New
Open Seminar - IAS Foundation Course (Pre. + Mains): Delhi, 9 Dec. 11:30 AM | Call: 9555124124

नए मानसून मॉडल

संदर्भ

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ( IMD) मौसम के बेहतर पूर्वानुमान के लिये नए मानसून मॉडल को प्रस्तुत करने पर विचार कर रहा है।

नए मानसून मॉडल की आवश्यकता क्यों?

  • वर्तमान मानसून मॉडल मौसम की अनिश्चिताओं के अनुसार मौसम की भविष्यवाणी करने में पूर्णता सक्षम नहीं हैं।
  • यह मॉडल मानसून की स्थिति, भारी वर्षा या सूखे की स्थिति के बारे में सटीक जानकारी प्रदान करने में विफल रहे हैं।
  • वर्ष 2019 तथा 2020 में दर्ज किया गया मानसून अन्य वर्षों की तुलना में भिन्न था। विगत 100 में, भारत में ऐसा तीसरी बार हुआ है जब 2 वर्षों में लगातार सामान्य से अधिक वर्ष हुई।
  • वर्ष 2019 में मानसून विगत 25 वर्षों में सर्वाधिक रहा जबकि आई.एम.डी. वर्षा की अधिकता के संबंध में जानकारी देने में विफल रहा, यह केवल इतनी जानकारी ही दे सका कि इस वर्ष वर्षा सामान्य से अधिक होगी।
  • अतः एक बेहतर मानसून मॉडल को अपनाकर मौसम की सटीक जानकारी के आधार पर मानसून आगमन तथा वर्षा की मात्रा के बारे में सही जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

नए मानसून मॉडल

  • आई.एम.डी, पुणे के क्लाइमेट रिसर्च सर्विसेज के अनुसार इस वर्ष 3 अलग-अलग मानसून मॉडलों का परीक्षण किया जा सकता है, जिसमें दो मॉडल गतिशील तथा एक सांख्यिकीय मॉडल होगा।
  • ये 3 मॉडल हैं-
  • 12 वैश्विक परिसंचरण मॉडल (गतिशील) – इसके परिणामों को एकल सिग्नल से जोड़ा जाएगा।
  • दूसरा मॉडल जो समुद्री सतह के तापमान के आधार पर वर्षा की मात्रा का अनुमान लगाता है।
  • तीसरा मॉडल सांख्यिकीय मॉडल होगा जो मानसून से पहले के जलवायु घटकों के आधार पर मौसम की जानकारी प्रदान करेगा।
  • ये सभी मॉडल टुकड़ों में (Ensembles) होंगे अर्थात् औसत परिणाम प्राप्त करने के लिये इन छोटे-छोटे मॉडलों को सयुंक्त रूप में प्रयुक्त किया जाएगा
  • वर्तमान में सुपरकंप्यूटर पर जलवायु के दैनिक आँकड़ों के निरीक्षण और पारंपरिक सांख्यिकीय मॉडल के आधार पर मौसम संबंधी आँकड़े जारी किये जाते हैं तथा इनकी भविष्यवाणी की जाती है।
« »
  • SUN
  • MON
  • TUE
  • WED
  • THU
  • FRI
  • SAT
Have any Query?

Our support team will be happy to assist you!

OR
X