(प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व की सामयिक घटनाएँ)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 2: स्वास्थ्य, सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन)
संदर्भ
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने एक नए राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून के लिये राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य विधेयक के मसौदे को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया शुरू की है।
प्रमुख बिंदु
- वर्ष 2017 में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य (महामारी, जैव आतंकवाद और आपदाओं की रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन) विधेयक का मसौदा तैयार किया गया था।
- प्रस्तावित राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिनियम पर वर्ष 2017 से ही कार्य चल रहा है तथा अधिनियमित होने के बाद यह महामारी रोग अधिनियम, 1897 को प्रतिस्थापित करेगा।
- प्रस्तावित कानून में महामारी, आपदाओं और जैव आतंकवाद से उत्पन्न होने वाली निगरानी, रोग अधिसूचना और सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति पर अद्यतन, वैज्ञानिक और व्यापक प्रावधानों का उल्लेख है।
नए स्वास्थ्य क़ानून की आवश्यकता क्यों
- कोविड-19 महामारी ने सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़ी नीतियों पर प्रश्न चिह्न लगाया है। मौजूदा कानून इस स्तर के संकट से निपटने में काफी हद तक अक्षम थे।
- भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिये एकल व समेकित तैयारी और प्रतिक्रिया के लिये उपयुक्त क़ानून का अभाव है।
- कोविड-19 जैसी महामारी के प्रबंधन के लिये आवश्यक प्रावधानों के अभाव में सरकार को महामारी रोग अधिनियम,1897 और आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अनुसार कार्य करना पड़ता है।
राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य कानून मसौदा
- प्रस्तावित विधेयक के मसौदे में चार स्तरीय स्वास्थ्य प्रशासन प्रणाली का प्रावधान है, जिसमें राष्ट्रीय, राज्य, जिला और ब्लॉक स्तर के सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण शामिल हैं। साथ ही, इसमें सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति से निपटने के लिये इन प्राधिकरणों की शक्तियों और कार्यों को भी परिभाषित किया गया है।
- मसौदे में राष्ट्रीय सार्वजनिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन भी प्रस्तावित है, जिसका नेतृत्व केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा किया जाएगा व अध्यक्षता राज्यों के स्वास्थ्य मंत्री करेंगे।
- जिला स्तर पर जिला कलेक्टर नेतृत्व करेंगे तथा ब्लॉक इकाइयों का नेतृत्व ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी या चिकित्सा अधीक्षक करेंगे।
- इन प्राधिकरणों के पास गैर-संचारी रोगों और उभरती संक्रामक बीमारियों की रोकथाम के लिये उपाय करने का अधिकार होगा।
- इसमें राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य संवर्ग (Public Health Cadre) के सृजन का भी प्रावधान है।
सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात संबंधी प्रावधान
मसौदे में कई स्थितियों का उल्लेख है जिसमें ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल’ घोषित किया जा सकता है। इनमें जैव आतंकवाद, कोई प्राकृतिक आपदा, रासायनिक हमला या रसायनों का आकस्मिक विमोचन तथा परमाणु हमला या दुर्घटना शामिल हैं।
लॉकडाउन संबंधी प्रावधान
- मसौदा विधेयक में आइसोलेशन, क्वारंटीन और लॉकडाउन जैसे विभिन्न उपायों को परिभाषित किया गया है।
- यह लॉकडाउन को सड़कों या अंतर्देशीय जल पर 'कुछ शर्तों के साथ प्रतिबंध या किसी भी प्रकार के परिवहन को चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध' के रूप में परिभाषित करता है।
- लॉकडाउन की परिभाषा में सार्वजनिक या निजी किसी भी स्थान पर व्यक्तियों की आवाजाही या सभाओं पर ‘प्रतिबंध’ शामिल है। इसमें कारखानों, संयंत्रों, खनन या निर्माण अथवा कार्यालयों या शैक्षिक संस्थानों एवं बाज़ारों के कामकाज को ‘प्रतिबंधित’ या ‘निषेध’ करना भी शामिल है।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 15 मार्च, 2017 को तीसरी राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति, 2017 की घोषणा की थी। विदित है कि भारत की पहली राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एन.एच.पी.) वर्ष 1983 में तैयार की गई थी, जिसका मुख्य फोकस वर्ष 2000 तक सभी को प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल के प्रावधान पर था, जबकि दूसरी नीति वर्ष 2002 में शुरू की गई थी।
प्रमुख लक्ष्य
- सरकार के स्वास्थ्य व्यय को वर्ष 2025 तक जी.डी.पी.के मौजूदा 1.15 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5% करना।
- वर्ष 2025 तक जन्म के समय जीवन प्रत्याशा को 67.5 से बढ़ाकर 70 करना।
- वर्ष 2025 तक राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर कुल प्रजनन दर (टी.एफ.आर.) को 2.1 तक कम करना।
- वर्ष 2025 तक पाँच वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर को घटाकर 23 और मातृ मृत्यु अनुपात (एम.एम.आर.) को 167 से घटाकर वर्ष 2020 तक 100 करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था।
- वर्ष 2025 तक पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के स्टंटिंग (भुखमरी) के प्रसार में 40% तक की कमी करना।
वर्तमान में भारत का स्वास्थ्य बजट
- वर्ष 2022 के आर्थिक सर्वेक्षण से पता चलता है कि भारत ने पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में अपने सकल घरेलू उत्पाद का 2.1 प्रतिशत स्वास्थ्य पर खर्च किया, जो वित्त वर्ष 2020-21 में 1.8 प्रतिशत था।
- राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार की वर्ष 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खर्च को देश के सकल घरेलू उत्पाद के 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है।
- केंद्र सरकार का लक्ष्य वर्ष 2022 तक 1.5 लाख स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र बनाना है; इसमें से अब तक 57,874 तैयार हैं।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन में पिछले वर्ष की तुलना में छह प्रतिशत की वृद्धि की गई है।
- बुजुर्गों के स्वास्थ्य देखभाल के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम में विगत वर्ष के बजट में 105 करोड़ रूपए आवंटित किये गए।
- विगत वर्ष के बजट अनुमानों की तुलना में दृष्टिहीनता के नियंत्रण के लिये राष्ट्रीय कार्यक्रम का आवंटन 10 करोड़ रूपए कम हो गया।
- कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र ऑनलाइन परामर्श के कारण इस वर्ष के आर्थिक सर्वेक्षण में टेलीमेडिसिन को प्रोत्साहन दिया गया है। हालाँकि, इस वर्ष भी इसके लिये आवंटन 45 करोड़ रूपए पर स्थिर रहा।
- इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग के तहत) को आवंटित बजट में इस वर्ष वृद्धि हुई है, किंतु यह विगत वर्ष के संशोधित बजट अनुमानों की तुलना में कम हो गया।
- आयुष मंत्रालय को पिछले वर्ष की तुलना में 40% अधिक बजट आवंटित किया गया है।
- अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान को विगत वर्ष 76.50 करोड़ रूपए के बजट अनुमान के मुकाबले 313.80 करोड़ रूपए (संशोधित अनुमान) आवंटित किये गए थे। इस वर्ष यह बढ़कर 348.87 रूपए करोड़ हो गया।