चर्चा में क्यों?
10 दिसम्बर, 2020 को प्रधानमंत्री ‘आत्मनिर्भर भारत’ तथा ‘लोकतंत्र के मंदिर’ के प्रतीक के रूप में नए संसद भवन का शिलान्यास किया।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- इस चार मंजिला इमारत को टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड द्वारा मौजूदा इमारत के समीप बनाया जाएगा। भूकम्प से सुरक्षा के लिये आधुनिक उपकरणों से लैस इसके लोकसभा और राज्यसभा सदनों में क्रमशः 888 और 384 सांसदों को समायोजित किया जा सकेगा, जबकि संयुक्त सत्र के दौरान लोकसभा कक्ष 1,224 सांसदों को समायोजित करने की क्षमता से युक्त होगा।
- वर्ष 1971 की जनगणना के आधार पर किये गए परिसीमन के अनुसार, लोकसभा सीटों की संख्या 552 है, जिसके 2026 के बाद बढ़ाए जाने की सम्भावना है। सांसदों की संख्या बढ़ने पर संसद की पुरानी इमारत अतिरिक्त सीटों को समायोजित करने में सक्षम नहीं है।
- मौजूदा इमारत मध्यप्रदेश में स्थित एकतासरो महादेव मंदिर, जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है, से प्रेरित है। यह मंदिर वर्ष 1927 में ब्रिटिश साम्राज्य के तहत अपनी शाही विधान परिषद् के लिये बनाया गया था।
- सेंट्रल विस्टा परियोजना में परिवर्तन के लिये एक प्रस्ताव के तहत कई प्रशासनिक भवनों का पुनर्निर्माण या उन्हें किसी दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाना शामिल है। मूल संसद भवन को वर्ष 1912-1913 में ब्रिटिश वास्तुकार एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर द्वारा डिज़ाइन किया गया था।
- गौरतलब है कि उच्चतम न्यायलय की एक पीठ ने इस सम्बंध में सुनवाई करते हुए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के निर्माणाधीन स्थल पर पेड़ काटने पर प्रतिबंध का आदेश देने के साथ-साथ केंद्र सरकार के निर्माण कार्य के तरीकों पर भी आपत्ति जाहिर की है। इसलिये सर्वोच्च न्यायलय के अंतिम निर्णय तक निर्माणकार्य या इमारतों को गिराने की अनुमति नहीं दी जाएगी, यद्यपि परियोजना से सम्बंधित आवश्यक कागजी कार्यवाही तथा नींव रखने के समारोह का आयोजन किया जा सकता है।