प्रारंभिक परीक्षा- पूसा-44, पूसा-2090, सीबी-501, जैपोनिका किस्म मुख्य परीक्षा- सामान्य अध्ययन, पेपर- 1 और 3 |
संदर्भ-
- सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर,2023 को पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को यह निर्देश दिया गया कि फसल के अवशेषों को जलाना तत्काल रोका जाए। इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने एक विशेष प्रकार के धान के किस्म का उल्लेख किया, जो ज्यादातर पंजाब में उगाया जाता है।
मुख्य बिंदु-
- चावल की यह नई किस्म पूसा-2090’ है।
- पूसा-44 को पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने वर्ष,2024 से "प्रतिबंधित" करने को कहा है।
- इस किस्म और वह समय अवधि जिसमें इसे उगाया जाता है, उसको लेकर इसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली जलाने और परिणामी प्रदूषण समस्याओं के प्रमुख कारणों के रूप में देखा जा रहा है।
- गेहूं की फसल बोने के लिए खेत की तैयारी के लिए बहुत कम समय बचता है। अतः गेहूं को बोने के आदर्श समय नवंबर के मध्य से पहले किसान कंबाइन मशीनों का उपयोग करके कटाई के बाद बचे हुए डंठल और ढीले भूसे को साफ करने के लिए उन्हें जलाने का सहारा लेते हैं।
पूसा-44 के बारे में-
- नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) द्वारा विकसित ‘पूसा-44’ एक लंबी अवधि की किस्म है, जिसे नर्सरी में बीज बोने से लेकर अनाज की कटाई तक परिपक्व होने में 155-160 दिन लगते हैं।
- एक महीने पहले मई में नर्सरी की बुआई के बाद जून के मध्य में रोपाई की जाने वाली यह फसल अक्टूबर के अंत में ही कटाई के लिए तैयार होती है।
- यह एक उच्च उपज देने वाली किस्म है - औसतन 35-36 क्विंटल प्रति एकड़, किंतु कुछ किसान 40 क्विंटल प्रति एकड़ भी उपजा लेते हैं।
- इस किस्म की खड़ी पराली ही नवंबर की शुरुआत से बड़े पैमाने पर जलाई जा रही है।
- पंजाब में केवल एक ही पीआर-126 किस्म की खेती पूसा-44 से अधिक क्षेत्र में की जाती है।
- पीआर-126, पंजाब कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित की गई है।
- इसे पकने में केवल 125 दिन लगते हैं, किंतु इसकी पैदावार केवल 30-32 क्विंटल प्रति एकड़ होती है, जो पूसा-44 से कम है।
(चालू ख़रीफ़ सीज़न में, पंजाब के किसानों ने पूसा-44 के तहत 5.48 लाख हेक्टेयर (एलएच) में बुआई की है। फोटो)
पूसा-2090 के बारे में-
- IARI ने अब पूसा-44 का उन्नत संस्करण तैयार किया है, जो पूसा-2090 है।
- IARI का कहना है कि यह पूसा-44 जितना ही उपज देता है और केवल 120-125 दिनों में परिपक्व हो जाता है।
- यह पूसा-44 और सीबी-501 का क्रॉस है, जो जल्दी पकने वाली जैपोनिका चावल प्रजाति है।
- सीबी-501, 256-विलक्षण जैपोनिका किस्मों में से एक है।
- यह भारत और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में इंडिका उप-प्रजातियों के विपरीत पूर्वी एशिया में बड़े पैमाने पर उगाया जाता है।
- इसे IARI ने फिलीपींस में स्थित अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान से प्राप्त किया था।
- IARI के वैज्ञानिकों ने सीबी-501 की पहचान एक ऐसी प्रजाति के रूप में की, जो न केवल जल्दी परिपक्व होती है, बल्कि मजबूत कल्म (चावल के तने) में भी योगदान देती है और प्रति पुष्पगुच्छ (अनाज वाले बाली-सिर) में अधिक संख्या में अनाज का उत्पादन करती है।
- पूसा-44 की उच्च पैदावार और अनाज विशेषताओं दोनों को सीबी-501 की कम अवधि के साथ जोड़कर नया क्रॉस प्राप्त किया गया, जो पूसा-2090 है।
- यदि पूसा-2090 35-36 क्विंटल या इससे अधिक उपज दे सकता है, जैसा कि IARI का दावा है, तो यह मूल पूसा-44 के विकल्प के रूप में उभर सकता है।
पूसा-2090 का परीक्षण-
- पूसा-2090 का परीक्षण पिछले दो सीज़न में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र के किसानों के अलावा, 2020, 2021 और 2022 सीज़न में ‘अखिल भारतीय समन्वित चावल सुधार परियोजना’ के परीक्षणों में किया गया था।
- इस किस्म को आधिकारिक तौर पर दिल्ली और ओडिशा में खेती के लिए उपयुक्त पाया गया है।
(पंजाब के श्री मुक्तसर साहिब जिले के कटियांवाली गांव के किसान गुरुमीत सिंह संधू के परीक्षण क्षेत्र में पूसा 2090 धान। फोटो)
प्रारंभिक परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- पूसा-2090 के बारे में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित चावल की एक नई किस्म है।
- यह पूसा-44 और सीबी-501 का क्रॉस है।
- इसे पश्चिम बंगाल और ओडिशा में उत्पादन के लिए उपयुक्त पाया गया है।
नीचे दिए गए कूट की सहायता से सही उत्तर का चयन कीजिए।
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1,2 और 3
उत्तर- (a)
मुख्य परीक्षा के लिए प्रश्न-
प्रश्न- चावल की नई विकसित की गई किस्म की विशेषताओं को स्पष्ट करें। यह दिल्ली और एनसीआर में पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण से किस प्रकार मुक्ति दिलाने में सहयोगी होगा? विवेचना करें।
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