प्रारम्भिक परीक्षा – कपास के हाइब्रिड बीज की नई किस्म मुख्य परीक्षा - सामान्य अध्ययन, पेपर-1(भूगोल) |
संदर्भ
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर से संबद्ध खंडवा कृषि महाविद्यालय के शोध संस्थान में कपास के हाइब्रिड बीज की नई किस्म तैयार की गई है।
प्रमुख बिंदु :-
- इस बीज पर शोध डा. देवेंद्र श्रीवास्तव ने डा. दीपक हरि रनाडे के निर्देशन में किया है।
- इस हाइब्रिड बीज का नाम- KHH-VS-1318-1 रखा गया है।
कपास की हाइब्रिड बीज KHH-VS-1318-1:-
- इस हाइब्रिड बीज से पैदावार 20 क्विटंल प्रति हेक्टेयर तक होगी।
- इस बीज के रेशे की लंबाई सामान्य से 32 प्रतिशत तक अधिक होगी।
- इसके पहले वर्ष 2006 में एक किस्म JKHY-1आई थी।
- इसके रेशे की लंबाई 28 प्रतिशत तक अधिक थी और उससे पैदावार 12 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है।
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विशेषता:-
- यह नॉन बीटी (शुद्ध किस्म) हाइब्रिड बीज है।
- इस बीज का भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में गुणवत्ता और उसकी पैदावार की जांच होगी। उसके पश्चात् किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा।
- इस हाइब्रिड बीज को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा परिक्षण के पश्चात् किसानों के लिए वर्ष 2025 तक उपलब्ध कराया जायेगा।
- इसे सर्वप्रथम मध्य प्रदेश में खंडवा, खरगोन, बडवानी, धार आदि के किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा।
नई किस्म पर कीट का प्रभाव :-
- इस बीज पर कीट का प्रभाव कम होगा।
- इससे फसल को मौसमी रोगों से मुक्ति मिलेगी।
- नई बीज की किस्म से किसानों की लागत कम होगी।
- इसकी वजह से किसानों की आय में वृद्धि होगी।
- इन बीज के आने से बाजार में निजी कंपनियों का एकाधिकार समाप्त होगा, क्योंकि कपास का बीटी हाइब्रिड बीज निजी कंपनियां महंगे दामों पर बेच रही हैं।
कपास (cotton):-
- यह एक खरीफ फसल है।
- इसे पककर तैयार होने में 6 से 8 महीने का समय लगता है।
कपास के उत्पादन के लिए भौगोलिक दशाएं:-
- इसकी कृषि के लिए 200 से 210 पाला रहित दिन और तेज़ चमकीली धूप की आवश्यकता होती है।
- तापमान:- 21-30 डिग्री सेल्सियस।
- वर्षा:- 50-100 सें.मी.
