चर्चा में क्यों
एक नए अध्ययन के अनुसार वर्तमान में हरियाणा और उत्तर प्रदेश के सात सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों पर लगभग 4,600 साल पुराने चीनी मिट्टी के बर्तनों में भैंस सहित अन्य मवेशियों के मांस और अन्य पशु उत्पादों के अवशोषित लिपिड्स अवशेष पाए गए हैं। इन स्थलों में राखीगढ़ी, फरमाना और मसूदपुर शामिल हैं।
प्रमुख बिंदु
- दुनिया भर के मिट्टी के बर्तनों से सम्बंधित पुरातात्विक संदर्भों से खोजा गया है कि लिपिड्स के क्षरण होने की सम्भावना अपेक्षाकृत कम होती है। यह अध्ययन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के द्वारा किया गया था, जिसे आर्कियोलॉजिकल साइंस जर्नल में प्रकाशित किया गया है।
- अध्ययन में डेयरी उत्पादों के बहुत कम साक्ष्य मिले हैं। यद्यपि यह क्षेत्रीय मतभेद हो सकता है, क्योंकि गुजरात में किये गए एक हालिया अध्ययन में डेयरी उत्पादों के प्रमाण मिले थे। सिंधु घाटी स्थलों पर पाई जाने वाली घरेलू पशुओं की हड्डियों का लगभग 50-60% हिस्सा मवेशियों / भैंसों से सम्बंधित पाया गया है।
- अध्ययन से ज्ञात होता है कि हड़प्पा में 90% मवेशियों को तीन या साढ़े तीन साल का होने तक सुरक्षित रखा जाता था तत्पश्चात मादा पशुओं का उपयोग डेयरी उत्पादन के लिये जबकि नर पशुओं का इस्तेमाल कृषि कार्यों के लिये किया जाता था।
- गौरतलब है कि मिट्टी के बर्तनों में एक बार भोजन पकाने पर उसके कुछ अवशेष मिट्टी से चिपक जाते हैं, इसीलिए इन बर्तनों की मिट्टी को लेकर यह शोध किया गया।