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ग्रामीण कनेक्टिविटी में सुधार के लिए नए नेटवर्क मानक की आवश्यकता

(प्रारंभिक परीक्षा : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
(मुख्य परीक्षा, सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र- 3 : विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रोज़मर्रा के जीवन पर इसका प्रभाव, नई प्रौद्योगिकी का विकास, सूचना प्रौद्योगिकी)

संदर्भ

  • मोबाइल डिवाइस का उपयोग संवाद, वित्तीय लेनदेन, इंटरनेट से जुड़ने आदि के लिए किया जाता हैं। इन उपकरणों में कनेक्टिविटी की सुविधा सेलुलर (मोबाइल) वायरलेस नेटवर्क के माध्यम से सक्षम होती है।
  • इसी क्रम में इंस्टीट्यूट ऑफ इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियर्स (IEEE) ने ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड पहुंच के लिए आई.आई.टी. बॉम्बे द्वारा विकसित वायरलेस नेटवर्क आर्किटेक्चर को मंजूरी दी।

क्या है सेलुलर नेटवर्क (Cellular Network) 

  • एक सेलुलर नेटवर्क (जैसे 5G नेटवर्क) में संचार लिंक से संबद्ध नेटवर्क उपकरणों का एक सेट शामिल होता है। ये विभिन्न उपकरणों एवं अन्य नेटवर्क्स के मध्य डाटा स्थानांतरित करने (जैसे इंटरनेट) के लिए एक साथ काम करते हैं।
  • सेलुलर नेटवर्क सबसे सामान्य तौर पर अधिकांश सेल फोन, स्मार्टफोन एवं डायल-अप डिवाइस के साथ प्रयोग की जाने वाली प्राथमिक कनेक्टिविटी विधि है।
  • इस मोबाइल-आधारित नेटवर्क का उपयोग रेडियो एंटीना के साथ किया जाता है। ये डिवाइस ‘सेल’ से जुड़े होते हैं और संचार करने तथा संचार बनाए रखने के लिए सेल-से-सेल तक जा सकते हैं। 

सेलुलर नेटवर्क के भाग 

एक सेलुलर नेटवर्क को दो उप-नेटवर्क में विभाजित किया जा सकता है : एक्सेस नेटवर्क (AN) एवं कोर नेटवर्क (CN)।

एक्सेस नेटवर्क (Access network : AN) 

  • इसमें बेस स्टेशन होते हैं जो सीमित भौगोलिक क्षेत्र में मोबाइल डिवाइस को वायरलेस कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं, जिसे कवरेज क्षेत्र कहा जाता है। 
  • एक नेटवर्क ऑपरेटर आमतौर पर कवर किए जाने वाले क्षेत्र की लंबाई व चौड़ाई में बेस स्टेशन स्थापित करता है। इन स्टेशनों को टावरों के रूप में देखा जा सकता है जिनके ऊपर एंटीना वाले बॉक्स होते हैं।

कोर नेटवर्क (Core network : CN) 

  • सेलुलर नेटवर्क के CN में ऐसे उपकरण होते हैं जो इंटरनेट जैसे अन्य नेटवर्क से कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। AN के बेस स्टेशन के विपरीत CN एक केंद्रीय स्थान पर संचालित होता है और संभवतः किसी भी बेस स्टेशन से दूर होता है। 
  • इसको बैकहॉल (Backhaul) नामक ऑप्टिकल फाइबर लिंक द्वारा बेस स्टेशन से जोड़ा जाता है।
  • उपयोगकर्ता के डिवाइस से डाटा को अपने वांछित गंतव्य, जैसे इंटरनेट या किसी अन्य उपयोगकर्ता के डिवाइस तक पहुंचने के लिए बेस स्टेशन एवं CN दोनों से गुजरना होता है।
    • दो उपयोगकर्ताओं के पास-पास होने और एक ही या आसन्न बेस स्टेशन से जुड़े होने की स्थिति में भी डाटा को केंद्रीय CN से गुजरना होता है।
  • CN उपयोगकर्ता की गतिशीलता का समर्थन करने के लिए आवश्यक है, जो सेलुलर नेटवर्क द्वारा प्रदान की जाने वाली एक प्रमुख विशेषता है।

ग्रामीण कनेक्टिविटी में बाधाएँ 

  • शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन :भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण के नवीनतम दूरसंचार सदस्यता डाटा के अनुसार, देश में शहरी टेली-घनत्व 127% है जबकि ग्रामीण टेली-घनत्व 58% है। 
    • इस प्रकार, औसतन एक शहरी उपयोगकर्ता के पास एक या अधिक मोबाइल कनेक्शन (1.27) हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में दो में से केवल एक व्यक्ति (0.58) इससे जुड़ा हुआ है। 
    • यह डाटा शहरी-ग्रामीण डिजिटल विभाजन को दर्शाता है। अधिकांश अन्य विकासशील देशों में भी स्थिति समान या बदतर है।
  • दुर्गम क्षेत्रों में समस्या : दूरस्थ पहाड़ी गाँवों में फाइबर इंफ्रास्ट्रक्चर ले जाना और वहाँ के बेस स्टेशन को जोड़ना न तो लागत प्रभावी हो सकता है और न ही आसान।
  • केंद्रीय हब से दूरी : ग्रामीण समुदाय अक्सर केंद्रीय इंटरनेट हब से बहुत दूर स्थित होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप सिग्नल में गिरावट और लेटेंसी (Latency) बढ़ने के कारण गति धीमी होती है। दूरी जितनी अधिक होगी, सिग्नल की शक्ति उतनी ही कमज़ोर होगी, जिससे इंटरनेट कनेक्शन सुस्त होगा। 
    • उदाहरण के लिए, 5G नेटवर्क 10 Gbps डाटा दर और 1 मिलीसेकंड (ms) लेटेंसी प्रदान करने पर केंद्रित है। हालाँकि, ग्रामीण कनेक्टिविटी इस मानदंड से बहुत पीछे है।