- मृदा का प्रकार:- अच्छी अपवाह वाली काली कपास मृदा, इसके लिए दक्कन के पठार की मृदा सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है।
- कपास का उपयोग:- कपड़ा, फाइबर, तेल और पशु चारा में किया जाता है।
कपास की चार प्रजातियाँ पायी जाती हैं :-
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- गॉसिपियम अर्बोरियम
- जी. हर्बेसम
- जी. हिरसुटम
- जी.बारबडेंस
- गॉसिपियम आर्बोरियम और जी. हर्बेसम को ‘ओल्ड-वर्ल्ड कॉटन’ या ‘एशियाटिक कॉटन’ के रूप में जाना जाता है।
- जी. हिरसुटम को ‘अमेरिकन कॉटन’ या ‘अपलैंड कॉटन’ और जी. बारबडेंस को ‘इजिप्शियन कॉटन’ के रूप में भी जाना जाता है।
- ये दोनों नई वैश्विक कपास प्रजातियाँ हैं।
- वैश्विक स्तर पर शीर्ष तीन कपास उत्पादक देश:- भारत> चीन> संयुक्त राज्य अमेरिका > मिस्र या उप-सहारा अफ्रीका क्षेत्र।
- भारत में शीर्ष कपास उत्पादक राज्य :- गुजरात > महाराष्ट्र > तेलंगाना > आंध्र प्रदेश > राजस्थान > पंजाब > हरियाणा > उत्तर प्रदेश > मध्य प्रदेश > कर्नाटक।
विशेष तथ्य :-
- कपास भारत का मूल स्थानिक पौधा है।
- भारत विश्व कपास उत्पादन में द्वितीय स्थान पर है।
- कपास को सफ़ेद सोना या सफ़ेद रेशेदार फसल भी कहा जाता है।
बीटी कपास (Bt cotton):-
- यह कपास की आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव या आनुवंशिक रूप से संशोधित कीट-प्रतिरोधी किस्म है।
- बीटी कपास का निर्माण बैसिलस थुरीनजिएंसिस (Bacillus thuringiensis :Bt) नामक जीवाणु के प्रोटीन के द्वारा होता है।
- यह जीवाणु अपने स्ट्रेन (Strain) से एक विशेष प्रोटीन बनाते हैं, जो विशेष प्रकार के कीटों को मरने में सक्षम होती है।
- ऐसे प्रोटीन के जीन को जब जैव प्रौद्योगिकी के माध्यम से कपास के पौधों में डालकर पीड़क प्रतिरोधी/नाशक बनाया जाता है तब ऐसे निर्मित कपास को बीटी कपास कहते हैं।
- इस जीवाणु (Bt) के प्रोटीन से निर्मित विष का प्रभाव कीट समुदाय के विभिन्न वर्गों जैसे- Lepidopteron (तंबाकू का कीड़ा), कॉलिप्टरोन (भृंग या Beetles) तथा डायप्टेरोन (मक्खी, मच्छर) पर भी होता है।
हाइब्रिड कपास :-
- यह विभिन्न आनुवंशिक विशेषताओं वाले दो मूल पौधों के संक्रमण द्वारा बनाया गया कपास है।
हाइब्रिड बीज :-
- हाइब्रिड बीज को ही संकर बीज कहा जाता है।
- इन बीजों को कृत्रिम रूप में डिजाइन किया जाता है।
- ये बीज दो या दो से अधिक पौधों के क्रॉस पॉलिनेशन से बनाए जाते हैं।
- इस बीज में दो वैरायटी के गुण एक ही में पाए जाते हैं।
वैज्ञानिकों ने इन बीजों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है:-
- इसमें पहली पीढ़ी के बीज F1
- दूसरी पीढ़ी के बीज F2
- तीसरी पीढ़ी के बीजों को F3।
लाभ:-
- ये बीज देसी बीजों के मुकाबले ज्यादा मजबूत और अधिक पैदावार वाले होते हैं।
- हाइब्रिड बीज से फसलों को उगाकर खाद्य उत्पादन के संकट से निपटा जा सकता है।
हानि:-
- इसमें देसी किस्मों के मुकाबले पोषण कम होता है तथा स्वाद भी देसी किस्मों के मुकाबले काफी निम्न स्तर का रहता है।
- हाइब्रिड बीजों में दो से अधिक बीजों के गुण आ जाते हैं, इसके चलते ये महंगे भी होते हैं।
प्रारंभिक परीक्षा प्रश्न : हाल ही में राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर से संबद्ध खंडवा कृषि महाविद्यालय एवं शोध संस्थान के द्वारा तैयार की गई कपास की हाइब्रिड बीज की नई किस्म का क्या नाम है?
(a) JKHY- VS-1118-1
(b) JKH-VS-1318-1
(c) HKH-VS-1318-1
(d) KHH-VS-1318-1
उत्तर (d)
मुख्य परीक्षा प्रश्न : फसल उत्पादन की दृष्टि से कपास की हाइब्रिड बीज के महत्व की व्याख्या कीजिए।
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स्रोत : Naiduniya