जाएगी कि अनुबंध की शर्तों का सख्ती से पालन किया जाए।
- ईमानदारी और निष्पक्षता बनाए रखने के लि, एजेंसियों को शामिल पक्षों से अपनी स्वतंत्रता की पुष्टि करनी चाहिए और किसी भी संभावित हितों के टकराव का खुलासा करना चाहिए।
- यह उपाय किसी भी अनुचित प्रभाव को रोकने और अनुपालन की निष्पक्ष निगरानी सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।
- प्रस्तावित विनियमनों में यह प्रावधान है कि निगरानी एजेंसियों को भुगतान उस व्यक्ति द्वारा किया जाएगा जिसने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (निपटान) विनियमन, 2024 या भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (प्रतिबद्धता) विनियमन, 2024 के प्रासंगिक विनियमनों के तहत आवेदन दायर किया है।
- ऐसे मामलों में जहां आवेदन संयोजन विनियमन या किसी अन्य प्रासंगिक विनियमन के तहत दायर किया जाता है, भुगतान की जिम्मेदारी आयोग द्वारा निर्देशित उपयुक्त व्यक्ति के पास होगी।
- यह सुनिश्चित करता है कि वित्तीय बोझ नियामक निकाय पर नहीं बल्कि निपटान या प्रतिबद्धता चाहने वाले पक्षों पर पड़ता है।
निगरानी एजेंसियों की मुख्य जिम्मेदारियाँ
- नए विनियमों के तहत नियुक्त एजेंसियाँ यह सुनिश्चित करेंगी कि आयोग के आदेशों का क्रियान्वयन हो।
- आदेशों के क्रियान्वयन या अनुपालन न होने के किसी भी मामले की सूचना एजेंसी सी.सी.आई. को देंगी।
- नियुक्त एजेंसी किसी भी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष वित्तीय या गैर-वित्तीय हित का पर्याप्त रूप से खुलासा करेंगी जो उनके प्रदर्शन को प्रभावित कर सकता है।
- आयोग के निर्देशानुसार आदेश क्रियान्वयन की निगरानी से संबंधित आवधिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी।
- एजेंसियाँ अपने दायित्वों के निर्वहन के दौरान प्राप्त या एकत्रित की गई किसी भी सूचना के संबंध में गोपनीयता के उच्चतम मानकों को बनाए रखेंगी।
- यह अनुबंध की शर्तों के तहत निर्धारित या आयोग द्वारा निर्देशित किसी भी अन्य कर्तव्य का पालन करेंगी।
एजेंसी के संदर्भ में सी.सी.आई. की शक्ति
- जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित मानकों को पूरा करने में विफल रहने पर सी.सी.आई. के पास इन एजेंसियों की अनुबंध को निलंबित या समाप्त करने का अधिकार है।
- यह उनके अनुबंध की शर्तों के अनुसार या यदि आयोग द्वारा आवश्यक समझा जाए, तो लिखित रूप में दर्ज कारणों से किया जा सकता है।
- सी.सी.आई. द्वारा इस तरह के किसी भी निरस्तीकरण को किसी भी न्यायालय या अन्य तरीके से चुनौती नहीं दी जा सकती है।
आगे की राह
- प्रस्तावित विनियमन भारत में विनियामक अनुपालन विशेष रूप से प्रौद्योगिकी क्षेत्र के की निगरानी के तरीके में एक महत्वपूर्ण बदलाव को दर्शाते हैं।
- एक मजबूत और स्वतंत्र निगरानी तंत्र की स्थापना करके सी.सी.आई. का उद्देश्य बड़ी टेक फर्मों को विनियामक आदेशों को दरकिनार करने से रोकना और उनकी प्रतिबद्धताओं का अक्षरशः पालन सुनिश्चित करना है।
- इन नए विनियमों के माध्यम से निगरानी को सख्त करने के सी.सी.आई. के कदम से विनियामक प्रवर्तन में एक नया मानदंड स्थापित होने की उम्मीद है।
- इन विनियमों के कार्यान्वयन के साथ सी.सी.आई. का लक्ष्य टेक उद्योग में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और अनुपालन सुनिश्चित करना है जिससे उभरते बाजार परिदृश्य में एक सतर्क प्रहरी के रूप में अपनी भूमिका को मजबूत किया जा सके।