(प्रारंभिक परीक्षा : सामान्य अधययन प्रश्नपत्र 1 : पर्यावरण एवं पारिस्थिकी) |
चर्चा में क्यों
हाल ही में उस्मानिया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में एक अंतर्राष्ट्रीय टीम द्वारा श्रीलंका में चमगादड़ की नई प्रजाति की पहचान की गई। चमगादड़ से संबंधित इस खोज का प्रकाशन अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण पत्रिका ज़ूटैक्स में किया गया।
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चमगादड़ की नई प्रजाति के बारे में
- नाम: हिप्पोसाइडेरोस श्रीलंकाएंसिस (Hipposideros srilankaensis)
- पहचान : इसकी पहचान फील्ड स्टडीज, मॉर्फोलॉजिकल जाँच और जेनेटिक विश्लेषण के जरिए की गई है।
- प्रमुख विशेषताएँ : नई प्रजाति, हिप्पोसाइडरोस श्रीलंकाएंसिस, अपनी अनूठी रूपात्मक विशेषताओं के कारण पहचानी जाती है, जिसमें चौड़ी नाक, कान का विशिष्ट आकार और कपालीय (Cranial) विशेषताएँ शामिल हैं।
- चमगादड़ की पर्यावरणीय भूमिका : चमगादड़ निम्नलिखित रूप में पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं-
- चमगादड़ परागणकर्ता (pollinators), बीज फैलाने वाले (seed dispersers) और प्राकृतिक कीट नियंत्रक (natural pest controllers) के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- ऐसे में उनके संरक्षण के लिए उनकी विविधता को समझना आवश्यक है।
- खोज का महत्त्व : यह खोज श्रीलंका की उल्लेखनीय जैव विविधता और संरक्षण की तत्काल आवश्यकता को उजागर करती है।
- नई प्रजाति श्रीलंकामें चमगादड़ की पहली स्थानिक प्रजाति है।
- अध्ययन के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु : इस अधययन में एकदशक पहले किये गये अध्ययन में दक्षिण एशिया में पाई जाने वाली चमगादड़ प्रजाति हिप्पोसाइडेरोस गैलेरिटस का संशोधित वर्गीकरण भी हुआ।
- शोधकर्ताओं के अनुसार हिप्पोसाइडेरोस ब्रैकियोटस को पहले एच. गैलेरिटस की उप-प्रजाति माना जाता था ।
- शोध ने पुष्टि की कि एच. ब्रैकियोटस भारत में पाई जाने वाली एक अलग प्रजाति है जो भारत में स्थानिक(endemic) है।