(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) |
भारतीय शोधकर्ताओं ने पार्किंसंस रोग से निपटने के लिए एक नैनो फॉर्मूलेशन तैयार किया है। यह फॉर्मूलेशन 17 बीटा-एस्ट्राडियोल (17 beta-estradiol) नामक हार्मोन के निरंतर स्राव में मदद कर पार्किंसंस रोग के उपचार में अहम भूमिका निभा सकता है।
पार्किंसंस रोग के बारे में
- क्या है : पार्किंसन रोग एक मस्तिष्क संबंधी विकार है जो गतिशीलता, मानसिक स्वास्थ्य, नींद, दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है।
- लक्षण : मानसिक स्वास्थ्य विकार, झटके/कंपन, मांसपेशियों में दर्द व संकुचन, बोलने में कठिनाई और चलने में परेशानी आदि।
- उपचार : वर्तमान में इस रोग के लिए कोई विशिष्ट उपचार उपलब्ध नहीं है।
- हालाँकि दवाइयों से इनके लक्षणों को कम किया जा सकता है।
- लेवोडोपा/कार्बिडोपा (Levodopa/Carbidopa) पार्किंसन रोग के लिए सबसे आम दवा है। यह मस्तिष्क में डोपामाइन की मात्रा को बढ़ाती है।
- पार्किंसंस रोग का वैश्विक प्रभाव: पिछले 25 वर्षों में पार्किंसंस रोग का प्रसार दोगुना हो गया है। वर्ष 2019 तक, दुनिया भर में इससे पीड़ित लोगों की संख्या 8.5 मिलियन से अधिक थी।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, विश्व स्तर पर इसके कारण विकलांगता और मृत्यु दर में तेजी से वृद्धि हो रही है।