लेटेंसी रेट (Latency Rate)

  • लेटेंसी से तात्पर्य डाटा ट्रान्सफर की शुरुआत से पहले नेटवर्क द्वारा लिये गए समय से होता है। इस प्रकार लेटेंसी किसी डिवाइस को डाटा के पैकेट भेजने और प्रतिक्रिया प्राप्त करने में लगने वाले समय से है। 
  • 4जी में लेटेंसी दर 10 से 100 मिलीसेकंड के मध्य है जबकि 5जी में यह दर 1 मिलीसेकंड या उससे भी कम है अर्थात क्लिक करने के बाद डिवाइस की स्क्रीन पर पेज 1 मिलीसेकंड में खुल जाएगा। 

IEEE 2061-2024 नेटवर्क मानक  

  • यह मानक ग्रामीण क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड एक्सेस के लिए वायरलेस नेटवर्क आर्किटेक्चर को परिभाषित करता है। 
  • IEEE-2061 नेटवर्क में सेलुलर नेटवर्क के समान CN व AN भी शामिल हैं। हालाँकि, IEEE-2061 AN विषमरूप (Heterogenous : विविध प्रकार का) होता है जिसमें विभिन्न प्रकार के बेस स्टेशन एक साथ मौजूद होते हैं : 
    • इसमें बड़े कवरेज क्षेत्रों को कवर करने वाले बेस स्टेशन शामिल होते हैं जिन्हें मैक्रो-बीएस (macro-BS) कहा जाता है। साथ ही, पूरक के रूप में छोटे कवरेज क्षेत्र वाले वाई-फाई शामिल होते हैं। 
    • यह 5G नेटवर्क से भिन्न है, जहाँ AN समरूप (Homogeneous : एक ही प्रकार का) होता है जिसमें एक ही प्रकार के बेस स्टेशन और आमतौर पर छोटे कवरेज क्षेत्र शामिल होते हैं।
  • IEEE-2061 में मैक्रो-बीएस किसी भी सेलुलर तकनीक के साथ निर्मित किया जा सकता है जो बड़े कवरेज क्षेत्र को समर्थन कर सकता है। यद्यपि मैक्रो-बीएस बड़े क्षेत्र को कवरेज प्रदान करता है किंतु संभवतः निम्न डाटा दर प्रदान करता है, अत: उच्च गति की कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए गांवों में वाई-फाई स्थापित किया जाता है। 
  • इस प्रणाली की एक प्रमुख क्षमता है कि यह किसी डिवाइस को बिना किसी सेवा व्यवधान के वाई-फाई आधारित कनेक्टिविटी से मैक्रो-बीएस कनेक्टिविटी पर जाने की अनुमति देता है।
    • यह IEEE-2061 नेटवर्क में एकीकृत AN नियंत्रण कार्यक्षमता द्वारा सक्षम किया गया है। वायरलेस सिस्टम विकसित होने के साथ-साथ 4G, 5G, 6G, वाई-फाई व नेटवर्क जैसी पुरानी एवं नई तकनीकें दोनों एक साथ मौजूद रहेंगी और एक-दूसरे की पूरक होंगी। 
  • ये कॉल ड्रॉप जैसी समस्याओं से भी बचने में मदद करेगी। आई.आई.टी. बॉम्बे के शोध में प्रयोगशाला स्तर पर विकसित कुछ समाधान 2061-2024 मानक का आधार बनते हैं।

NETWORK

मिडिल-माइल नेटवर्क (Middle-mile Network)

  • IEEE-2061 मानक उन क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए मल्टी-हॉप वायरलेस मिडिल-माइल नेटवर्क के उपयोग का प्रस्ताव करता है जहाँ ऑप्टिकल-फाइबर लिंक उपलब्ध नहीं हैं। 
  • मल्टी-हॉप वायरलेस मिडिल-माइल लंबी दूरी पर लागत प्रभावी कनेक्टिविटी प्रदान करता है, जिससे महंगे एवं कठिनाई से लगाए जाने वाले ऑप्टिकल फाइबर की आवश्यकता समाप्त हो जाती है। 
  • IEEE-2061 नेटवर्क लचीले ढंग से उपग्रहों या मिडिल-माइल के लिए लंबी दूरी के वाई-फाई जैसी एक या अधिक तकनीकों का उपयोग कर सकता है।
  • IEEE-2061 AN में नेटवर्क (4जी/5जी) के विपरीत इंटरनेट के लिए एक सीधा एवं वैकल्पिक मार्ग भी हैनेटवर्क में इंटरनेट कनेक्टिविटी केवल CN के माध्यम से संभव है।
  • केंद्रीकृत CN से बचते हुए AN से इंटरनेट से प्रत्यक्ष कनेक्शन उपयोगकर्ताओं के लिए अधिक इष्टतम समाधान होगा।

निष्कर्ष

IEEE 2061-2024 दूसरा IEEE मानक है। यह IEEE 1930.1-2022 की तर्ज पर चलता है, जोकि ‘5G नेटवर्क से परे’ पर एक मानक है। यदि IEEE-2061 मानक को अपनाया जाता है तो यह ग्रामीण आबादी को किफायती कनेक्टिविटी प्रदान करने में मदद कर सकता है। CN को बाईपास करने एवं एकीकृत AN नियंत्रण सहित इसकी नवीन अवधारणाएँ भविष्य में एक लचीले व स्केलेबल मोबाइल नेटवर्क का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।

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