(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 ; पर्यावरण एवं पारिस्थिकी) |
संदर्भ
हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के लोहित जिले में आर्किड की नई दुर्लभ प्रजाति खोजी गई।
गैस्ट्रोडिया लोहितेंसिस के बारे में
- नामकरण :खोजी गई नई पर्णरहित आर्किड प्रजाति का नामकरण लोहित जिले के नाम पर “गैस्ट्रोडिया लोहितेंसिस” किया गया है।
- IUCN स्थिति : "लुप्तप्राय" (Extinct) के रूप में वर्गीकृत
- प्रमुख विशेषताएँ :भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण के अनुसार, नई खोजी गई प्रजाति तेजू क्षेत्र की आर्द्र जलवायु और बांस-प्रधान परिदृश्य में पनपती है।
- अपनी अनूठी भूमिगत-निवास जीवनशैली की विशेषता के कारण गैस्ट्रोडिया लोहितेंसिस बांस की जड़ों से जुड़े कवक पर परजीवी बनकर पोषक तत्व प्राप्त करता है।
- दुर्लभ आर्किड अद्वितीय अनुकूलन प्रस्तुत करता है, जो सड़ते हुए पत्तों में मौजूद कवकों से पोषक तत्व प्राप्त करके सूर्य के प्रकाश के बिना भी पनपता है।
- 50-110 सेमी. लंबे इस आर्किड की विशेषताओं में इसके फूल पर रैखिक लकीरों की एक जोड़ी शामिल है, जो इसे दक्षिण-पूर्व एशिया में निकट संबंधी प्रजातियों से अलग बनाती है।
- आर्किड की यह प्रजाति केवल घने, छायादार बांस के छत्रों में ही पनपती है, जो इसके सीमित पारिस्थितिक क्षेत्र को रेखांकित करता है।
- जोखिम : स्थानीय भूमि उपयोग के कारण दबाव ,बांस की कटाई और कृषि जैसी गतिविधियों से जोखिम
- भारत में आर्किड : भारत में आर्किड की 1300 से भी ज्यादा प्रजातियाँ पाई जाती हैं गैस्ट्रोडिया लोहितेंसिस की खोज से भारत में गैस्ट्रोडिया प्रजातियों की कुल संख्या 12 हो गई है।
महत्त्व
- यह उल्लेखनीय खोज भारत के दुर्लभ आर्किड की सूची का विस्तार करती है और गैस्ट्रोडिया जीनस की वैश्विक विविधता में योगदान देती है।
- यह अपनी असामान्य पत्ती रहित और भूमिगत जीवन शैली के लिए जाना जाता है। इसके अलावा यह खोज पौधों और उनके पर्यावरण के बीच जटिल संबंधों पर प्रकाश डालती है।